Tuesday, July 8, 2025
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ASI ने ज्ञानवापी ढाँचे की सीलबंद सर्वे रिपोर्ट वाराणसी कोर्ट को सौंपी, हिंदू पक्ष ने माँगी कॉपी: 21 दिसंबर को सुनवाई

एएसआई ने वाराणसी जिला जज एके विश्वेश के सामने सीलबंद सर्वे रिपोर्ट पेश की। हिंदू पक्ष ने इस मामले के सभी पैरोकारों को रिपोर्ट की एक-एक कॉपी देने की माँग की है। इस मामले में अब अगली सुनवाई 21 दिसंबर को होगी।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने ज्ञानवापी विवादित ढाँचे की सर्वे रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी है। हिंदू पक्ष ने सीलबंद रिपोर्ट पेश किए जाने पर आपत्ति जताई है। मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने रिपोर्ट को सीलबंद रखने और उसके किसी हिस्से को मीडिया में लीक होने से रोकने की अपील की थी।

हिंदू पक्ष ने इस मामले के सभी पैरोकारों को रिपोर्ट की एक-एक कॉपी देने की माँग की है। इस मामले में अब अगली सुनवाई 21 दिसंबर को होगी। लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, एएसआई ने वाराणसी जिला जज एके विश्वेश के सामने अपनी रिपोर्ट पेश की। एएसआई ने जब सीलबंद रिपोर्ट सौंपी, तब हिंदू पक्ष ने अदालत से रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की प्रार्थना की और इसमें शामिल सभी पक्षों को रिपोर्ट की प्रतियाँ उपलब्ध कराने के लिए निर्देश देने की माँग की।

बता दें कि वाराणसी जिला जज ने 21 जुलाई 2023 को ज्ञानवापी का वैज्ञानिक सर्वे करने का निर्देश दिया था। यह पता करने के लिए कहा था कि क्या मस्जिद को किसी मंदिर की जगह पर बनाया गया है? क्या मस्जिद के निचले हिस्से में पहले से मौजूद रहे किसी मंदिर का भी अंश है?

सुप्रीम कोर्ट में इस सर्वे के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 4 अगस्त 2023 को इस सर्वे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। इसके साथ ही कोर्ट ने वुजुखाना इलाके को, जिसमें कथित तौर पर शिवलिंग मिला था, उस इलाके का सर्वे नहीं करने के लिए कहा था। एएसआई से कहा गया था कि वो सर्वे तो करे, लेकिन किसी भी जगह की न तो खुदाई करे और न ही किसी जगह को नुकसान पहुँचे।

सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका हाई कोर्ट के 3 अगस्त के फैसले खिलाफ दायर की गई थी। हाई कोर्ट ने भी वैज्ञानिक सर्वे पर रोक की माँग खारिज कर दी थी। बता दें कि ज्ञानवापी को लेकर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जुलाई में कहा था कि यह मस्जिद नहीं है। उन्होंने कहा कि इसमें त्रिशूल सहित हिंदू धर्म के अन्य निशान हैं। इसलिए इस परिसर को मस्जिद नहीं कहा जा सकता।

सीएम योगी ने कहा था, “ज्ञानवापी के अंदर देव प्रतिमाएँ हैं। यह प्रतिमा हिंदुओं ने नहीं रखी है। अगर ज्ञानवापी को मस्जिद कहेंगे तो विवाद तो होगा ही।” उन्होंने कहा कि सरकार ज्ञानवापी विवाद का समाधान चाहती है। मुस्लिम समाज को आगे आकर इस ऐतिहासिक गलती सुधारना चाहिए।

मई 2022 में पूर्व एडवोकेट कमिश्नर अजय मिश्रा ने अदालत में रिपोर्ट में देकर खुलासा किया था कि ज्ञानवापी ढाँचे की पश्चिमी दीवार पर शेषनाग और हिंदू देवी-देवताओं की कलाकृति है। दीवार के उत्तर से पश्चिम की ओर शिलापट्ट पर सिंदूरी लेप की उभरी हुई कलाकृति है। इसमें देवों के रूप में चार मूर्तियाँ दिख रही हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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