Tuesday, March 25, 2025
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सनातन अपनाया तो अपने ही समुदाय (मुस्लिमों) के लोगों ने तोड़ दिया घर, 4 दिनों तक भूखा रहा मेरा परिवार: मंच से भजन गायिका ने सुनाई प्रताड़ना की दास्तान, कहा- आज भी मिलती है धमकी

शहनाज कहती हैं कि अगर मैं हिंदू धर्म की भक्ति से नर्क में जाऊँगी, तो आपके अब्बा ने कौन सी जन्नत पेश कर रखी है। आज वो गर्व से कहती हैं, "मैं भगवा रंग में रंग चुकी हूँ। सनातन धर्म ही मेरी पहचान है।"

उत्तर प्रदेश के बांदा में आयोजित बांदा महोत्सव में भजन गायिका शहनाज अख्तर ने अपनी भक्तिमयी प्रस्तुति से लोगों का दिल जीत लिया। हालाँकि इसके बाद उन्होंने अपनी आपबीती भी बताई, जिसकी वजह से उन्हें पूरी जिंदगी परेशानियों का सामना करना पड़ा। शहनाज ने कहा, “मेरी पहचान सनातन धर्म से है। मैं हिंदू देवी-देवताओं के भजन गाती हूँ, उनकी पूजा करती हूँ, लेकिन इसके लिए मुझे और मेरे परिवार को बहुत कुछ सहना पड़ा।”

मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के बरघाट में मुस्लिम परिवार में जन्मीं शहनाज की जिंदगी तब बदल गई, जब बचपन में वो गणेश मंदिर में लड्डू लेने गईं। वहाँ भजन-कीर्तन सुनकर उनका मन सनातन धर्म की ओर खिंच गया। 10 साल की उम्र से ही उन्होंने माता के भजन गाने शुरू कर दिए थे।

शहनाज अख्तर ने बताया कि जब उन्होंने सनातन धर्म को अपनाया और भजन गाना शुरू किया, तो मुस्लिम समुदाय के कट्टरपंथियों ने इसका विरोध किया। हालात इतने बिगड़ गए कि उनके घर पर हमला हुआ। उनके परिवार को बेरहमी से पीटा गया। वो कहती हैं, “हम चार दिन तक अस्पताल में रहे। भूखे-प्यासे तड़पते रहे, लेकिन किसी ने मदद नहीं की।”

समाज के कुछ लोगों ने उन्हें धमकियाँ दीं कि हिंदू देवी-देवताओं के भजन गाने से वो नर्क में जाएँगी। शहनाज कहती हैं कि अगर मैं हिंदू धर्म की भक्ति से नर्क में जाऊँगी, तो आपके अब्बा ने कौन सी जन्नत पेश कर रखी है। आज वो गर्व से कहती हैं, “मैं भगवा रंग में रंग चुकी हूँ। सनातन धर्म ही मेरी पहचान है।”

सोशल मीडिया पर भी शहनाज को ट्रोलिंग का शिकार होना पड़ता है। हाल ही में एक रील वायरल हुई, जिसमें उन्हें बदनाम करने की कोशिश की गई। इसके खिलाफ उन्होंने एफआईआर दर्ज कराई। वो कहती हैं, “मैंने अपना नाम नहीं बदला, क्योंकि मेरी शख्सियत सनातन धर्म ने बनाई है। जो मुझे परेशान करेंगे, उनके खिलाफ कानून का सहारा लूँगी।”

बांदा महोत्सव में भगवा ड्रेस पहने, माथे पर त्रिपुंड लगाए और साध्वी की तरह केश सजाए शहनाज पूरी तरह सनातनी नजर आईं। अब तक वो 75 से ज्यादा भजन एल्बम रिलीज कर चुकी हैं। उनका पहला एल्बम 2005 में आया था और तब से ही वो सुर्खियों में बनी रहती हैं।

फरमानी नाज को भी झेलनी पड़ी थी कट्टरपंथियों की लानत, खूब मिली थी गालियाँ

शहनाज की कहानी अकेली नहीं है। साल 2022 में फरमानी नाज भी ऐसी ही मुश्किलों से गुजरीं। मुजफ्फरनगर की रहने वाली फरमानी ने जब शिव भजन ‘हर हर शंभू’ गाया और यूट्यूब पर अपलोड किया, तो इस्लामी कट्टरपंथियों ने उन्हें निशाना बनाया। फरमानी की जिंदगी पहले से ही मुश्किलों से भरी थी। शौहर इमरान ने बिना तलाक दिए दूसरा निकाह कर लिया था। बेटे की गले की बीमारी के इलाज के लिए ससुराल वाले मायके से पैसे माँगते थे। प्रताड़ना से तंग आकर वो मायके लौट आईं। वहाँ उनकी मुलाकात राहुल मुलहेड़ा से हुई, जिन्होंने उनकी आवाज को पहचान दी।

फरमानी ने बताया, “मैं अपने बच्चे का पेट पालने के लिए गाती हूँ। जो लोग आज विरोध कर रहे हैं, वो तब कहाँ थे जब मेरे शौहर ने मुझे छोड़ दिया?” राहुल ने 2017 में एक यूट्यूब चैनल शुरू किया था, जिसमें फरमानी की आवाज लोगों तक पहुँची। साल 2020 में उनका चैनल ‘फरमानी नाज सिंगर’ बन गया। अब इस चैनल का नाम ‘नाज म्यूजिक’ है, जिसके 1.71 मिलियन फॉलोवर्स हैं।

‘हर हर शंभू’ गाने पर उन्हें नेहा कक्कड़ की तारीफ मिली, लेकिन कट्टरपंथियों ने फतवा जारी कर दिया। उन्हें गालियाँ और धमकियाँ मिलीं। एक यूजर मोहम्मद अमजद ने लिखा, “शर्म करो फरमानी, अखिरियत का खौफ करो।” फिर भी फरमानी डटी रहीं। गानों से मिले पैसों से उन्होंने 8 लाख का कर्ज चुकाया और घर ठीक करवाया।

शहनाज और फरमानी की कहानी एक जैसी है। दोनों ने सनातन के प्रति अपनी भक्ति दिखाई, लेकिन अपने ही समुदाय के कट्टरपंथियों के गुस्से का शिकार हुईं। एक तरफ फरमानी मुस्लिम होकर भी भजन गा रही हैं, तो शहनाज ने सनातन का हाथ थामने के बाद भी अपना नाम नहीं बदला। जो ये बताता है कि सनातन में सभी की स्वीकार्यता है, लेकिन दूसरी तरफ के कट्टरपंथियों को दिक्कत कुछ ज्यादा ही होती है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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