Friday, April 19, 2024
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आफताब ने श्रद्धा का मर्डर किया… क्योंकि इंटरनेट पर सब कुछ आसानी से मिलता है: बॉम्बे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस का तर्क

"लोगों ने श्रद्धा मर्डर केस के बारे में में पढ़ा होगा। इस तरह से अपराधों में बढ़ोत्तरी इसलिए हो रही है क्योंकि इंटरनेट के माध्यम से लोगों को वो तमाम चीजें आसानी से मिल जाती हैं, जिसकी तो तलाश करते हैं।"

श्रद्धा मर्डर केस (Shraddha Murder Case) पर बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता (Chief Justice Dipankar Datta) का भी बयान आया है। शनिवार (19 नवम्बर 2022) को उन्होंने भारत में बढ़ रहे साइबर अपराध पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि इंटरनेट पर हर चीज आसानी से मिल जाने के सकारात्मक के साथ नकारात्मक परिणाम भी होते हैं।

बॉम्बे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस दत्ता ने यह बयान पुणे में टेलीकॉम डिस्प्यूट स्टेटमेंट अपीलेट ट्रिब्यूनल (TDSAT) के ‘टेलीकॉम, ब्रॉडकास्टिंग, आईटी और साइबर सेक्टर्स में डिस्प्यूट रिजॉल्यूशन मैकेनिज्म’ सेमिनार को संबोधित करते हुए दिया।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सेमिनार में बोलते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा कि लोगों ने श्रद्धा मर्डर केस के बारे में अख़बारों में पढ़ा होगा। उन्होंने इसे मुंबई में प्रेम और दिल्ली में खौफ की संज्ञा दी। आगे बोलते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह से अपराधों में बढ़ोत्तरी इसलिए हो रही है क्योंकि इंटरनेट के माध्यम से लोगों को वो तमाम चीजें आसानी से मिल जाती हैं, जिसकी तो तलाश करते हैं।

जस्टिस दत्ता के मुताबिक उन्हें आशा है कि भारत सरकार भी इस दिशा में गंभीरता से विचार कर रही होगी। बॉम्बे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपांकर के मुताबिक हालॉंकि भारत में दूरसंचार विधेयक मौजूद है लेकिन भविष्य की चुनौतियों के लिए एक मजबूत कानून जरूरी होगा।

उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने निजी सम्मान की रक्षा करते हुए समाज में सभी को न्याय दिलाने की दिशा में प्रयास करना होगा। न्यायाधीश ने लोगों से इसे एक टारगेट के तौर पर लेने की अपील की है। NGT (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के मुद्दे पर बोलते हुए जस्टिस दत्ता ने कहा कि इसकी क्षेत्र के हिसाब से बेंच होनी चाहिए। अंत में उन्होंने लोगों से संवैधनिक मूल्यों की रक्षा करने की अपील की।

भारत की साइबर दुनिया में तेजी से हो रहे बदलाव पर जस्टिस दत्ता ने पिछले दिनों की याद दिलाई। उन्होंने बताया कि 1989 में लोगों के पास मोबाइल फोन नहीं थे लेकिन 2-3 वर्षों के अंदर उनके पास पेजर आ गए। पहले मोटोरोला के बड़े हैंडसेट की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि बाद में छोटे हैंडसेट आ गए।

बॉम्बे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता के मुताबिक अब आ रहे फोन में ऐसी चीजें उपब्लध हैं, जो पहले सोच से भी परे थीं। न्यायाधीश ने इस नए सिस्टम में हैकिंग के खतरे बढ़ने से सतर्क करते हुए इसे लोगों की निजता पर हमला बताया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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