उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि एवं शाही ईदगाह ढाँचा विवाद में हिंदू पक्ष के मुख्य पक्षकार महंत कौशल किशोर ठाकुर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखी है। चिट्ठी मथुरा वृंदावन नगर निगम द्वारा धर्मार्थ संस्थानों से जल कर एवं गृह कर के रूप में वसूली जा रही भारी-भरकम राशि से संबंधित है।
इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नगर निगम प्रशासन से मंदिरों, आश्रमों एवं धर्मार्थ संस्थानों से न्यूनतम कर वसूलने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिया था। हालाँकि, महंत कौशल किशोर का कहना है कि अधिकारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश की अनदेखी कर रहे हैं और धर्मार्थ संस्थानों से मनमानी कर वसूल कर रहे हैं।
कौशल किशोर ठाकुर ने अपनी चिट्ठी में कहा है कि मथुरा वृंदावन नगर निगम द्वारा पहले आश्रमों, मंदिरों एवं धर्मार्थ संस्थानों से सीमित कर वसूला जाता है। उन्होंने अपनी चिट्ठी में आरोप लगाया है कि नगर निगम प्रशासन पिछले एक वर्ष से आश्रमों के संतों के पास 10-10 करोड़ रुपए की वसूली का नोटिस भेजा है।
संतों पर अत्याचार बताते हुए उन्होंने कहा, “संत समाज इसकी आपत्ति दर्ज कराने निगम कर्मचारियों के पास जाते हैं तो उनसे रिश्वत की माँग की जाती है और कहा जाता है कि बिल कम कराना है तो 20 प्रतिशत दो।” उन्होंने इसे जजिया कर बताते हुए मुख्यमंत्री से इससे बचाने का आग्रह किया। बता दें कि यूपी के नगर विकास एवं शहरी समग्र विकास, नगरीय रोजगार एवं गरीबी उन्मूलन मंत्री एके शर्मा हैं।
उत्तर प्रदेश की सत्ता दूसरी बार संभालने के साथ ही सीएम योगी ने अप्रैल 2022 में अयोध्या पहुँचे थे अधिकारियों से साफ तौर पर कहा था कि मंदिरों, धार्मिक स्थलों और धर्मशालाओं से कमर्शियल के स्थान पर चैरिटेबल के रूप में टैक्स लिया जाए। अयोध्या नगर निगम बनने के साथ ही टैक्स के रेट में बड़ी बढ़ोतरी हुई थी। यही हाल दूसरे नगर निगमों के साथ भी हुई।
इतना ही नहीं, नवंबर 2023 में मथुरा-वृंदावन के आश्रमों को बढ़े हुए टैक्स का नोटिस दिए जाने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों से साफ कहा था कि आश्रमों पर न्यूनतम टैक्स लगाया जाए। इसके लिए धर्मगुरुओं से अधिकारी और जनप्रतिनिधि लगातार संवाद करें।
मुख्यमंत्री योगी ने यह भी कहा था कि यदि प्राइवेट कंपनी टैक्स वसूलती हैं तो उन पर भी अधिकारी नजर रखें। दरअसल, नगर निगम पिछले साल से ही मथुरा-वृंदावन में संचालित आश्रमों पर टैक्स बढ़ाकर नोटिस भेजने शुरू किए थे। संतों ने उस दौरान भी बढ़े टैक्स का विरोध किया था। यहाँ करीब 250 छोटे-बड़े आश्रम संचालित हैं।