Saturday, July 27, 2024
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RBI के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल ने बैंकिंग गड़बड़ी के लिए UPA सरकार को ठहराया दोषी: आने वाली किताब कई खुलासे की उम्मीद

अपनी नई किताब में, उर्जित पटेल '9R रणनीति' के बारे में लिखा है। जो जमाकर्ताओं की बचत की रक्षा करेगा, बैंकों को बचाएगा और उन्हें "अनस्क्रुपलस रैकेटियर" से बचाएगा। साथ ही प्रकाशक की वेबसाइट पर दिया गया एक नोट यह भी कहता है, "उर्जित पटेल ने एनपीए की गड़बड़ी को साफ कर दिया होता, अगर उन्हें रोका नहीं जाता।"

भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल ने ‘ओवरड्राफ्ट: सेविंग द इंडियन सेवर’ नामक एक किताब लिखी है, जो इस महीने (24 july, 2020) को रिलीज़ होगी। इस किताब के जरिए उर्जित पटेल ने पब्लिक सेक्टर बैंकों (PSB) में गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) पर आए संकट के लिए यूपीए सरकार पर तीखा प्रहार किया है। उन्होंने बताया कि यूपीए सरकार रिस्क कंट्रोल बनाने या पर्याप्त प्रबंधन सुनिश्चित करने में विफल रही है।

आरबीआई के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल ने अपनी नई किताब में लिखा है, “सरकार उन बैंकों के लिए पर्याप्त पूँजी सुनिश्चित करने के लिए ज़िम्मेदार है जो स्थाई /सस्टेनेबल आधार के दायरे में हैं। 2014 से पहले के डॉमिनेंट ओनर ने डिविडेंड के लालच में सरकारी बैंकों में जोखिम को काबू करने को लेकर कोई सवाल नहीं उठाया। हालात इतने खराब थे कि कई सरकारी बैंकों में वरिष्ठ प्रबंधन तक नहीं था। जिसके चलते उन्हें गवर्नेंस की कमी का सामना करना पड़ा। उन्होंने आगे लिखा कि यह नौकरशाही जड़ता और राजनीतिक मध्यस्थता के कारण एक निरंतर कमी बनी रही।

2016 में आरबीआई गवर्नर के रूप में नियुक्त किए गए उर्जित पटेल को विशेष रूप से पब्लिक सेक्टर बैंकों में बैंकिंग प्रणाली में बढ़ते एनपीए की वजह से जबरदस्त चुनौती का सामना करना पड़ा था। वित्त वर्ष 2014 में जो ग्रॉस एनपीए 3.8 प्रतिशत पर था। वो बढ़ते हुए वित्त वर्ष 2018 में 10.5 प्रतिशत पहुँच गया था।

उर्जित पटेल ने आरबीआई की भूमिका पर भी किया सवाल

आरबीआई के पूर्व गवर्नर पटेल ने अपनी किताब में, 2014 से पहले बुरे ऋणों की पहचान करने में आरबीआई की विफलता पर भी सवाल उठाया है। उन्होंने लिखा कि 2014 तक रिजर्व बैंक की ओर से बैंकिंग सिस्टम में बढ़ते एनपीए को मॉनिटर करने और उसे कंट्रोल करने में पूरी तरह से फेल रहा। उन्होंने कहा कि उस वक्त आरबीआई बैंकिंग लेवल पर बढ़ते स्ट्रेस को बता पाने में पूरी तरह से विफल रहा।

उन्होंने आगे लिखा कि स्केल ऑफ एक्सपोज़ या रिस्क बिल्ड-अप – पर्याप्त रूप से काम नहीं किया गया। इसके साथ नियामक द्वारा लोन के मानदंडों को प्रभावी ढंग से कमजोर भी किया गया। ये उन्होंने बढ़ती पूंजीगत आवश्यकताओं से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सेक्टर रिस्क वेट बढ़ाकर किया।

वे लिखते हैं, “सेंट्रल बैंक ने बिल्ड-अप रिस्क की पहचान की थी, उदाहरण के लिए, विभिन्न क्षेत्रों को आवंटित रिस्क रेट को बढ़ाते हुए, यह कर्ज देने के मानदंडों को सख्त कर सकता था।”

अपनी नई किताब में, उर्जित पटेल ‘9R रणनीति’ के बारे में लिखा है। जो जमाकर्ताओं की बचत की रक्षा करेगा, बैंकों को बचाएगा और उन्हें “अनस्क्रुपलस रैकेटियर” से बचाएगा। साथ ही प्रकाशक की वेबसाइट पर दिया गया एक नोट यह भी कहता है, “उर्जित पटेल ने एनपीए की गड़बड़ी को साफ कर दिया होता, अगर उन्हें रोका नहीं जाता।”

पटेल ने 11 दिसंबर, 2018 को निजी कारणों का हवाला देते हुए RBI गवर्नर का पद छोड़ दिया था। बता दें, उन्हें हाल ही में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (NIPFP) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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