Monday, December 2, 2024
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मुस्लिम युवक के शव में मिली जिस बोर की गोली, उसका तमंचा संभल के दंगाइयों के पास से ही मिला: बच्चे-बुजुर्ग-औरतें सब थे हिंसा में शामिल, 7 FIR की डिटेल एक साथ

पुलिस के FIR की मानें तो इस हिंसा में समाजवादी पार्टी की मिलीभगत साफ़ दिख रही है। FIR के मुताबिक समाजवादी पार्टी का सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने हिंसा से 2 दिन पहले जुमे की नमाज के दिन भीड़ को भड़काया था। फिर रविवार को हिंसक भीड़ का नेतृत्व सपा विधायक का बेटा सुहैल इकबाल कर रहा था।

उत्तर प्रदेश के संभल जिले में रविवार (24 नवंबर 2024) को मुस्लिम भीड़ ने पुलिस पर हमला बोल दिया था। हिंसक भीड़ जामा मस्जिद का सर्वे करने वाली टीम तक पहुँचना चाह रही थी जिसे रोकते हुए कई अधिकारी व जवान घायल हो गए। इस मामले में अब तक प्रशासन की तरफ से कुल 7 FIR दर्ज हुई हैं। इन सभी FIR में हिंसक भीड़ की तादाद 800 से 900 के आसपास बताई गई है। सबने सामूहिक रूप से माना है कि हमलावर प्रशासनिक अधिकारियों की जान लेने पर आमादा थे।

इस मामले में प्रशासन की तरफ से कुल 7 केस दर्ज हुए है। इसमें से 5 मुकदमे संभल कोतवाली जबकि 2 अन्य नखासा थानाक्षेत्र में लिखे गए हैं। संभल कोतवाली क्षेत्र में दर्ज मुकदमों में से 2 केस चौकी इंचार्ज के पद पर तैनात सब इंस्पेक्टरों के साथ 1-1 मुकदमे DSP, SHO और डिप्टी कलेक्टर की तहरीर पर दर्ज हुए हैं। इन मुकदमों में सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क, समाजवादी पार्टी के विधायक इक़बाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल के अलावा 21 अन्य लोग नामजद आरोपित बनाए गए हैं। इसी के साथ 800 से 900 हमलावर अज्ञात में दिखाए गए हैं।

पहली FIR सब इंस्पेक्टर संजीव की

संभल हिंसा की पहली FIR सब इंस्पेक्टर संजीव की तरफ से दर्ज की गई है। वह कोतवाली संभल की एकता चौकी के प्रभारी हैं। उनकी FIR में बताया गया है कि 800 से 900 हमलावरों की भीड़ सर्वे रोकने के लिए आगे बढ़ रही थी। जब उन्हें रोकने की कोशिश की गई तो पत्थरबाजी शुरू हो गई। भीड़ ने मस्जिद में सर्वे नहीं होने देने का एलान कर दिया। इसी भीड़ में से आवाज आई, “हसन, अजीम, सलीम, रिहान, हैदर, वसीम, अयान… पुलिस वालों से सारे हथियार कारतूस छीन लो। इनको आग लगाकर मार डालो। कोई भी बचकर ना जाने पाए।”

भीड़ ने कई पुलिसकर्मियों के हथियार भी छीन लिए जिसमें टीयर गैस सेल और रबर बुलेट शामिल हैं। इसके बाद पुलिसकर्मियों की हत्या के इरादे से भीड़ ने फायरिंग शुरू कर दी। इस पत्थरबाजी में खुद दारोगा संजीव के साथ कुछ अन्य पुलिसकर्मी घायल हो गए। आखिरकार बल प्रयोग करके भीड़ को तितर-बितर किया गया।

दारोगा दीपक राठी की FIR में सांसद और सपा विधायक का बेटा नामजद

दूसरा केस संभल कोतवाली की ही सरथल चौकी प्रभारी दीपक राठी की तरफ से दर्ज करवाया गया है। इस तहरीर में उन्होंने 22 नवंबर को समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान के जामा मस्जिद पर दिए गए भड़काऊ भाषण का जिक्र किया है। दीपक राठी ने अपनी तहरीर में यह भी बताया कि हिंसा के दिन भीड़ को समाजवादी पार्टी के विधायक इकबाल महमूद का बेटा सुहैल इक़बाल लीड कर रहा था। इस भीड़ ने पुलिस पर पत्थर फेंके और गोलियाँ भी चलाईं।

दीपक राठी की FIR में यह भी जिक्र है कि हमलावर भीड़ को यह कह कर उकसाया जा रहा था- “चिंता मत करो सांसद जियाउर्रहमान तुम्हारे साथ हैं।”

SHO की तहरीर में हिंसा का विस्तार से जिक्र

इस मामले में तीसरा केस संभल कोतवाली के SHO इंस्पेक्टर अनुज कुमार तोमर ने दर्ज करवाया है। खुद को चश्मदीद बताते हुए उन्होंने लिखा कि हिंसक भीड़ अल्लाहु अकबर का नारा लगा रही थी। इस भीड़ में 14 साल के नाबालिग से लेकर 72 साल तक का बुजुर्ग शामिल थे। भीड़ की तरफ से गोलियाँ चलाई गईं जिसके बाद पुलिस को 4 लोग घायल अवस्था में मिले। इन्हीं चारों की बाद में इलाज के दौरान मौत हो गई थी।

FIR के मुताबिक दंगाइयों के हमले का शिकार रैपिड एक्शन फ़ोर्स के जवान भी बने थे। मुस्लिम समुदाय के कुल 21 लोगों की गिरफ्तारी का भी जिक्र इसी FIR में है। इसमें से कई उपद्रवियों के पास पुलिस से लूटे गए हथियार और कुछ के पास अवैध अस्त्र बरामद हुए। ये अस्त्र 12 बोर और 315 बोर के तमंचे थे। उपद्रवियों ने पुलिस की प्राइवेट और सरकारी गाड़ियों में आगजनी और तोड़फोड़ की थी। आखिर में डीएम से परमिशन मिलने के बाद पुलिस ने बल प्रयोग कर के भीड़ को नियंत्रित किया।

डिप्टी कलेक्टर की अज्ञात हमलावरों के खिलाफ शिकायत

संभल में हिंसक भीड़ को काबू करते हुए डिप्टी कलेक्टर रमेश बाबू भी घायल हो गए थे। पथराव में उनको बाएँ पैर और कुहनी में चोटें आईं है। उन्होंने अपनी तहरीर में 800 – 900 अज्ञात हमलावरों का जिक्र किया है। रमेश बाबू ने बताया कि हिंसक भीड़ न तो अदालत का आदेश मानने के लिए तैयार थी और न ही अधिकारियों की कोई भी बात सुनने के लिए। वो सर्वे रोकने के लिए हिंसा का सहारा लेना चाहते थे। भीड़ को बार-बार निषेधाज्ञा लागू होने की नसीहत भी दी गई लेकिन उन पर कोई फर्क नहीं पड़ा।

DSP पर भी जानलेवा हमला

संभल हिंसा की 5वीं FIR डिप्टी एसपी अनुज चौधरी की तरफ से दर्ज हुई है। अनुज चौधरी के पैर में दंगाइयों की गोली लगी है। उन्होंने खुद पर हुए हमले के बड़ा कोतवाली संभल में तहरीर दी है। तहरीर में अनुज चौधरी ने बताया कि सर्वे कर रही हिंसक भीड़ को रोकने के लिए उन्होने काफी प्रयास किया। इस कोशिश के दौरान भीड़ उनके साथी कई अन्य पुलिसकर्मियों पर हमलावर हो गई।

भीड़ ने लॉ एन्ड आर्डर पूरी तरह से खत्म कर दिया और लोग डर से अपने घरों में कैद हो गए। पथराव कर रही भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस तमाम कोशिशें कर रही थी। इसी दौरान भीड़ में से एक अज्ञात व्यक्ति ने गोली चला दी जो अनुज चौधरी के पैर में जा धंसी। घायल अनुज चौधरी को इजाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया।

उपरोक्त 5 FIR कोतवाली संभल नगर में दर्ज हुई हैं। इसके अतिरिक्त 2 अन्य FIR पास के ही थाना नखासा में दर्ज की गई है। यह दोनों केस भी पत्थरबाजी और आगजनी से जुड़े हैं। भीड़ की हिंसा का दायरा इसी बात से समझा जा सकता है कि उसने एक साथ 2 अलग-अलग थानाक्षेत्रों में उपद्रव किया। इन दोनों जगहों पर भीड़ के टारगेट पर पुलिसकर्मी ही थे। दोनों ही स्थानों पर भीड़ ने पुलिस के साथ उनके वाहनों को निशाना बनाया।

सब इंस्पेक्टर शाह फैज़ल पर भी जानलेवा हमला

नखासा थाने में तैनात सब इंस्पेक्टर शाह फैसल पर भी हिंसक भीड़ ने तब हमला किया जब वो विवाद की सूचना पर मौके के लिए रवाना हुए थे। इस दौरान भीड़ ने सबूत मिटाने के लिए CCTV कैमरों को तोड़ डाला। लाठी-डंडों से लैस भीड़ ने पुलिस की एक प्राइवेट और दूसरी निजी बाइक में आग लगा दी। दारोगा से उनकी सरकारी पिस्टल छीनने की कोशिश हुई। नाकाम रहने पर सिपाहियों के कारतूस छीने गए।

अतिरिक्त फ़ोर्स आने के बाद ही भीड़ से घिरे पुलिसकर्मियों की जान बच पाई। इस केस में गुलाबुद्दीन, सुल्तान आरिफ, हसन, मुन्ना, फैज़ान और समद को नामजद किया गया है। इसी के साथ 150 से 200 अन्य हमलावरों को अज्ञात में दिखाया गया है।

पुलिसकर्मी की शिकायत पर महिलाएँ नामजद

संभल हिंसा की 7वीं FIR नखासा थाने में दर्ज हुई है। इस केस में पुलिसकर्मी ने बताया है कि उनके व अन्य हमराहों पर ईंट पत्थरों से हमला किया गया। इस हमले से डर कर दुकानदारों ने शटर गिरा लिए और लोकव्यवस्था पूरी तरह से भंग हो गई थी। इसी तहरीर के आधार पर पुलिस ने रुकैया, फरहाना और नजराना नाम की 3 खातूनों को गिरफ्तार किया है। हिंसा में शामिल अज्ञात हमलावरों की पहचान कर के धरपकड़ के प्रयास किए जा रहे हैं।

उपरोक्त सारे FIR में कई चीजें कॉमन हैं। सब सारे केसों का सार निकाला जाए तो इसमें कुछ बातें साफ तौर पर सामने निकल कर आ रहीं हैं।

निष्कर्ष

भीड़ प्रशसनिक अधिकारियों की कोई भी बात सुनने को तैयार नहीं थी। अलग-अलग गलियों और रास्तों से निकल कर वह मस्जिद की तरफ सधे अंदाज में बढ़ रही थी। इस भीड़ में नाबालिग बच्चों से लेकर 72 साल के बुजुर्ग भी शामिल थे लेकिन अंतर सिर्फ उम्र में था, उनकी सोच में नहीं।

सभी FIR में प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया है कि भीड़ ने उन पर हमला किया और मार डालने की कोशिश की। कई स्थानों पर पुलिसकर्मियों के हथियार भी छीनने का प्रयास हुआ। ऐसे में यह भी माना जा सकता है कि कहीं न कहीं किसी न किसी ने भीड़ में शामिल लोगों को बिंदुवार समझाया था कि उनको क्या-क्या और कब करना है।

अल्लाहु अकबर का नारा मुख्यतः किसी स्थान पर बिखरे मुस्लिम समाज को एक जगह लाने के लिए लगाया जाता है। SHO की तहरीर में इस बात का जिक्र है कि भीड़ अल्लाहु अकबर की नारेबाजी कर रही थी। इससे माना जा रहा है कि भीड़ में कुछ लोग इस मकसद से भी शामिल थे कि अंतिम समय तक किसी को भी भटकने नहीं देना है और जो साजिश रची गई है उसको अंजाम तक पहुँचाना है। इसी वजह से बीच-बीच में उत्तेजक नारेबाजी हुई जिसे वायरल वीडियो भी देखा जा सकता है।

सभी FIR में भीड़ द्वारा पत्थर और लाठी-डंडों को हाथियार बनाए जाने का जिक्र किया गया है। इससे स्पष्ट होता है कि हमले से पहले सबको ईंट-पत्थरों के ठिकाने बताए गए होंगे। साथ ही लाठी और डंडों को किसी जगह पर तमाम लोगों के हाथों में पकड़ाया गया होगा। उनको यह भी समझाया गया होगा कि कब और किस पर कैसे हमला करना है।

सिपाहियों से हथियार छीनने वाली भीड़ ने डिप्टी एसपी अनुज चौधरी और SDM पर जानलेवा हमला किया। DSP अनुज चौधरी के खिलाफ काफी पहले से बयानबाजी की जा रही थी। गोली अनुज चौधरी के पैर में लगी और वो सुरक्षित थे। ठीक ऐसे ही डिप्टी कलेक्टर रमेश बाबू को भी मार डालने की नीयत से घेर कर पत्थर बरसाए थे। ये पत्थर उनके बाएँ पैर और कुहनी पर लगे। ऐसे में माना जा सकता है कि भीड़ को पता था कि किसे पीटना है और किसको मार डालना है।

जो तमंचा दंगाई से बरामद हुआ है उसी बोर की गोली से मौतें हुई हैं। मृतकों के शरीर में 315 बोर की गोली मिली है। यह गोली पुलिस प्रयोग नहीं करती है। यह बोर प्राइवेट रायफलों में प्रयोग होता है जो कि अवैध तमंचों में भी इस्तेमाल किया जाता है। आशंका इस बात की है कि पुलिस को बदनाम करने के लिए भीड़ में शामिल कुछ साजिशकर्ताओं ने अपने ही बीच कुछ लोगों को मारने के लिए चिन्हित कर रखा हो।

पुलिस ने सभी FIR में अपनी ओर हल्के बल प्रयोग की बात बताई है। हल्का बल में लाठीचार्ज और वाटर कैनन का इस्तेमाल शामिल होता है। हालत गंभीर होने पर टीयर गैस और पैलेट भी प्रयोग किया जाता है और अंतिम विकल्प के तौर पर भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हवाई फायरिंग। ऐसे में यह जाँच का विषय होगा कि पुलिस के इंकार के बाद वो कौन है जो संभल में हुई मौतों का जिम्मेदार है।

पुलिस के FIR की मानें तो इस हिंसा में समाजवादी पार्टी की मिलीभगत साफ़ दिख रही है। FIR के मुताबिक समाजवादी पार्टी का सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने हिंसा से 2 दिन पहले जुमे की नमाज के दिन भीड़ को भड़काया था। फिर रविवार को हिंसक भीड़ का नेतृत्व सपा विधायक का बेटा सुहैल इकबाल कर रहा था। वह हमलावरों को सपा सांसद के साथ होने का झांसा दे रहा था। हिंसा के बाद पुलिस कार्रवाई के विरोध में सपा का प्रतिनिधिमंडल भी लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से मिला था। सपा के तमाम ट्वीट में दंगाइयों का बचाव और पुलिस के खिलाफ बातें लिखी हुई हैं।

इस हिंसा में आधिकारिक तौर पर 4 मौतों की पुष्टि की गई है। बताया यह भी जा रहा है कि ये मौतें तुर्क और पठानों के बीच चल रही खींचतान की वजह से हुई हैं। इन मौतों के परोक्ष रूप से जिम्मेदार भी हमलावर हैं। उन्होंने लम्बे समय तक सड़कों और गलियों को जाम रखा। पुलिस के वाहनों को आग लगा दी गई। हिंसा खत्म होने के बाद भी सड़कों से पत्थरों को बीन कर रास्ता क्लियर करवाने में प्रशासन को काफी समय लगा। इसी वजह से घायलों को इलाज मिलने में देरी हुई और मौतों का आंकड़ा बढ़ गया।

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राहुल पाण्डेय
राहुल पाण्डेयhttp://www.opindia.com
धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।

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