Saturday, April 27, 2024
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‘यूनिवर्सिटी कैंपस में मस्जिद बनाना सही नहीं’: UP सरकार के एक्शन पर रोक लगाने से इलाहाबाद हाईकोर्ट का इनकार

उत्तर प्रदेश सरकार के मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय अधिनियम, 2005 से इस यूनिवर्सिटी के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ था। यूनिवर्सिटी के लिए 471 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था। लेकिन अब केवल 12.50 एकड़ जमीन ही ट्रस्ट के पास रहेगी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार की कार्रवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। इस संबंध में मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। यह यूनिवर्सिटी सपा सांसद और यूपी सरकार के पूर्व मंत्री आजम खान से जुड़ा हुआ है।

जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की खंडपीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि ट्रस्ट को जिन शर्तों पर 2005 में जमीन दी गई थी, उनमें से कुछेक का पालन करने में वह विफल रहा है। अदालत ने माना कि यूनिवर्सिटी की जमीन को राज्य सरकार के नियंत्रण में लेने के लिए रामपुर प्रशासन ने जो कार्रवाई की है उसमें दखल दिए जाने की जरूरत नहीं है।

अदालत ने यह भी माना कि ट्रस्ट ने गैरकानूनी तरीके से जमीन पर कब्जा किया। साथ ही विश्वविद्यालय परिसर में मस्जिद निर्माण को भी शर्तों का उल्लंघन माना। लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार अदालत ने कहा कि ट्रस्ट को केवल शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए जमीन के इस्तेमाल की अनुमति दी गई है। ऐसे में एसडीएम की रिपोर्ट से साफ है कि ‘मस्जिद’ का निर्माण शर्त का उल्लंघन है। खंडपीठ ने कहा, “यूनिवर्सिटी कैंपस में रहने वाले शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक कर्मचारियों के लिए मस्जिद निर्माण का तर्क स्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह राज्य द्वारा दी गई अनुमति के खिलाफ है।”

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश सरकार के मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय अधिनियम, 2005 से इस यूनिवर्सिटी के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ था। यूनिवर्सिटी के लिए 471 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था। लेकिन अब केवल 12.50 एकड़ जमीन ही ट्रस्ट के पास रहेगी। ट्रस्ट को सरकार ने नवंबर 2005 में 400 एकड़, जनवरी 2006 में 45.1 एकड़ और सितंबर 2006 में 25 एकड़ जमीन अधिग्रहण की इजाजत दी थी। लेकिन एसडीएम की रिपोर्ट में बताया गया है कि केवल 24000 वर्गमीटर जमीन में ही निर्माण हो रहा है जो शर्तों का उल्लघंन है। साथ ही अनुसूचित जाति के लोगों की जमीन भी नियमों की अनदेखी कर ली गई।

अदालत ने कहा, “इस मामले में 12.50 एकड़ से ज्यादा जमीन अधिग्रहण की अनुमति शैक्षणिक संस्थान की स्थापना के लिए दी गई है। मस्जिद का निर्माण इसके खिलाफ है। साफ है कि ट्रस्ट ने शर्तों का उल्लंघन किया। ऐसे में सरकार को यह अधिकार है कि किसी भी शर्त का उल्लंघन होने की स्थिति में 12.50 एकड़ से अतिरिक्त जमीन वह अपने अधीन ले ले।”

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अनुसूचित जाति के लोगों की जमीन लेने के लिए जिलाधिकारी से अनुमति नहीं ली गई। अधिग्रहण शर्तों का उल्लंघन कर शैक्षिक कार्य के लिए निर्माण की बजाय मस्जिद का निर्माण कराया गया। ग्राम सभा की सार्वजनिक उपयोग की जमीन और नदी किनारे की सरकारी जमीन ली गई। किसानों से जबरन बैनामा लिया गया, जिसके लिए 26 किसानों ने पूर्व मंत्री और ट्रस्ट के अध्यक्ष आजम खान के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई है। निर्माण 5 साल में होना था, लेकिन इसकी भी वार्षिक रिपोर्ट नहीं दी गई। गौरतलब है कि ट्रस्ट के अध्यक्ष आजम खान इस समय जेल में हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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