Saturday, April 20, 2024
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जगन्नाथ पुरी परिक्रमा परियोजना के खिलाफ याचिका खारिज: SC ने कहा- न्यायपालिका का समय न करें बर्बाद, ₹1 लाख जुर्माना लगाया

शीर्ष अदालत ने इस तरह की याचिकाओं को गैर मेरिट वाला करार देते हुए कहा कि ऐसी याचिकाएँ दायर करना जुडिशियरी के समय की बर्बादी है। कोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ताओं पर 1 लाख रुपए का जुर्माना ठोंका है।

सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा के प्रसिद्ध जगन्नाथ पुरी में ओडिशा सरकार द्वारा कराए जा रहे निर्माण कार्यों को अवैध बताकर ओडिशा हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। याचिकाकर्ता ने पुरी में श्री जगन्नाथ मंदिर की मेघनाद दीवार के चारों ओर ‘परिक्रमा प्रकल्प’ या पुनर्विकास कार्य को अवैध बताया था।

अपने फैसले में शीर्ष अदालत ने इस तरह की याचिकाओं को गैर मेरिट वाला करार देते हुए कहा कि ऐसी याचिकाएँ दायर करना जुडिशियरी के समय की बर्बादी है। कोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ताओं पर 1 लाख रुपए का जुर्माना ठोंका है। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस परियोजना से लाखों भक्तों को लाभ मिलेगा और ये याचिका उनके हितों के खिलाफ है। कोर्ट के मुताबिक, याचिकाकर्ता केवल व्यक्तिगत महिमामंडन की माँग कर रहे थे।

लॉ बीट का ट्वीट

इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने इन याचिकाकर्ताओं द्वारा जल्द से जल्द लिस्टेड करने की माँग के तरीकों पर भी नाराजगी व्यक्त की और तल्ख टिप्पणी की कि याचिकाकर्ताओं ने ऐसा हंगामा खड़ा किया कि जैसे अगर प्राथमिकता के आधार पर याचिका पर सुनवाई नहीं की तो आसमान टूट पड़ेगा। कोर्ट के फैसले के मुताबिक, 12वीं शताब्दी के जगन्नाथ मंदिर की मेघनाद दीवार के आसपास ओडिशा सरकार अब निर्माण कार्यों को जारी रख सकती है।

मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस गवई की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि राज्य सरकार को मंदिर के आसपास खुदाई और निर्माण कार्य करने से नहीं रोक सकते। यह देखा गया है कि मौजूदा परियोजना मृणालिनी पाधी बनाम भारत संघ 2019 के फैसले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार और प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम 1958 के अनुसार भी है। कोर्ट ने कहा कि ये जगन्नाथ मंदिर में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के हित में है।

याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि राज्य सरकार ने उत्खनन कार्य करने से कोई मंजूरी नहीं ली थी। हालाँकि, राज्य सरकार ने कहा कि सभी आवश्यक अनुमतियाँ और मंजूरी प्राप्त कर ली गई है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में ओडिशा सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता पिनाकी मिश्रा भी पुरी के मौजूदा सांसद हैं। उन्होंने फैसले को ‘भगवान जगन्नाथ की इच्छा’ बताया है और कहा है कि नवीन पटनायक को सही ठहराया गया है।

क्या है श्री मंदिर परिक्रमा परियोजना

गौरतलब है कि श्री मंदिर परिक्रमा प्रकल्प और जगन्नाथपुरी मंदिर विरासत गलियारा परियोजना का उद्घाटन ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक ने नवंबर 2021 में किया था। पुरी के तत्कालीन ‘ओडिशा के राजा’ गजपति महाराज ने इस परियोजना के भव्य समारोह में इसका शिलान्यास किया था।

मंदिर विकास की इस परियोजना के तहत मंदिर के आसपास 75 मीटर के क्षेत्र को पहले सभी अवैध अतिक्रमणों से मुक्त किया गया था और भव्य रथ यात्रा उत्सव के लिए इसे पक्का और चौड़ा किया गया था। इस परियोजना में 12वीं शताब्दी के मंदिर की दीवार की सुरक्षा के लिए कई सुविधाओं का विकास शामिल है। अगस्त 2019 में ओडिशा सरकार ने घोषणा की कि 12 वीं शताब्दी के मंदिर की सुरक्षा और अखंडता सुनिश्चित करने के लिए जगन्नाथ मंदिर की मेघनाद दीवार के 75 मीटर के दायरे में सभी संरचनाओं को हटा दिया जाएगा।

इसके लिए जस्टिस बीपी दास आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के पहले चरण को लागू करने का निर्णय लिया गया था। हालाँकि, कई संगठनों ने सरकार के अतिक्रमण विरोधी अभियानों का विरोध किया। सीएम नवीन पटनायक ने कहा था कि वो पुरी को विश्व स्तरीय विरासत में बदलना है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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