तृणमूल कॉन्ग्रेस की सांसद मिमी चक्रवर्ती ने बुधवार (जून 23, 2021) को कोलकाता में फर्जी वैक्सीनेशन सेंटर का भंडाफोड़ करने का दावा किया है। उन्होंने बताया है कि उन्हें एक धोखेबाज ने फर्जी IAS बनकर कॉल किया और उनसे अनुरोध किया कि वह वैक्सीनेशन कैंप में आएँ जो कलकत्ता के दक्षिण में कस्बा क्षेत्र में उसके द्वारा आयोजित करवाया जा रहा है।
मीमी चक्रवर्ती के अनुसार, फर्जी आईएएस ने बताया था कि वह ट्रांसजेंडर्स और विकलांगों के लिए स्पेशल वैक्सीनेशन ड्राइव चला रहे हैं। इस अनुरोध के बाद अगले दिन वह सेंटर पर पहुँची। जहाँ उनके साथ 200 से 250 लोगों को कोविशील्ड वैक्सीन लगाई गई।
चक्रवर्ती कहती हैं कि इस दौरान उन्होंने लोगों का मनोबल बढ़ाने के लिए कोविशील्ड की वैक्सीन भी लगवाई। लेकिन कभी भी को-विन से कंफर्मेशन का मैसेज उनके पास नहीं आया। इसके बाद उन्होंने कोलकाता पुलिस से शिकायत की और आरोपित को गिरफ्तार कर लिया गया। मिमी चक्रवर्ती ने कहा कि वह शख्स फर्जी स्टीकर और नीली बत्ती भी अपनी गाड़ी पर इस्तेमाल कर रहा था।
I took Covishield vaccine at the camp to motivate people for taking jabs. But I never received a confirmation message from CoWIN. I lodged a complaint with Kolkata Police & the accused was arrested. He was using a car with a blue beacon & fake sticker: Mimi Chakraborty (2/2)
— ANI (@ANI) June 23, 2021
इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में मीमी ने कहा टीका अभियान के आयोजकों ने शुरू में उन्हें सूचित किया कि उन्हें कुछ ही घंटों में टीका प्रमाणपत्र मिल जाएगा। बाद में, कहा गया कि इसमें 3-4 दिन लगेंगे। इससे उनका शक बढ़ गया। उन्होंने शिविर में अन्य लोगों से पूछा कि क्या उन्हें कोई पुष्टिकरण संदेश या टीका प्रमाणपत्र मिला है। जब उनमें से किसी को भी CoWin ऐप और वैक्सीन सर्टिफिकेट से कोई एसएमएस नहीं मिला, तो मिमी ने महसूस किया कि कुछ गड़बड़ है और उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
चक्रवर्ती ने कहा, “वैक्सीन प्रमाणपत्र में 3-4 दिन नहीं लगने चाहिए। मैंने अन्य लोगों (जिन्होंने शिविर में टीका लिया) से पूछा कि क्या उन्हें पंजीकरण संदेश मिला है। उन्होंने कहा कि उन्होंने कोई पंजीकरण नहीं किया या कोई संदेश नहीं मिला। मुझे तुरंत गड़बड़ लगी और स्थानीय प्रशासन और पुलिस की मदद से मैंने उसे गिरफ्तार करवाया।”
मिमी की शिकायत के बाद पुलिस मंगलवार शाम छह बजे टीकाकरण शिविर पहुँची। वहाँ पता चला कि भले ही शिविर केएमसी में आयोजित किया गया था, लेकिन न तो केएमसी के विशेष आयोग और न ही स्थानीय पार्षद सुशांत घोष को इस तरह के किसी भी टीकाकरण अभियान की जानकारी थी।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, आरोपित की पहचान देबंजन के तौर पर हुई है। उसने पूछताछ के दौरान खुद को केएमसी के संयुक्त आयुक्त के रूप में पेश किया और यहाँ तक कि एक आईएएस अधिकारी का पहचान पत्र भी प्रस्तुत किया। हालाँकि, उसके बयानों में विसंगतियों के चलते आरोपित को हिरासत में लिया गया और उसे पुलिस स्टेशन लाया गया। कड़ी पूछताछ होने पर, देबंजन टूट गया और अपना गुनाह कबूल लिया। उसके पास से बड़ी संख्या में फर्जी पहचान पत्र, सरकारी टिकट, स्वास्थ्य भवनों से टीके एकत्र करने के लिए माँग पत्र सहित दस्तावेज बरामद किए गए।