रेवंत सिंह मर गए। उनका कसूर यह था कि उन्होंने 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के दिन थाली-ताली बजाई थी। रामनवमी पर अपने घर में दीया जलाया था। यह उनके पड़ोस में रहने वाले कुछ मुस्लिम युवकों को नागवार गुजरा और उन्होंने रेवंत पर एक दिन घात लगाकर हमला कर दिया। 5 दिन कोमा में रहने के बाद 9 अप्रैल को उन्होंने दम तोड़ दिया। घटना राजस्थान की है।
रेवंत की मौत ने उनके पूरे परिवार को बेसहारा कर दिया है। गड़ी चंपावत निवासी सांग सिंह (राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना जैसलमेर के जिला अध्यक्ष) और मूल सिंह राठौड़ (माड़वा अध्यक्ष, राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना) ने ऑपइंडिया को बताया कि रेवंत जैसलमेर के माड़वा गाँव के रहने वाले थे। उनकी पत्नी तीन साल से मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं और हर माह उन्हें इलाज के लिए अस्पताल जाना होता है। एक भाई है, उनकी मानसिक हालत भी ठीक नहीं है। चार छोटे बच्चे हैं, जिनके खाना-पीना बनाने से लेकर सारी जिम्मेदारी अकेले रेवंत पर ही थी।
‘थाली-घंटी नहीं बजेगी, यहाँ मोदी नहीं हमारा राज चलता है’
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर कोरोना संक्रमण से मुकाबले में अपनी जान की परवाह नहीं करने वालों के प्रति आभार जताने के लिए पूरे देश ने 22 मार्च को थाली, ताली, शंख, घंटी बजाई थी। लेकिन मुस्लिम बाहुल्य इलाके में रहने वाले रेवंत को ऐसा करने पर धमकी दी गई।
जनता कर्फ्यू के दिन घंटी-थाली बजाने पर पड़ोस में ही रहने वाले 7-8 गुंडों ने घर जाकर उन्हें धमकाया। उनके साथ धक्का-मुक्की की। रेवंत सिंह को धमकी देते हुए कहा कि यहाँ किसी मोदी का नहीं, बल्कि उनका कानून चलता है। जैसा वो कहेंगे उन्हें मानना होगा।
रेवंत सिंह के भतीजे ने भणियाणा थाने में दिलदार खां पुत्र शहीद खां, फिरोज खां पुत्र शहीद खां और इकबाल पुत्र रहमतुल्ला खां के खिलाफ मारपीट का मामला दर्ज करवाया है। मारपीट की इस घटना में रेवंत सिंह बुरी तरह से घायल हो गए थे। 5 दिन तक कोमा में रहने के बाद बृहस्पतिवार (अप्रैल 09, 2020) को मौत हो गई। मारपीट की यह घटना 4 अप्रैल को माड़वा गाँव में हुई थी।
ऑपइंडिया से बातचीत में हिन्दू संगठनों ने बताया कि रेवंत सिंह की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी। लेकिन उन्होंने 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के दिन थाली-घंटी बजाने के बाद रामनवमी के दिन दीपक जलाए थे। इस कारण स्थानीय मुस्लिम उनसे नाराज थे और घर में घुस धमकाया भी था।
राशन लेकर लौट रहे थे घर, घात लगाकर किया हमला
रेवंत सिंह पर उस वक़्त हमला किया गया जब वे राशन की दुकान से लौट रहे थे। आर्थिक रूप से कमजोर रेवंत सिंह को स्थानीय हिन्दू परिवारों और करणी सेना ने कुछ रुपए इकट्ठा कर नजदीकी अस्पताल में भर्ती किया, जहाँ पाँच दिन तक कोमा में रहने के बाद उनकी मृत्यु हो गई।
राष्ट्रीय करणी सेना के जिलाध्यक्ष ने बताया कि रेवंत सिंह का शव अभी भी राजस्थान के मथुरादास माथुर अस्पताल में ही है। इस मामले में आठ व्यक्तियों के शामिल होने की बात भी सामने आई है, जिनमें से एक की गिरफ्तारी हो चुकी है। रेवंत सिंह के साथ मारपीट करने वालों पर हिन्दू संगठनों ने कार्रवाई की माँग की है। उन्होंने बताया कि यह इलाका मुस्लिम आबादी वाला है और वर्तमान में सीएम अशोक गहलोत मंत्रिमंडल के सालेह मोहम्मद (Saleh Mohammad) विधायक हैं।
ज्ञात हो कि हाल ही में दिल्ली में हुए हिन्दू विरोधी दंगों में दंगाइयों ने एक चाय वाले की दुकान सिर्फ इसलिए जला दी थी क्योंकि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ किया करता था। रेवंत सिंह के साथ हुआ यह हादसा भी इसी घटना से मिलता-जुलता नजर आता है।
रेवंत सिंह की मृत्यु से आक्रोशित भाजपा नेता महंत प्रतापपुरी ने कहा – “यह मारपीट द्वेष के कारण हुई थी। ये लोग रेवंत सिंह के पीएम मोदी की अपील पर थाली बजाने से नाराज थे। इसी कारण उन्होंने उसे रास्ते में रोका और उसे बुरी तरह से मारा।”
मृतक रेवंत सिंह के बच्चे और उनका घर –
महंत प्रतापपुरी ने आरोपितों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने की अपील की है और कहा है कि आरोपितों की जल्द से जल्द गिरफ्तारी होनी चाहिए। वहीं एसएसपी किरण जंग ने कहा कि जाँच के बाद हत्या का केस दर्ज कर लिया गया है।