Friday, March 29, 2024
Homeदेश-समाजबिशप फ्रैंको मुलक्कल को बरी कर हुआ 'न्याय' का अपमान: वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन...

बिशप फ्रैंको मुलक्कल को बरी कर हुआ ‘न्याय’ का अपमान: वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने उठाए ट्रायल कोर्ट के फैसले पर सवाल

वरिष्ठ महिला वकील रेबेका जॉन नन रेप केस में बिशप फ्रैंको मुलक्कल को छोड़े जाने पर कहती हैं कि FIR तथ्यों का विश्वकोश नहीं है। भले ही नन ने पहली प्राथमिकी में यौन अपराध के विवरण का उल्लेख नहीं किया, लेकिन जब वह सहज हो गई तो उसने मजिस्ट्रेट के सामने पूरा विवरण दिया। 

केरल की एक अदालत द्वारा नन रेप केस में बिशप फ्रैंको मुलक्कल को बरी किए जाने के मामले में वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन (Rebecca) ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने अदालत के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि ये निर्णय एक उपहास है जिसने आरोपित की जगह पीड़िता को ट्रायल पर रख दिया। उन्होंने फैसले को लेकर कहा कि इस निर्णय ने न्यायशास्त्र को उलट दिया है और ये पूरी तरह से देश के कानून की अवहेलना है।

अपनी बात रखते हुए वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने समझाया कि एक रेप पीड़िता की गवाही हमेशा अन्य अपराधों की गवाही से अलग रखकर देखी जानी चाहिए। उन्होंने ये जानकारी भी दी कि कई बार इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट पहले भी बोल चुका है।

आरुषि तलवार, हर्षद मेहता स्कैम, हाशमीपुरा नरसंहार, 1984 सिख नरसंहार, 2 जी स्पेक्ट्रम जैसे मामलों को संभालने वाली रेबेका जॉन ने कहा, “कोटाय्यम के ट्रायल कोर्ट के फैसले से जो मुझे समझ आया वो ये है कि आरोपित की जगह रेप पीड़िता ट्रायल पर चली गई है। इस फैसले ने उसे (पीड़िता) नकारा है और उस पर अविश्वास जताया है, जो कि कानून में अस्वीकार्य है।”

उन्होंने कहा कि कोर्ट ने रेप पीड़िता के सबूतों को नकारने और उनपर अविश्वास जताने में बहुत समय खर्च किया और ये सब सिर्फ इसलिए हुआ क्योंकि उसने अपनी पहली एफआईआर में और अन्य सिस्टर्स को खुलासा करते हुए अपने  साथ हुए यौन अपराध की सीमा को नहीं बताया था। उन्होंने अदालत के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि अदालत रेप पीड़िता की स्थिति समझने में बिलकुल विफल हुआ है।

वरिष्ठ वकील कहती हैं कि FIR तथ्यों का विश्वकोश नहीं है। इसमें केवल व्यापक मापदंडों का उल्लेख किया जा सकता है। भले ही नन ने पहली प्राथमिकी में यौन अपराध के विवरण का उल्लेख नहीं किया, लेकिन जब वह सहज हो गई तो उसने मजिस्ट्रेट के सामने पूरा विवरण दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह प्राथमिकी के आधार पर बलात्कार पीड़िता की गवाही को खारिज करना और बदनाम करना बिलकुल अनावश्यक था। इस निर्णय में उच्च न्यायालय और केरल न्यायालय के निर्णयों के लिए भी कोई सम्मान नहीं है।

वरिष्ठ वकील ने कहा कि अदालत आईपीसी की धारा 376 के तहत बढ़े बलात्कार के मामले में जाँच करने में विफल हुई है। उन्होंने कोर्ट के निर्णय को देख यह भी कहा कि इस फैसले के पीछे पूर्वनिर्धारित मानसिकता थी कि अभियुक्त को बरी किया जाना चाहिए और इसके लिए पीड़िता, जो कि बेहद साहसिक है और उसकी तीन साथियों को बदनाम करने का हर प्रयास किया है। कोर्ट ने शपथ लेने के बाद दिए गए बयान को नहीं माना और पुराने बयानों पर विश्वास किया जबकि वो बोलती रह गई कि वो झूठ है।

बिशप मुलक्कल को किया बरी

उल्लेखनीय है कि केरल की एक अदालत ने बहुचर्चित नन रेप केस (Nun Rape Case) में बिशप फ्रैंको मुलक्कल (Bishop Franco Mulakkal) को 14 जनवरी 2022 को बरी कर दिया था। मुलक्कल भारत के पहले कैथोलिक बिशप थे, जिन्हें नन का यौन शोषण करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। केरल की कोट्टायम पुलिस ने नन के दुष्कर्म मामले में आरोपित बिशप के खिलाफ 2018 में मुकदमा दर्ज किया था।

आरोप था कि बिशप ने कथित तौर पर 2014 और 2016 के बीच अपने कॉन्वेंट में एक नन के साथ 13 बार बलात्कार किया। उन पर नन को गलत तरीके से कैद करने, बलात्कार, अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने और आपराधिक धमकी देने का आरोप लगाया गया था। नन द्वारा इसकी शिकायत किए जाने के बाद कॉन्वेंट की कई नन ने बिशप के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया। पीड़िता ने 29 जून 2018 को शिकायत दर्ज कराई। उन्हें पुलिस ने 19 सितंबर 2018 को गिरफ्तार किया था। मुलक्कल को गिरफ्तार करने में तीन महीने लग गए।

26 महीने के ट्रायल के बाद बिशप को बरी किया गया है। इस मामले में जो चार्जशीट दाखिल की गई थी जिसमें 83 गवाहों के बयान दर्ज थे। फैसला आने के बाद फ्रैंको मुअक्कल के वकील ने रिपब्लिक टीवी से कहा कि पीड़िता झूठ बोल रही थी। उसके आरोपों में कोई सच्चाई नहीं थी। वकील ने कहा कि यह मामला फ्रैंको मुअक्कल के खिलाफ नहीं, बल्कि ईसाइयत के खिलाफ था।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने AAP नेता सत्येंद्र जैन के खिलाफ CBI जाँच की अनुमति दी, जेल में बंद कैदी से ₹10 करोड़ की वसूली...

मामला 10 करोड़ रुपए की रंगदारी से जुड़ा हुआ है। बताया जा रहा है कि सत्येंद्र जैन ने जेल में बंद महाठग सुकेश चंद्रशेखर से 10 करोड़ रुपए की वसूली की।

लालकृष्ण आडवाणी के घर जाकर उन्हें ‘भारत रत्न’ से सम्मानित करेंगी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, स्वास्थ्य कारणों से फैसला: 83 वर्षों से सार्वजनिक जीवन में...

1951 में उन्हें जनसंघ ने राजस्थान में संगठन की जिम्मेदारी सौंपी और 6 वर्षों तक घूम-घूम कर उन्होंने जनता से संवाद बनाया। 1967 में दिल्ली महानगरपालिका परिषद का अध्यक्ष बने।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
418,000SubscribersSubscribe