Saturday, November 23, 2024
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52 साल में IAS बनने वाली शैलबाला मार्टिन: मंदिर के भजन से दिक्कत, स्कूल में ईसाई प्रार्थना से प्यार, मिशनरियों के धर्मांतरण का करती हैं बचाव

मध्य प्रदेश की प्रमोटी आईएएस अधिकारी शैलबाला मार्टिन ने हिंदू मंदिरों में लाउडस्पीकर लगाने का विरोध किया है। शैलबाला ने अपने बयानों में मंदिरों पर तंज कसा है।

शैलबाला मार्टिन, मध्य प्रदेश की एक प्रमोटी आईएएस अधिकारी, पिछले कुछ समय से अपने ट्वीट्स और बयानों के कारण चर्चा में रही हैं। उन्हें मंदिर पर लगे लाउडस्पीकर ध्वनि प्रदूषण की वजह लगते हैं। मंदिर पर आवाज उठाने वाली शैलबाला मार्टिन ने क्या कभी मस्जिद के लाउडस्पीकर या चर्च में होने वाली गतिविधियों पर सवाल उठाए हैं? आइए, इस रिपोर्ट में हम उनके बयानों और सार्वजनिक जीवन पर एक नजर डालते हैं।

शैलबाला मार्टिन के हिंदू विरोधी बयान

शैलबाला मार्टिन अपने ट्वीट्स और सार्वजनिक बयानों के कारण कई बार विवादों में आ चुकी हैं। विशेषकर, हिंदू त्योहारों और मंदिरों के खिलाफ उनके ट्वीट्स पर लोगों में गुस्सा भर रहा है। हाल ही में उन्होंने मंदिरों पर लगे लाउडस्पीकरों को ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाला बता दिया। शैलबाला ने लिखा, “मंदिरों पर लगे लाउडस्पीकर, जो कई कई गलियों में दूर तक स्पीकर्स के माध्यम से ध्वनि प्रदूषण फैलाते हैं, जो आधी-आधी रात तक बजते हैं, उनसे किसी को डिस्टर्बेंस नहीं होता?”

धार्मिक संवेदनशीलता के इस मुद्दे को लेकर कई लोग मानते हैं कि शैलबाला ने हिंदू मंदिरों में लाउडस्पीकर के उपयोग को निशाना बनाया, जबकि उन्होंने ईसाई प्रार्थनाओं और धार्मिक अनुष्ठानों पर कभी सवाल नहीं उठाया।

शैलबाला के इस ट्वीट पर लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया दी। विष्णु झा ने लिखा, “ईसाई मिशनरियों के टुकड़े पे पली बढ़ी औरत से क्या उम्मीद की जानी चाहिए। क्या ये औरत इस्लाम की कुरीतियों पे बोल सकती है। हिंदू धर्म को टारगेट करना सबसे आसान काम लगता है। इस मिशनरी औरत से हिजाब, हलाला, मुस्लिम बहुविवाह, ट्रिपल तलाक पे तो आज तक बोलते नहीं दिखा। ऐसी मिशनरी औरत तो…”

विष्णु झा के तीखे हमले को शैलबाला बर्दाश्त नहीं कर पाई और तुरंत ही मिशनरियों के बचाव में उतर गई। उसे अपनी परवरिश से जोड़ते हुए शैलबाला ने लिखा, “कम से कम मेरे माता पिता और मिशनरियों ने मुझे सभ्य भाषा का इस्तेमाल करना और निष्पक्ष रूप से बोलना तो सिखाया है। इसका मुझे गर्व है। अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने वालों के लिए यहाँ कोई जगह नहीं है। इसलिए आपको बाइज़्ज़त यहाँ से रवाना किया जा रहा है।”

यही नहीं, ईसाई मिशनरियों का गुणगान करने वाली शैलबाला मौका मिलते ही हिंदुओं पर हमला बोलना शुरू कर देती है, संदर्भ चाहे कितना भी अलग क्यों न हो। राजस्थान के सीकर में बलात्कार के मामले को सदफ अफरीन नाम की मुस्लिम आईडी से एक्स पर शेयर किया गया, तुरंत ही शैलबाला ने उस पर तंज कस दिया। शैलबाला ने तंज कसते हुए लिखा, “भेष देख मत भूलये, बुझि लीजिये ज्ञान। बिना कसौटी होत नहिं, कंचन की पहिचान।।” उनका तंज सीधे-सीधे भगवा वस्त्रों और हिंदू संतों की तरफ था।

हालाँकि बाबा बालकनाथ गिरफ्तार हो चुका है और उसका हिंदुओं ने जमकर विरोध किया है, लेकिन शैलबाला को सिर्फ हिंदुओं पर उंगली उठानी थी, तो उठा लिया और ईसाई मिशनरियों के कुकृत्यों पर चुप्पी साध ली। वो अलग बात है कि शैलबाला हिंदुओं पर तंज कसती हैं, तो उन्हीं के राज्य एमपी में कुछ समय पहले ही क्रिश्चियन मिशनरी के खेल बेनकाब हो रहे थे। ये मामला डिंडोरी जिले के समनापुर थाना क्षेत्र के जुनवानी गाँव का था, जहाँ रोमन कैथोलिक समुदाय के एक स्कूल की 8 छात्राओं से स्कूल के प्रिंसिपल, गेस्ट टीचर समेत कई लोगों पर छेड़छाड़ व अश्लीलता का आरोप लगा था।

स्कूल जबलपुर डायोकेसन एजुकेशन सोसाइटी (जेडीईएस) द्वारा चलाया जाता है। इस पूरे मामले का राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने भी संज्ञान लिया था, लेकिन शैलबाला मार्टिन के मुँह से एक शब्द भी नहीं निकला था। भले ही वो अप्रैल 2022 से एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर सक्रिय हैं, लेकिन ईसाई स्कूलों में रेप, धर्मांतरण जैसे मामलों पर वो खामोशी की चादर ओढ़ लेती हैं।

ईसाई मिशनरियों के मतांतरण का करती हैं बचाव

शैलबाला मार्टिन अपने ईसाई धर्म पर गर्व व्यक्त करती रही हैं और इस संबंध में उन्होंने कई विवादित बयान दिए हैं। उनका मानना है कि ईसाई मिशनरियाँ केवल शिक्षा और सेवा कार्यों के लिए जानी जाती हैं और उनके ऊपर लगे धर्मांतरण के आरोप निराधार हैं।

उन्होंने एक ट्वीट में लिखा, “अगर क्रिश्चियन स्कूलों में धर्मांतरण करवाया जाता तो आज हमारी आबादी का एक बड़ा हिस्सा क्रिश्चियन होता। क्रिश्चियन आबादी की यह वृद्धि आँकड़ों में परिलक्षित नहीं होती है।”

यह बयान मिशनरियों के बारे में फैले मिथकों और पूर्वाग्रहों का विरोध करने का उनका प्रयास था। ये अलग बात है कि क्रिश्चियर मिशनरी स्कूलों में शिक्षा देने के नाम पर मतांतरण की साजिशों के जाल गहरे तक फैले हैं। अभी हाल ही में मथुरा से एक मामला सामने आया, जिसमें मिशनरी स्कूल के लोग बड़े पैमाने पर मतांतरण करा रहे थे, खासकर स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के परिजनों और परिवार के। ऐसे अनगिनत मामले खंडवा से लेकर जबलपुर तक सामने आते रहे हैं।

ऑपइंडिया ने अपनी स्पेशल रिपोर्ट में बताया था कि किस तरह से मध्य प्रदेश के कोरबा में क्रिश्चियन मिशनरी और कॉन्ग्रेसी नेताओं की मिलीभगत से पूरा इलाका ही लैंड जिहाद का शिकार हो गया।

मतांतरण का बचाव करने वाली शैलबाला ने यूपी की एक घटना को लेकर फिर से मिशनरी स्कूलों को सही ठहराने की कोशिश की। ये घटना स्कूल के प्रिंसिपल द्वारा बच्ची के यौन शोषण से जुड़ी थी, जिस पर शैलबाला ने लिखा, “यही घटना अगर किसी कॉन्वेंट में हो गई होती तो नंगा नाच शुरू हो जाता।”

शैलबाला ने जिस ट्वीट को कोट करते हुए मिशनरी स्कूलों को क्लीनचिट दी, वो मामला दूसरे राज्य का था। (फोटो साभार: X)

शैलबाला मार्टिन ने मिशनरी स्कूलों को क्लीनचिट तो दे दी, साथ ही हिंदुओं पर निशाना भी साध लिया। लेकिन वो इस बात पर चुप्पी साधे रखी कि मिशनरी स्कूलों में खुलेआम यौन शोषण, पैसों का लालच देकर मतांतरण जैसे अनेकों मामले सामने आ चुके हैं। ऑपइंडिया ने अपनी रिपोर्ट में साल 2022 में 15 ऐसे मामलों को सामने रखा था, जहाँ बच्चों को दबाव में ईसाई बनाया गया और उनका यौन शोषण भी किया गया।

ऐसा ही मामला दमोह से भी सामने आया, जहाँ क्रिश्चियन मिशनरी द्वारा संचालित स्कूल में मतांतरण के लिए दबाव डाले जाने की रिपोर्ट्स आई।

ये वही आईएएस हैं, जिन्हें मंदिर के लाउडस्पीकर से ध्वनि प्रदूषण की समस्या होती है, लेकिन शैक्षणिक संस्थान में जहाँ बच्चे पढ़ाई करते हैं, उसे शैलबाला मार्टिन जायज मानती हैं। उन्हें इसाई मिशनरियों की गाथा गाने से ही शायद फुरसत नहीं मिली, इसलिए इतनी बड़ी घटनाओं का ये कहकर बचाव करती रही, कि क्रिश्चियन प्रार्थना अपराध नहीं है। हालाँकि दोनों ही मामलों का संदर्भ अलग था, लेकिन ये शैलबाला की हिप्पोक्रेसी को जानने के लिए काफी है।

सरकारी सेवा में रहकर राजनीतिक बयानबाजी की भी आदत

यही नहीं, सरकारी सेवा में रहते हुए भी शैलबाला मार्टिन न सिर्फ सरकार की, बल्कि देश के बलिदानी अमर जवानों के बलिदान का भी मजाक उड़ाती रही हैं। पूर्व सीडीएस जनरल बिपिन रावत के बलिदान को लेकर किए गए ट्वीट पर जवाब देते हुए शैलबाला ने लिखा, “वैसे भी आदरणीय मिश्राजी शहीद तो अरबी भाषा का शब्द है। ये लोग इसे कैसे इस्तेमाल कर रहे हैं?” यह टिप्पणी एक ऐसे संदर्भ में आई थी जब सीडीएस बिपिन रावत के बलिदान पर चर्चा हो रही थी।

शैलबाला मार्टिन के ट्वीट्स और उनके विचारों ने उन्हें एक विशेष धार्मिक विचारधारा का समर्थक दिखाया है। खासकर सोशल मीडिया पर उनके कुछ पोस्ट्स को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि वे एक सरकारी अधिकारी होते हुए भी अपने धर्म के प्रति अत्यधिक लगाव और अन्य धर्मों के प्रति विरोधाभासी दृष्टिकोण रखती हैं। यह स्थिति तब और जटिल हो जाती है जब वे अपने ईसाई धर्म का बचाव करती हैं और ईशू के विचारों को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर शेयर भी करती हैं।

कौन हैं शैलबाला मार्टिन?

शैलबाला मार्टिन का जन्म 9 अप्रैल 1965 को मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में एक ईसाई परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता धार्मिक और सामाजिक सेवाओं से जुड़े रहे, जिससे उनकी परवरिश में धार्मिक शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान रहा। शैलबाला ने अपनी शिक्षा इंदौर के होल्कर साइंस कॉलेज से प्राप्त की, जहाँ उन्होंने मास्टर ऑफ आर्ट्स (एम.ए.) की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने 2009 में मध्य प्रदेश राज्य सेवा में प्रवेश किया, जहाँ से 2017 में वे प्रमोट होकर भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में शामिल हुईं। वर्तमान में वे मध्य प्रदेश सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग में कार्यरत हैं।

इस मुद्दे पर संस्कृति बचाव मंच के अध्यक्ष पंडित चंद्रशेखर तिवारी ने शैलबाला मार्टिन पर सवाल उठाते हुए कहा कि मंदिरों में सुरीली आवाज में आरती और मंत्रों का उच्चारण होता है ना कि दिन में 5 बार लाउडस्पीकर पर अजान की तरह बोला जाता है। मेरा शैलबाला मार्टिन जी से सवाल है कि उन्होंने कब किसी मोहर्रम के जुलूस पर पथराव होते हुए देखा? जबकि हिन्दुओं के जुलूस पर पथराव हो रहा है और इसलिए मार्टिन मैडम आपको हिंदू धर्म की भावनाओं को ठेस पहुँचाने का कोई अधिकार नहीं है।

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श्रवण शुक्ल
श्रवण शुक्ल
Shravan Kumar Shukla (ePatrakaar) is a multimedia journalist with a strong affinity for digital media. With active involvement in journalism since 2010, Shravan Kumar Shukla has worked across various mediums including agencies, news channels, and print publications. Additionally, he also possesses knowledge of social media, which further enhances his ability to navigate the digital landscape. Ground reporting holds a special place in his heart, making it a preferred mode of work.

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