Wednesday, May 14, 2025
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‘हम हिंदुस्तान में हैं या पाकिस्तान में? जय श्री राम नहीं बोल सकते?’: जहाँगीरपुरी दंगा में पुलिस हिरासत से छूटे सुरेश सरकार, कहा – दिल्ली में कश्मीर वाले हालात

जब सुरेश सरकार से हम बात कर रहे थे उसी दौरान उनके घर के कुछ ही दूर पर एक बड़े डंडे से बाँधे गए 2 माइकों से इस्लामी गाने जोर-जोर से बजाए जाने लगे। वहाँ मौजूद लोगों ने बताया कि उस तरफ मुस्लिम आबादी ज्यादा रहती है और ये शोरगुल यहाँ आम बात है।

दिल्ली के जहाँगीरपुरी में 16 अप्रैल, 2022 को हनुमान जयंती शोभायात्रा पर हमले के बाद पुलिस ने दोनों पक्षों के कई लोगों को हिरासत में लिया। इस हिंसा का मास्टरमाइंड अंसार बताया जा रहा है। हिन्दुओं के पक्ष से जिन लोगों को हिरासत में लिया गया, उसमें परिवार के बाकी सदस्यों के साथ सुरेश सरकार भी शामिल थे। लगभग 30 घंटे चली पूछताछ के बाद उन्हें छोड़ दिया गया था। ऑपइंडिया ने सुरेश सरकार से 28 अप्रैल, 2022 को पूरे प्रकरण पर बात की।

जब ऑपइंडिया की टीम सुरेश सरकार से मिलने पहुँची तब दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच का एक अधिकारी उनके द्वारा नीरज सरकार की जमानत में पेश किए गए कागजातों की जाँच G ब्लॉक चौराहे पर कर रहे थे। मौके पर शोभा यात्रा का टूटा रथ पड़ा था। हमले में तोड़ी गई हनुमान प्रतिमा को सरकार परिवार ने फिर से विधि विधान के साथ मंदिर में स्थापित कर दिया।

मंदिर में फिर स्थापित हुई हनुमान प्रतिमा और चल रही पूजा

परिवार के 2 सदस्यों की हो गई जमानत

क्राइम ब्रांच अधिकारी के लौटने के बाद सुरेश सरकार ने बताया, “अभी तक मेरे परिवार के 2 सदस्यों की जमानत मंजूर हो चुकी है। इसमें पहले सदस्य की उम्र 18 साल के आस-पास है। दूसरे नीरज सरकार हैं जिनको परीक्षा के लिए अंतरिम जमानत दी गई है। मैंने जमानत के तौर पर अपना ऑटो रिक्शा लगाया है। अभी भी मेरा भाई और उनके बेटे जेल में हैं।”

‘पुलिस ले जाती है तो आरती नहीं उतारती’

सुरेश ने बताया, “पुलिस जब पकड़ के ले जाती है तो आरती नहीं उतारती। मुझे 30 घंटे कस्टडी में रखा गया। पूछताछ हुई और कई स्थानों पर साइन लिए गए। SHO साहब ने कहा कि कहीं बाहर मत जाना। जब भी पुलिस द्वारा बुलाया जाए तो चले आना। मैं 17 से 19 अप्रैल तक हाजिरी भी लगा कर आया हूँ बीच में थाने पर।”

‘सोचता हूँ कि हिंदुस्तान में रह रहा हूँ या पाकिस्तान में?’

सुरेश के मुताबिक, “कभी-कभी हँसी आती है कि हम हिंदुस्तान में हैं या पाकिस्तान में। अगर हिंदुस्तान में हैं तो क्या ‘जय श्री राम’ नहीं बोल सकते? हम चाहते हैं कि हर हिन्दू जागे। न जाने अभी भी कई लोग सो क्यों रहे हैं? हम रैली भी निकालें और पत्थर भी खाएँ? हम पहले TV में कश्मीर की पत्थरबाजी देखते थे। अब तो हमने देश की राजधानी दिल्ली में ये सब देख लिया।”

‘नुकसान काफी हुआ, पर नहीं मिल रही मदद’

सुरेश के अनुसार, “जिस वाहन से मैं काम करता हूँ उस पर लाठी-डंडे से हमला किया गया। मेरे सिर और पैर में भी चोटें हैं। लेकिन, हमारी आर्थिक मदद के लिए अभी तक कोई नहीं आया। हालाँकि, हमें आटा-चावल की मदद चाहिए भी नहीं। देखो न ओवैसी जैसे कितने लोग उन (विपक्षी) के पीछे आ गए हैं। इसी से विपक्षियों को लगता है कि वो बहुत मजबूत हैं। हिंदुत्व के नाम पर कुछ वकील साथ लगे हैं। अभी जो वकील हमारे परिवार का केस देख रहे हैं उनको पैसे नहीं दिए हैं हमने। उनका नाम मुकेश है जो भाजपा से जुड़े हुए हैं।” सुरेश ने अपने फोन से वकील मुकेश से हमारी बात भी करवाई जिन्होंने नीरज सरकार की पेपर देने के लिए अंतरिम जमानत की पुष्टि की।

बहुत जल्दी भूल जाते हैं हिन्दू

सुरेश सरकार ने कहा, “हिन्दू की बहुत जल्दी भूलने की आदत है। मैं 2020 दंगो में पीड़ित हिन्दू परिवारों से मिला हूँ। उन्होंने कहा कि पहले लोग आए लेकिन अब कोई नहीं आ रहा है। जहाँ भीड़ और पैसे का जोर होता है वहाँ प्रशासन भी चुप रहता है और उनकी ही सुनवाई होती है। अगर हिन्दू भविष्य में पत्थर नहीं खाना चाहता और जेल नहीं जाना चाहता है तो अब उसको जागना होगा और एकजुट रहना होगा।”

इंटरव्यू के दौरान माइक पर जोर-जोर से बजने लगे इस्लामी गाने

जब सुरेश सरकार से हम बात कर रहे थे उसी दौरान उनके घर के कुछ ही दूर पर एक बड़े डंडे से बाँधे गए 2 माइकों से इस्लामी गाने जोर-जोर से बजाए जाने लगे। वहाँ मौजूद लोगों ने बताया कि उस तरफ मुस्लिम आबादी ज्यादा रहती है और ये शोरगुल यहाँ आम बात है। माइक की इन आवाजों को ऑपइंडिया ने रिकार्ड भी किया।

इंटरव्यू के बाद लग गए गौसेवा में

हमसे बातचीत के बाद सुरेश सरकार और उनके परिवार के बाकी सदस्य गौसेवा में लग गए। सुरेश सरकार ने कुछ देर के लिए मंदिर में भजन बजाया। भजन की आवाज मंदिर परिसर तक ही सीमित थी। साथ ही इसके लिए सिर्फ एक छोटे म्यूजिक सिस्टम का प्रयोग किया गया था।

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राहुल पाण्डेय
राहुल पाण्डेयhttp://www.opindia.com
धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।

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