महाराष्ट्र से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जहाँ शिवसेना सांसद भावना गवली ने अपनी ही मिल को कंगाल घोषित कर के उसे औने-पौने दाम में खुद ही खरीद लिया। मामला एक चीनी मिल का है, जिसका नियंत्रण यवतमाल-वाशिम लोकसभा क्षेत्र की शिवसेना सांसद भावना गवली के परिवार के पास है। उन्होंने अपनी चीनी मिल के लिए एक बड़ा लोन लिया, इसके बाद कंपनी को कंगाल घोषित कर दिया। उन्होंने खुद ही ‘Liquidator’ बन कर इस कंपनी के प्रतिनिधि के रूप में इसे कंगाल घोषित करवाया।
इसके बाद शिवसेना सांसद ने अपनी ही एक अन्य कंपनी के जरिए उस कंगाल घोषित चीनी मिल को औने-पौने दाम में खरीद लिया। स्पष्ट है, ऐसा इसीलिए किया गया क्योंकि उन्होंने चीनी मिल के जरिए बैंक के लोन को नहीं चुकाया। ये सब हमारा नहीं, बल्कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) का कहना है। इस मामले में जाँच एजेंसी ने भावना गवली के अलावा उनके सहयोगी सईद खान के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है। भावना गवली यवतमल-वाशिम से लगातार तीसरी बार सांसद बनी हैं।
उससे पहले इस लोकसभा क्षेत्र का नाम वाशिम था। तब भी 1999 और 2004 में भावना गवली ने यहाँ से बतौर सांसद उम्मीदवार जीत दर्ज की थी। इस तरह वो 2024 में बतौर सांसद 25 वर्ष पूरे कर लेंगी। फ़िलहाल वो महाराष्ट्र की सब वरिष्ठ लोकसभा सांसद हैं। ये भी जानने लायक बात है कि अपनी अन्य कंपनी के जरिए अपनी ही कंगाल चीनी मिल को खरीदने वाली भावना गवली के इस करार को एक जिस बैंक के माध्यम से पूरा किया गया, वो भी उनका ही था।
ED इस ‘श्री बालाजी सहकारी पार्टिकल कारखाना डील’ की जाँच कर रही है। अगस्त 2021 में उनके कई ठिकानों पर जाँच एजेंसी ने छापेमारी भी की। स्पेशल PMLA कोर्ट में दायर की गई चार्जशीट में ED ने इस गड़बड़झाले का खुलासा किया है। ‘श्री बालाजी सहकारी पार्टिकल लिमिटेड’ की स्थापना भावना गवली के पिता पुण्डरीकराव गवली ने की थी। 72 वर्षीय पुण्डरीकराव गवली खुद भी वाशिम से 1996 में सांसद रह चुके हैं। मिल की स्थापना उन्होंने 1992 में की थी।
1997 से 2001 के बीच इस मिल ने ‘नेशनल कोऑपरेटिव डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन बैंक’ से 43 करोड़ रुपए का लोन ले लिया। पुण्डरीकराव तब इस मिल के चेयरमैन हुआ करते थे। जिस प्रोजेक्ट के लिए ये लोन लिया गया था, उसे पूरा नहीं किया जा सका। मिल के प्रबंधन ने इसके बाद एक लिक्विडेटर की नियुक्ति की, जो 35 एकड़ वाले इस मिल को नीलाम करेगी। नीलामी से बैंक को लोन चुकाना था। पुण्डरीकराव ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर के अपनी बेटी को ही लिक्विडेटर बोर्ड का अध्यक्ष बनवा दिया।
इसके बाद लिक्विडेटर ने अख़बारों में एक विज्ञापन निकाला। इसके बाद ‘भावना एग्रो प्रोडक्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड’ को इस मिल को खरीदने का पात्र बता कर चुना गया। इस कंपनी का नियंत्रण उसके ही पास था। कंपनी को ये मिल 7.09 करोड़ रुपए में बेच दिया गया। इसके बाद मिल की 35 एकड़ जमीन को भी ‘महिला उत्कर्ष प्रतिष्ठान ट्रस्ट’ को बेच दिया गया। इस कंपनी का नियंत्रण भी गवली परिवार के पास ही है। इसके बाद इस ट्रस्ट को एक नॉन-प्रॉफिट कंपनी में बदल दिया गया।
Shivsena MP Bhavna Gavli ₹100 Crore Scam.
— Kirit Somaiya (@KiritSomaiya) January 4, 2022
Fraud in
Balaji Sahkari Karkhana,
Bhavna Agro,
Mahila Utkarsh Pratisthan,
Mahila Utkarsh Pvt Ltd,
Cooperative Credit Society..
Cheated
State Bank
NCDC
Pusad Bank
Risod Bank
Chargesheet Filed
Hisab to Dena Padega @BJP4India pic.twitter.com/VfnnZLICRo
11 ट्रस्टियों वाले इस ट्रस्ट को नॉन-प्रॉफिट कंपनी में बदलने के लिए ‘कंपनी एक्ट’ के सेक्शन-8 का इस्तेमाल किया गया, जिसके तहत भावना गवली की माँ शालिनी और सहयोगी सईद खान को डायरेक्टर नियुक्त किया गया। इसके माध्यम से गवली परिवार इस 35 एकड़ जमीन का स्वामी बन गया। ED ने पाया है कि ये ट्रस्ट 22 शैक्षिक संस्थान चलाता है, जिसमें फार्मास्यूटिकल कॉलेज भी शामिल हैं। ये ट्रस्ट हर साल डोनेशन के रूप में हर साल कैश में 20 करोड़ रुपए जुटाता है।
‘भावना एग्रो प्रोडक्ट एंड सर्विसेज’ के निदेशकों में से एक अशोक गंडोले ने ED को अपने बयान में बताया कि अप्रैल 2010 में ये कंपनी बनी और उसी साल अगस्त में मिल को खरीद लिया। इस दौरान 75 लाख रुपए दिए गए और बाकी के 6.84 करोड़ रुपए के लिए बैंक गारंटी दी गई। जिस ‘रिसोड अर्बन कोऑपरेटिव बैंक’ की गारंटी दी गई, उसका प्रबंधन भी गवली परिवार के पास ही है। ट्रस्ट को कंपनी में बदलने के दौरान भी 18 करोड़ रुपए की गड़बड़ी के आरोप हैं।