विदेशी प्रोपेगेंडा में भारत सरकार के हस्तक्षेप ने लेफ्ट-लिबरलों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। तिलमिला कर अब वह राष्ट्रवादियों पर गुस्सा उतार रहे हैं। जैसे ही सरकार ने विदेशी हस्तक्षेप के ख़िलाफ़ चेतावनी जारी की, देश के कई अन्य लोगों को हिम्मत मिली। नतीजतन उन्होंने भी आगे आकर पूरे पाखंड की निंदा की। उनकी यह नाराजगी पूर्ण रूप से शांतिपूर्ण और संवैधानिक थी। लेकिन कुछ अन्य ‘भारतीयों’ से यह बर्दाश्त नहीं हुआ।
बॉलीवुड में कभी एक्ट्रेस के तौर पर काम करने वाली फुल टाइम ट्रोल स्वरा भास्कर का भी कुछ यही हाल था। उन्होंने गायिका रिहाना, प्रोटेस्टर ग्रेटा और पूर्व पॉर्न स्टार मिया खलीफा के पुतले जलाए जाने की घटनाओं की निंदा की। ग्रेटा की तो उम्र का हवाला देकर उसका विरोध कर रहे लोगों को चुप कराने की कोशिश हुई।
स्वरा के अनुसार ग्रेटा सिर्फ़ 18 साल की है और यह लोगों को अधिकार नहीं देता कि उसका पुतला जलाया जाए।
ध्यान रहे कि ये वही स्वरा भास्कर हैं जिन्होंने यूट्यूब के कॉमेडी शो ‘SON OF ABISH’ के एपिसोड में एक बाल कलाकार को चू#&% कह दिया था। स्वरा ने बताया था कि अपने एड शूट में उनकी मुलाकात 4 साल के बाल कलाकार से हुई, जिसने उन्हें आंटी कहा और उसे सुन उन्होंने बच्चे को चू*&^ कहा। शो में स्वरा ने बच्चों की तुलना शैतान से की थी और शो के होस्ट ने इस पर सहमति भी जताई थी।
इसके अलावा बच्चों की डॉक्सिंग करने वाले ऑल्ट न्यूज के सह संस्थापक मोहम्मद जुबैर के लिए भी स्वरा ने खूब आवाज उठाई थी। पिछले साल जुबैर पर ट्विटर यूजर जगदीश सिंह ने अपनी पोती के साथ वाली फोटो को हाइलाइट करने का इल्जाम लगा था, जिस पर कट्टरपंथी बलात्कार की धमकी दे रहे थे। ऐसे में स्वरा ने निंदा करने की बजाय जुबैर को समर्थन दिया था।
स्वरा की तरह कई अन्य लिबरल ट्विटर यूजर भी ग्रेटा की उम्र पर प्रोपेगेंडा चलाते दिखे। पत्रकार रोहिणी सिंह ने भी ग्रेटा की उम्र को हाइलाइट किया और सरकारी तंत्र को कोसा।
एनडीटीवी के एंकर विष्णु सोम ने भी ग्रेटा को 18 साल का बता कर दिल्ली पुलिस की एफआईआर को हाइलाइट किया है और उसके लिए संवेदना जगाने की कोशिश की है।
ध्रुव राठी और वामपंथी वकील प्रशांत भूषण भी इसमें कैसे पीछे छूट सकते हैं।
बता दें कि आज ये सब लिबरल सिर्फ़ इसलिए बिदके हुए हैं, क्योंकि विदेशी षड्यंत्र के ख़िलाफ़ देश ने एकजुटता दिखाई है। ग्रेटा की उम्र पर रोना रोने वाले ये वही लोग हैं, जिन्होंने एक 16 साल की लड़की को टारगेट बना लिया था क्योंकि उसने जेएनयू के भारत विरोधी प्रोपेगेंडेबाज कन्हैया कुमार को खुली डिबेट की चुनौती दी थी।
याद हो तो साल 2016 में जाह्नवी ने जेएनयू के कन्हैया कुमार को खुली डिबेट के लिए ललकारा था। उस समय कन्हैया ने पीएम पर इल्जाम लगाए थे। इसके बाद जाह्नवी को बुरी तरह ट्रोल किया गया था।
यही सब देख कर पता चलता है कि स्वरा जैसों के लिए ग्रेटा जैसे बाल प्रोटेस्टर्स की उम्र से कोई लेना-देना नहीं है जब तक वह उनके एजेंडे पर फिट न बैठे। आज जब भारतीय उसकी निंदा इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि उसने भारत के खिलाफ़ माहौल बनाने वालों का खुल कर साथ दिया, तब ये गिरोह उसकी उम्र का उदाहरण देकर लीपापोती करने में लगा है।
हैरानी की बात यह है कि इस पूरे गिरोह को सिर्फ़ एक उम्र ही ऐसा फैक्टर लग रहा है, जिसकी वजह से ग्रेटा की आलोचना नहीं होनी चाहिए। वह ये भूल गए हैं कि हाल में विदेशी षड्यंत्र की पोल खोलने वाले टूलकिट को ग्रेटा ने ही अपने ट्विटर पर साझा किया था।