सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (16 जनवरी 2024) को वाराणसी के विवादित ज्ञानवापी ढाँचे में स्थित शिवलिंग वाले स्थान को साफ़ करवाने की अनुमति हिन्दू पक्ष को दे दी। इस जगह को मुस्लिम पक्ष वुजुखाना (पानी का टैंक) कहता है, जहाँ नमाज पढ़ने से मुँह और हाथ-पैर धोया जाता है। यहाँ से मई 2022 में सर्वे के दौरान शिवलिंग मिला था। अब यहाँ वाराणसी के डीएम की उपस्थिति में सफाई करवाया जाएगा।
हिन्दू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के सामने ज्ञानवापी में शिवलिंग वाले स्थान पर सफाई की माँग 12 जनवरी 2024 को हुई सुनवाई में की थी। हिन्दू पक्ष का कहना था कि यहाँ शिवलिंग मिलने के बाद पानी के इस टैंक को सील कर दिया गया है। सील होने के कारण इसकी सफाई नहीं हो पाई है और इसमें मौजूद मछलियाँ मर गई हैं। इससे दुर्गन्ध फैल रहा है।
हिन्दू पक्ष ने कहा कि यहाँ मछलियों की मौत 12 से 25 दिसम्बर 2023 के बीच हो गई है। इससे यहाँ काफी गंदगी हो गई है। जहाँ मछलियाँ मरी हैं, वहाँ पर हिन्दुओं के लिए आराध्य शिवलिंग मौजूद है। श्रद्धा के चलते इस क्षेत्र को साफ रखा जाना चाहिए। इसीलिए यहाँ सफाई की अनुमति दी जाए। साफ-सफाई की इस याचिका का मुस्लिम पक्ष ने विरोध नहीं किया।
रिपोर्ट्स के अनुसार, हिन्दू पक्ष ने मछलियों के मरने के लिए मस्जिद की अंजुमन इस्लामिया कमिटी को जिम्मेदार ठहराया है। हिंदू पक्ष ने कहा कि अंजुमन इस्लामिया कमिटी पर इस पूरे परिसर के प्रबन्धन का प्रभार है। इसलिए इस बात को ध्यान में रखते हुए उस जगह की सफाई की अनुमति दी जाए।
सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने याचिका पर सुनवाई के बाद टैंक को साफ करवाने की अनुमति दे दी। इस दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से भी यही माँग की गई थी कि यहाँ सफाई की अनुमति दी जाए। मुस्लिम पक्ष ने भी पूर्व में ऐसी ही एक याचिका दायर की थी।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में स्थित हिंदुओं के प्रसिद्ध धर्मस्थली वाराणसी में 16 मई 2022 को ज्ञानवापी का सर्वे पूरा किया था। इस दौरान पत्थर का स्तंभ मिला था, जो शिवलिंग जैसा दिखता है। इसे हिन्दू पक्ष ने शिवलिंग मिलने का दावा किया था। शिवलिंग उस स्थान से मिलने का दावा किया गया था, जहाँ पर नमाज से पहले वज़ू किया जाता था।
इसके बाद इस मामले में दायर की गई याचिकाओं पर वाराणसी के जिला न्यायालय ने 21 जुलाई 2023 को निर्णय सुनाते हुए ज्ञानवापी परिसर का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के जरिए सर्वेक्षण करवाए का आदेश दिया था। इस फैसले के विरुद्ध मुस्लिम पक्ष इलाहाबाद हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट भी गया था, लेकिन सर्वे जारी रखा गया था।
ASI के सर्वे के दौरान हिन्दू पक्ष ने दावा किया था कि परिसर में खंडित मूर्तियाँ, टूटे हुए पिलर, खंडित कलाकृतियाँ, त्रिशूल के कई चिह्न और कलश आदि मिले हैं। हालाँकि, ASI ने अभी इसकी पुष्टि नहीं की थी। ASI ने यह सर्वे पूरा करके अपनी रिपोर्ट 18 दिसम्बर 2023 को न्यायालय को सौंप दी है।