नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर देश भर में विरोध प्रदर्शन के नाम पर गुंडई हो रही है। यह किसी भी दृष्टिकोण से विरोध प्रदर्शन नहीं दिख रहा है। यदि प्रदर्शनकारियों द्वारा किए जा रहे इस हिंसक प्रदर्शन को दंगा कहा जाए, तो शायद कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी और इसे करने वाले को प्रदर्शनकारी नहीं बल्कि उपद्रवी या दंगई कहना चाहिए, क्योंकि प्रदर्शन करने का ये तरीका तो बिल्कुल नहीं होता है।
जिस तरह से ये प्रदर्शन कर रहे हैं, उसमें साफ दिख रहा है कि इनके ऊपर खून सवार है और ये जान लेने पर उतारू हैं। वरना 25 पुलिसकर्मी की भीड़ को घेरना और भी उन्हें एक दुकान में बंद कर आगजनी और पथराव करना मामूली बात नहीं है। बता दें कि मेरठ में शुक्रवार (दिसंबर 20, 2019) जुमे की नमाज के बाद अचानक अराजकता फैली और उपद्रवी सड़कों पर आ गए। मेरठ, मुजफ्फरनगर, बिजनौर और बुलंदशहर में उपद्रवियों ने जमकर उत्पात मचाया। इस दौरान एक बैंक व पुलिस चौकी समेत सैकड़ों वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। उपद्रवियों को नियंत्रित करने में पुलिस व दंगा नियंत्रण बल को खासी मशक्कत करनी पड़ी।
हापुड़ में बवालियों का मन इतना बढ़ गया कि पुलिस की एक पूरी टीम की घेराबंदी की और एक दुकान में बंधक बना लिया था। उपद्रवियों ने पुलिस को दुकान के अंदर बंद करके शटर पर आग लगाने का प्रयास किया। जब सूचना पाकर पर पुलिस वहाँ पहुँची तो उपद्रवियों ने उनकी गाड़ी पर भी पथराव किया और फायरिंग कर उन्हें दौड़ा दिया। इसके बाद एसडीएम-सीओ भी आए, लेकिन वो ट्रेनी सिपाहियों को बंधनमुक्त नहीं करा पाए। एक बात तो निश्चित है कि अगर ट्रेनी सिपाही शटर तोड़कर निकलते तो उपद्रवी उन्हें छोड़ते नहीं।
इसके अलावा बुलंदशहर में भीड़ में शामिल युवकों ने अवैध हथियारों से पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी, जिससे पुलिसकर्मी भागकर थाने में घुस गए। इस दौरान भीड़ ने सड़क के किनारे खड़े एक दर्जन से अधिक चार पहिया और दो पहिया वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया। उपद्रवियों ने पथराव भी किया, जिसमें आधादर्जन पुलिसकर्मी घायल हो गए।
इससे पहले इसी तरह के हिंसक प्रदर्शन की कई तस्वीरें गुजरात के अहमदाबाद से भी आईं थी। अहमदाबाद के शाह आलम इलाके में दरगाह में इकट्ठी हुई भीड़ ने नमाज के पुलिसकर्मियों को घेर लिया और उन पर पथराव शुरू कर दिया था। पुलिसकर्मी भागकर छिपने की कोशिश कर रहे होते हैं, लेकिन उपद्रवी लगातार उन पर पत्थर लाठियों से वार करते रहे।
उपद्रवियों का ये जानलेवा और हिंसक रवैया दिखाता है कि इनके अंदर न तो कानून का डर है और न ही इंसानियत बची है और कुछ लोग इसे ‘शांतिपूर्ण प्रदर्शन’ और इन उपद्रवियों को ‘शांतिप्रिय प्रदर्शनकारी’ कहते हैं। वहीं कुछ लोगों द्वारा उपद्रवियों की इस भीड़ को ‘डरा हुआ’ भी कहा जा रहा है। पता नहीं वो लोग किस चश्मा से देख रहे हैं इस हिंसक प्रदर्शन को।
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