Saturday, April 27, 2024
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RSS से जुड़ी सेवा भारती ने कश्मीर में स्थापित किए 1250 स्कूल, देशभक्ति और कश्मीरियत का पढ़ा रहे पाठ: न कोई ड्रॉपआउट, न कोई निकला पत्थरबाज

न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक, सेवा भारती ने कश्मीर घाटी के 10 जिलों में फैले जो 1,250 एकल विद्यालय (अनौपचारिक स्कूली शिक्षण प्रणाली) खोले हैं, उसमें बारामूला जिले के 180 ऐसे स्कूल भी शामिल हैं, जहाँ आतंकवादी हमलों में काफी बढ़ोतरी हुई है। इसके बावजूद सेवा भारती लगातार इन स्कूलों का विस्तार कर रही है।

कश्मीर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े सेवा भारती ने 1250 एकल विद्यालय खोले हैं, जिनका मूल है- कुरान का पाठ, “देश प्रेम” (देशभक्ति) पर चर्चा, “भारतीय” होने के कर्तव्यों को सिखाना और “कश्मीरियत” को सही मायने में “भारतीयता” से जोड़कर शिक्षा प्रदान करना। राष्ट्रीय सेवा भारती ने 1250 एकल स्कूल उस कश्मीर घाटी में खोले हैं, जिसकी आबादी 95% मुस्लिम है।

न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक, सेवा भारती ने कश्मीर घाटी के जिन 10 जिलों में फैले जो 1,250 एकल विद्यालय (अनौपचारिक स्कूली शिक्षण प्रणाली) खोले हैं, उसमें बारामूला जिला भी शामिल है। बारामुला में ऐसे 180 स्कूल संचालित हो रहे हैं। आतंकवाद से प्रभावित कश्मीर घाटी में सेवा भारती लगातार ऐसे स्कूलों का विस्तार कर रही है, जिसमें हजारों बच्चे शिक्षा पा रहे हैं।

एक आँकड़े के मुताबिक, साल 2022 के बार से घाटी में इन एकल स्कूलों की संख्या में 53 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। साल 2022 तक जहाँ ऐसे 800 स्कूल संचालित किए जा रहे थे, वहीं 2024 में ये आँकड़ा बढ़कर 1250 पहुँच गया है। सेवा भारती को इन स्कूलों को चलाने के लिए लोगों का भी खूब समर्थन मिल रहा है। साल 2021-22 में सेवा भारती को भारतीयों ने 129 करोड़ रुपए दान में दिए, तो 44 करोड़ रुपए अंतर्राष्ट्रीय दानदाताओं ने दिए।

प्रोजेक्टे से जुड़े एक शिक्षक अमीर मिर्जा (नाम परिवर्तित) ने कहा, “इन स्कूलों में कश्मीरी और उर्दू भाषा में पढ़ाई कराई जा रही है। हम नहीं चाहते कि हमारे बच्चे आतंकवादियों के सहयोगी बनें या पत्थरबाजों के ग्रुप में शामिल हों।” उन्होंने कहा, पिछले पाँच सालों में बारामूला जिले में एकल विद्यालय के किसी भी छात्र ने न तो पैसों के लिए स्कूल छोड़ा और न ही कोई पत्थरबाजों के ग्रुप में शामिल हुआ। यहाँ पढ़ने वाले छात्र गर्व से हिंदुस्तानी मुस्लिम हैं। हम उन्हें कुरान पढ़ाते हैं। यही नहीं, हमें किसी भी संगठन से कोई धमकी भी नहीं मिली, न ही किसी ने हमारा विरोध किया।

आमिर की उम्र 24 साल है। वो 12 साल पहले इस पहल से जुड़े थे। उन्हें कई बार आतंकवादियों ने धमकी भी दी और उनके गाँव में हिंसा की घटनाएँ भी हुआ। आतंकियों ने इस प्रोजेक्ट को साजिश भी बताया, लेकिन वो डटे रहे। उन्हें स्थानीय लोगों का समर्थन भी मिला।

पूरे सिस्टम को चलाने वाले युवा सदस्य स्थानीय कश्मीरी हैं। वे इस परियोजना को “कश्मीरियत को बचाने की लड़ाई” कहते हैं। एकल विद्यालय इस क्षेत्र में एक दशक से अधिक समय से चल रहे हैं, लेकिन उन्हें पिछले पाँच से छह वर्षों में स्थानीय लोगों से उत्साहजनक प्रतिक्रिया और समर्थन मिला है। संगठन के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा, पिछले महीने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत विकसित जम्मू-कश्मीर कार्यक्रम को भारी सार्वजनिक प्रतिक्रिया मिली, जो कश्मीरी समाज में बदलाव को दर्शाता है।

एकल विद्यालय अभियान में स्कूलों को चलाने के लिए चार स्तरीय संरचना है, जिसमें आंचल अभियान प्रमुख (क्षेत्र प्रमुख), प्रशिक्षण प्रमुख (शिक्षण प्रमुख), मूल्यांकन प्रमुख (मूल्यांकन प्रमुख) और जागरण प्रमुख (अभियान प्रमुख) शामिल हैं। वरिष्ठ सदस्य ने कहा, इन सभी पदों पर कश्मीरी मुस्लिम हैं जो “कश्मीरियत के लिए लड़ने” के लिए स्वयंसेवकों के रूप में काम करते हैं। खास बात ये है कि इन एकल विद्यालयों में पढ़ाने का काम करने वाले लोगों में 70 प्रतिशत महिलाएँ या फिर युवा लड़कियाँ हैं।

सेवा भारती का कहना है कि इन स्कूलों का उद्देश्य छात्रों को अच्छे नागरिक बनाने और उन्हें कश्मीर की समृद्ध संस्कृति और विरासत से परिचित कराना है। सेवा भारती का यह भी कहना है कि इन स्कूलों ने कश्मीर में युवाओं के बीच राष्ट्रवाद और देशभक्ति की भावना को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन स्कूलों में छात्रों को न केवल शिक्षा प्रदान की जाती है, बल्कि उन्हें विभिन्न प्रकार के कौशल भी सिखाए जाते हैं। आरएसएस की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (एबीपीएस) की एक बैठक के दौरान संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी और संयुक्त महासचिव मनमोहन वैद्य ने कहा कि “अल्पसंख्यक” सेवा भारती के करीब आ रहे हैं।

सेवा भारती द्वारा कश्मीर में स्थापित किए गए स्कूलों ने शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इन स्कूलों ने कश्मीर में युवाओं के बीच राष्ट्रवाद और देशभक्ति की भावना को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन स्कूलों की स्थापना का स्थानीय लोगों द्वारा स्वागत किया गया है। उनका कहना है कि इन स्कूलों ने कश्मीर के युवाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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