Sunday, October 6, 2024
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बीरभूम मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित: सुनवाई के दौरान बंगाल की ममता सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल, CBI जाँच की माँग

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस नरसंहार के मुख्य आरोपित TMC के ब्लॉक प्रमुख को पुलिस द्वारा अभी तक गिरफ्तार नहीं करने पर सवाल उठाया।

पश्चिम बंगाल के बीरभूम (Birbhum, West Bengal) जिले के एक गाँव में बर्बरतापूर्वक पिटाई के बाद 8 लोगों को जिंदा जलाकर मार डालने के मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। उच्च न्यायालय ने गंभीरता को देखते हुए मामले का स्वत: संज्ञान लिया था।

इस मामले में बुधवार (23 मार्च) को निष्पक्ष जाँच सुनिश्चित करने के लिए स्वत: संज्ञान लेकर याचिका दायर की गई थी। उच्च न्यायालय ने प्रदेश की ममता बनर्जी की नेतृत्व वाली सरकार से 24 घंटे में स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा था। इसके साथ ही घटनास्थल पर CCTV कैमरे लगाने, गवाहों को सुरक्षा देने का निर्देश दिया था।

मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने इस घटना की तुलना साल 2002 में गुजरात हुए साबरमती एक्सप्रेस के अग्निकांड से की। वकील ने कोर्ट को बताया कि अदालत के निर्देश के बावजूद भी बीती रात 10 बजे तक सीसीटीवी नहीं लगाया गया था। यह मीडिया में कहा गया है। इसके साथ ही अदालत में यह भी दलील दी गई कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घटना वाले गाँव का दौरा कर मुआवजे की घोषणा की, जो तथ्यों को दबाने के लिए पीड़ितों को प्रभावित कर सकता है।

इस मामले में अदालत से सीबीआई जाँच कराने की माँग की गई। याचिकाकर्ता ने कहा कि यह साल 2007 के नंदिग्राम पुलिस फायरिंग की तरह यह इतिहास दोहराने जैसा है। उन्होंने कहा कि नंदिग्राम मामले को भी सीबीआई को सौंप दिया गया था। याचिकाकर्ता की ओर दी कोर्ट में दलील दी गई कि इस मामले में क्या करना है कि डीजीपी ने पहले ही मन बना लिया है। याचिकाकर्ता ने कहा रिपोर्ट में जिस रिश्तेदार का जिक्र किया गया है, उसका 161 या 164 के तहत बयान दर्ज नहीं कराया गया है।

कोर्ट का कहना है कि इस मामले का मुख्य आरोपित TMC का ब्लॉक प्रमुख को अभी तक पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया है। साथ ही मृतकों के मृत्यु पूर्व के बयान को अंग्रेजी में देखकर कोर्ट ने ममता सरकार से पूछा कि क्या वे सभी शिक्षित थे। इस पर राज्य की ओर से पेश महाधिवक्ता मुखर्जी ने कहा कि यह बयान डॉक्टर ने रजिस्टर किया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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