Sunday, July 6, 2025
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शादीशुदा महिला ने 10 साल छोटे किराएदार से किया सेक्स, फिर दर्ज करवाई रेप की FIR: मामला रद्द करते हुए SC ने कहा- सहमति से बने थे सम्बन्ध

महिला पहले से विवाहित थी और अपने पति से विवाद के चलते अपने माता-पिता के साथ रहती थी। उसके एक 15 वर्ष की बेटी भी है। उसी के घर में एक किराएदार आकर रहने लगा था जो कि महिला से 10 वर्ष छोटा था। दोनों के बीच में शारीरिक सम्बन्ध बन गए। दोनों ने कई मौकों पर सेक्स किया।

सुप्रीम कोर्ट ने एक व्यक्ति के खिलाफ शादी का वादा करके रेप करने के मामले में दर्ज FIR रद्द कर दी। कोर्ट ने कहा कि महिला समझदार थी और पहले से शादीशुदा भी थी, ऐसे में शादी का वादा करके रेप का मामला नहीं बन सकता।

मामले के अनुसार, एक व्यक्ति ने सतना में अपने विरुद्ध दर्ज की गई एक FIR को रद्द करने की अपील सुप्रीम कोर्ट में की थी। इस व्यक्ति के विरुद्ध के एक महिला ने शादी का वादा करके रेप करने के सम्बन्ध में दिसम्बर 2020 में FIR दर्ज करवाई थी।

महिला पहले से विवाहित थी और अपने पति से विवाद के चलते अपने माता-पिता के साथ रहती थी। उसके एक 15 वर्ष की बेटी भी है। उसी के घर में एक किराएदार आकर रहने लगा था जो कि महिला से 10 वर्ष छोटा था। दोनों के बीच में बाद में नजदीकियाँ बढ़ गई और शारीरिक सम्बन्ध बन गए। दोनों ने कई मौकों पर सेक्स किया।

महिला ने इस बीच अपने पहले पति से तलाक के लिए मामला भी दायर कर दिया। हालाँकि, महिला का बाद में किराएदार से कुछ विवाद हो गया। महिला ने उसके खिलाफ एक FIR दर्ज करवा दी। महिला ने आरोप लगाया कि उसने महिला से शादी का वादा किया था। इसी के आधार पर उसने सम्बन्ध बनाए थे। बाद में यह व्यक्ति इससे मुकर गया।

महिला ने यह भी आरोप लगाया कि उसने इस व्यक्ति से एक मंदिर में 2019 में शादी भी कर ली थी। इसी आधार पर उसने इस व्यक्ति के विरुद्ध मामला दर्ज करवाया था। आरोपित ने इस मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के समक्ष FIR रद्द करने की अपील की थी। हालाँकि, यहाँ से उसे निराशा हाथ लगी थी।

इसके बाद यह व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट पहुँचा। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस राजेश बिंदल की बेंच ने की। उन्होंने इस FIR को रद्द कर दिया और कुछ महत्वपूर्ण बातें इस मौके पर कहीं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “यहाँ स्पष्ट है कि पहले शादी का कोई वादा नहीं था। यह कोई ऐसा मामला नहीं है जहाँ महिला कोई बच्ची थी जो अपना भविष्य ना देख सके। उसे भली भांति अपना अच्छा बुरा पता था और उसने सहमति से अपनी पहली शादी के बावजूद ऐसा किया, असल में तो यह मामला अपने पति को धोखा देने का बनता है।”

कोर्ट ने कहा कि जहाँ महिला ने 2018 में ही अपने पहले पति से तलाक लेने की बात पुलिस के सामने कही, वहीं यह तलाक 2021 में कोर्ट द्वारा दिया गया। ऐसे में उसके द्वारा मंदिर में की गई शादी का कोई आधार भी नहीं बनता। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि महिला ने अपनी सहमति से ही सेक्स किया था।

कोर्ट ने यह भी कहा कि यह विश्वास करना बड़ा मुश्किल होगा कि एक ही घर में दोनों सेक्स कर रहे थे और महिला के माता-पिता तथा बेटी को इसकी जानकारी भी थी जबकि महिला पहले से शादीशुदा थी। कोर्ट ने कहा कि महिला की शिकायत में कई गड़बड़ियां हैं। यह न्याय प्रक्रिया की अवहेलना के अंतर्गत आता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दर्ज FIR को रद्द कर दिया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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