तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई के मारुथुवमपडी गाँव से चौंकाने वाला मामला प्रकाश में आया है, जहाँ गाँव के लोगों ने गाँव में ही स्थित एक रोमन कैथोलिक चर्च पर धर्मान्तरण नहीं करने पर रास्ता रोकने का आरोप लगाया है। इस मामले को लेकर गाँव के लोगों ने जिले के कलेक्टर से आरोपित चर्च के खिलाफ कार्रवाई करने की माँग की है।
रिपोर्टों के मुताबिक, ग्रामीणों का आरोप है कि चर्च ने उन्हें ईसाई धर्म अपनाने को कहा था, लेकिन जब उन्होंने इससे इनकार कर दिया तो उसने लोगों को प्रताड़ित करने का ये रास्ता निकाला। इसके साथ ही चर्च ने धर्मान्तरण से इनकार करने वाले लोगों के बच्चों को शिक्षा देने से भी इनकार कर दिया है। इस गाँव में करीब 3000 हिंदू रहते हैं, जिन्होंने चर्च की धर्मान्तरण की माँग को ठुकरा दिया था, जिसके बाद चर्च ने तौर पर उस रास्ते पर दीवार खड़ी कर दिया है, जिससे होकर हिंदू मुख्य सड़क तक पहुँचते थे।
चर्च के इस कार्य के बाद गाँव के लोगों ने तिरुवन्नामलाई जिले के कलेक्टर को एक ज्ञापन सौंपकर कैथोलिक चर्च के द्वारा संचालित स्कूल के प्रशासनिक अधिकारी फादर येसुपदम पर ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया है। इसके साथ ही ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया है कि ईसाई पादरी ने पब्लिक रोड को रोकने के लिए चर्च के चारों तरफ चर्च परिसर की दीवार खड़ी कर दिया है। चर्च की स्कूल में हिंदू और ईसाई बच्चों के साथ अलग-अलग व्यवहार का आरोप है।
100 साल से भी अधिक समय से कर रहे सड़क का इस्तेमाल
ग्रामीणों का कहना है कि वो बीते 100 साल से भी अधिक समय से इस सड़क का इस्तेमाल करते रहे हैं। लेकिन जब से चर्च ने इस रास्ते को बंद कर दिया है, तब से लोगों को पब्लिक ट्रांसपोर्ट तक पहुँचने के लिए लोगों को लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है। लोगों ने शिकायत की है कि कोरोना के कारण दो साल तक स्कूल बंद होने के बाद जब स्कूल खुला तो वे खुश थे, लेकिन चर्च के स्कूल अधिकारियों ने उन्हें धर्मान्तरण करने के लिए कहा।
आरोप ये भी हैं कि स्कूल की माँग के मुताबिक, पूरी ट्यूशन फीस और दूसरी फीस का भुगतान करने के बाद भी हिंदू छात्रों को किसी भी तरह की रियायत नहीं दी जाती है। बल्कि, परीक्षा शुरू होने पर हिंदू छात्रों को स्कूल आने से मना कर दिया गया। स्थानीय लोगों के मुताबिक, अब तो चर्च की स्कूल में केवल ईसाई बच्चों को ही अंदर जाने की इजाजत है। हालाँकि, इस मसले पर चर्च के पादरी ने विवादित जमीन को चर्च की ही बताया है और ये भी दावा किया कि उसे इस पर दीवार बनाने का अधिकार है। इस मामले में जानकारी के लिए ऑपइंडिया ने तिरुवन्नामलाई जिले के अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कोई जबाव नहीं दिया गया।