Friday, March 29, 2024
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आजम खान के जौहर यूनिवर्सिटी की 70 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर अब योगी सरकार का नियंत्रण, ट्रस्ट से भी किया बेदखल

जौहर विश्वविद्यालय से 70 हेक्टेयर से अधिक भूमि वापस लेने के बाद तहसीलदार (सदर) प्रमोद कुमार ने कहा, “हाईकोर्ट ने जमीन वापस लेने की प्रक्रिया से जुड़ी याचिका खारिज कर दी है, ऐसे में अब हम जमीन पर कब्जा लेने आए हैं।”

समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता और यूपी सरकार में मंत्री रहे आजम खान द्वारा बनाई गई जौहर यूनिवर्सिटी की ज़मीन पर अब यूपी सरकार का कब्जा हो गया है। यूपी सरकार द्वारा यूनिवर्सिटी की 70 हेक्टेयर ज़मीन वापस लेने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। इसके साथ ही प्रशासन ने आजम के अध्यक्षता वाली मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट को भी बेदखल कर दिया है, जो यूनिवर्सिटी को संचालित करता है और आजम खान इसके अध्यक्ष हैं, जबकि उनकी बीबी रामपुर विधायक डा. तजीन फातिमा सचिव हैं।

ये तब हुआ है जब यूपी सरकार के एक्शन के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका खारिज कर दी गई। जौहर विश्वविद्यालय से 70 हेक्टेयर से अधिक भूमि वापस लेने के बाद तहसीलदार (सदर) प्रमोद कुमार ने कहा, “हाईकोर्ट ने जमीन वापस लेने की प्रक्रिया से जुड़ी याचिका खारिज कर दी है, ऐसे में अब हम जमीन पर कब्जा लेने आए हैं।”

जानकारी के अनुसार गुरुवार (सितंबर 9, 2021) को रामपुर राजस्व अधिकारी विश्वविद्यालय पहुँचे और औपचारिक रूप से पूरी जमीन पर कब्जा कर लिया। गुरुवार की दोपहर को तहसीलदार प्रमोद कुमार कार्यवाही पूर्ण करने विवि पहुँचे थे। दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट के अनुसार, जब तहसीलदार विश्वविद्यालय पहुँचे, तो वीसी सुल्तान मुहम्मद खान ने यह कहते हुए नियंत्रण सौंपने के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया कि वह सिर्फ ट्रस्ट के कर्मचारी हैं। इसके बाद तहसीलदार ने स्थानीय गवाहों की मौजूदगी में अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही शुरू की और 173 एकड़ से अधिक भूमि को जिला प्रशासन के नियंत्रण में ले लिया गया।

गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 6 सितंबर 2021 को मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार की कार्रवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। इस संबंध में मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की खंडपीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि ट्रस्ट को जिन शर्तों पर 2005 में जमीन दी गई थी, उनमें से कुछ का पालन करने में वह विफल रहा। 

अदालत ने माना कि यूनिवर्सिटी की जमीन को राज्य सरकार के नियंत्रण में लेने के लिए रामपुर प्रशासन ने जो कार्रवाई की है उसमें दखल दिए जाने की जरूरत नहीं है। अदालत ने यह भी माना कि ट्रस्ट ने गैरकानूनी तरीके से जमीन पर कब्जा किया। साथ ही विश्वविद्यालय परिसर में मस्जिद निर्माण को भी शर्तों का उल्लंघन बताया। बता दें कि रामपुर जिला प्रशासन ने जनवरी में ही जमीन को कब्जे में लेने का आदेश दिया था। हालाँकि, ट्रस्ट ने जिला प्रशासन के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था, “इस मामले में 12.50 एकड़ से ज्यादा जमीन अधिग्रहण की अनुमति शैक्षणिक संस्थान की स्थापना के लिए दी गई है। मस्जिद का निर्माण इसके खिलाफ है। साफ है कि ट्रस्ट ने शर्तों का उल्लंघन किया। ऐसे में सरकार को यह अधिकार है कि किसी भी शर्त का उल्लंघन होने की स्थिति में 12.50 एकड़ से अतिरिक्त जमीन वह अपने अधीन ले ले।”

अब अतिक्रमण हटाने के बाद ट्रस्ट के पास सिर्फ 12.5 एकड़ जमीन बची है। रिपोर्टों के अनुसार, यूपी सरकार जल्द ही विश्वविद्यालय पर भी नियंत्रण कर सकती है क्योंकि सरकार के नियमों के तहत एक विश्वविद्यालय के लिए 50 एकड़ भूमि की आवश्यकता होती है। 

बता दें कि आजम खान पर कई केस दर्ज हैं और वह फिलहाल जेल में बंद हैं। पिछले दिनों यूपी की एक पुरानी मुस्लिम संस्था ने आरोप लगाया था कि आजम खान ने पुस्तकालय से सैकड़ों मूल्यवान पांडुलिपियाँ और किताबें चुरा ली हैं। खान ने अपनी शक्ति का उपयोग करते हुए स्थानीय किसानों से जमीन, बकरियाँ और मवेशी भी चुरा लिए थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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