Tuesday, July 15, 2025
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गिरफ्तारी का लिखित आधार नहीं, छोड़ दीजिए: सुप्रीम कोर्ट से ‘टेक्निकल ग्राउंड’ पर NewsClick वाले प्रबीर पुरकायस्थ को राहत, चीन से पैसा लेकर करता था भारत विरोधी दुष्प्रचार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 4 अक्टूबर 2023 को रिमांड आदेश पारित करने से पहले प्रबीर पुरकायस्थ या उनके वकील को रिमांड आवेदन की कॉपी भी नहीं की गई थी। इसका मतलब यह था कि गिरफ्तारी का आधार उन्हें लिखित रूप में नहीं दिया गया था। दिल्ली पुलिस की जिम्मेदारी थी कि गिरफ्तारी के आधार को लिखित रूप में दे।

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (15 मई 2024) को वामपंथी प्रोपेगेंडा वेबसाइट न्यूज़क्लिक के संस्थापक एवं प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ को बड़ी राहत है। हालाँकि, यह राहत तात्कालिक ही है। शीर्ष अदालत ने दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तारी और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम 1967 (UAPA) के तहत एक मामले में उनकी रिमांड को अवैध घोषित कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि न्यूज़क्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ की गिरफ़्तारी और उसके बाद रिमांड अवैध थी। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि रिमांड से पहले उन्हें या उनके वकील को गिरफ्तारी के आधार नहीं बताए गए थे। इतना ही नहीं, पुरकायस्थ के वकील को रिमांड आवेदन की कॉपी भी नहीं दी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 4 अक्टूबर 2023 को रिमांड आदेश पारित करने से पहले प्रबीर पुरकायस्थ या उनके वकील को रिमांड आवेदन की कॉपी भी नहीं की गई थी। इसका मतलब यह था कि गिरफ्तारी का आधार उन्हें लिखित रूप में नहीं दिया गया था। दिल्ली पुलिस की जिम्मेदारी थी कि गिरफ्तारी के आधार को लिखित रूप में दे।

न्यायालय ने कहा कि 4 अक्टूबर, 2023 को रिमांड आदेश पारित करना से पहले इसकी कॉपी अपीलकर्ता को नहीं दी गई। नतीजतन, अपीलकर्ता इस अदालत द्वारा पंकज बंसल के मामले में दिए गए फैसले को लागू करके हिरासत से रिहाई के निर्देश का हकदार है। इसके बाद कोर्ट ने पुरकायस्थ को रिहाई का आदेश दे दिया।

हालाँकि, अदालत ने आदेश दिया कि रिहाई ट्रायल कोर्ट की संतुष्टि के अनुसार जमानत और बांड प्रस्तुत करने के अधीन होगी, क्योंकि आरोप पत्र दायर किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की खंडपीठ ने 30 अप्रैल 2024 को बहस पूरी करने के बाद फैसला सुनाया।

बता दें कि प्रबीर पुरकायस्थ चीन से धन लेकर राष्ट्र विरोधी दुष्प्रचार करने के आरोप में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत 3 अक्टूबर 2023 से हिरासत में थे। कोर्ट में पुरकायस्थ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल पेश हुए। वहीं, दिल्ली पुलिस की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू पेश हुए।

प्रबीर पुरकायस्थ ने अपनी गिरफ्तारी की वैधता को चुनौती देते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने दलील दी कि पंकज बंसल मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार गिरफ्तारी के आधार उन्हें लिखित रूप में नहीं दिए गए थे। दिल्ली पुलिस ने तर्क दिया कि गिरफ्तारी का आधार रिमांड आवेदन में शामिल थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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