Thursday, January 9, 2025
Homeदेश-समाजसंभल के जिस दंगे में गन्ने की खोई और टायर का ढेर लगा जला...

संभल के जिस दंगे में गन्ने की खोई और टायर का ढेर लगा जला दिए गए 24 हिंदू, उसकी रिपोर्ट योगी सरकार ने माँगी: 184 की हुई थी मौत

संभल में दंगों का पुराना इतिहास रहा है। इन्हीं दंगों के बल पर संभल नगरपालिका क्षेत्र से धीरे-धीरे हिंदुओं को मिटाया गया। देश की स्वतंत्रता के समय संभल नगरपालिका क्षेत्र में हिंदुओं की आबादी 45 प्रतिशत थी जो आज घटकर 15-20% रह गई है। उस समय मुस्लिम 55% थे। आज वे बढ़कर 80-85 प्रतिशत हो गए हैं।

उत्तर प्रदेश के संभल में 1978 में हुए दंगों के बारे में जानकारी योगी आदित्यनाथ की सरकार ने तलब की है। उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य श्रीचंद्र शर्मा के नोटिस पर यह निर्देश दिए गए हैं। करीब 47 साल पहले यह दंगा होली के बाद 29 मार्च को शुरू हुआ था। 184 लोगों की हत्या की गई थी। करीब 30 दिनों तक कर्फ्यू लगा रहा था।

शरुआती मीडिया रिपोर्टों में कहा गया था कि 47 साल बाद इन दंगों की राज्य सरकार दोबारा जाँच के निर्देश दिए हैं। लेकिन संभल के पुलिस अधीक्षक केके बिश्नोई ने इससे इनकार किया है। उन्होंने बताया है कि विधानपरिषद सदस्य श्रीचंद्र शर्मा ने 17 दिसंबर को जो पत्र दिया था, उसके बाद शासन ने एक आख्या माँगी है। इसमें कहा गया है कि 1978 के दंगों से जुड़ी जो भी सूचना है वह उपलब्ध कराएँ। ये सूचनाएँ संकलित की जा रही और इसके बाद सरकार को उपलब्ध करवाया जाएगा।

8 जनवरी 2025 को मुरादाबाद के कमिश्नर अंजनेय सिंह ने संभल के जिलाधिकारी डॉक्टर राजेंद्र पेंसिया को इस दंगे से जुड़े सभी रिकॉर्ड सौंपने को कहा है। सूत्रों के मुताबिक, कुछ लोगों की शिकायतों के आधार पर कई पुराने मामलों की फिर से जाँच की जा सकती है। कमिश्नर अंजनेय सिंह ने इस मामले को लेकर एक बैठक भी बुलाई है।

इससे पहले 7 जनवरी को संभल के एसपी (पुलिस अधीक्षक) केके बिश्नोई ने डीएम पेंसिया को पत्र लिखकर बताया था कि उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य श्रीचंद्र शर्मा ने 1978 के दंगों की नए सिरे से जाँच की माँग की है। शर्मा ने इस संबंध में उत्तर प्रदेश के गृह विभाग के उप सचिव और पुलिस अधीक्षक (मानवाधिकार) से पत्र मिलने का उल्लेख किया था। गृह विभाग के उप सचिव सतेन्द्र प्रताप सिंह ने एक सप्ताह के भीतर इस संबंध में रिपोर्ट माँगी है।

गौरतलब है कि संभल में दंगों का पुराना इतिहास रहा है। इन्हीं दंगों के बल पर संभल नगरपालिका क्षेत्र से धीरे-धीरे हिंदुओं को मिटाया गया। देश की स्वतंत्रता के समय संभल नगरपालिका क्षेत्र में हिंदुओं की आबादी 45 प्रतिशत थी जो आज घटकर 15-20% रह गई है। उस समय मुस्लिम 55% थे। आज वे बढ़कर 80-85 प्रतिशत हो गए हैं।

इन दंगों पर प्रशासन ने एक इंटरनल रिपोर्ट भी तैयार की है। इसकी कॉपी ऑपइंडिया के पास मौजूद है। इससे पता चलता है कि 1978 में संभल में सबसे बड़ा दंगा हुआ था। इसी दंगे के बाद खग्गूसराय में रहने वाले करीब 100 हिंदू परिवार इस इलाके को छोड़कर चले गए। हालात इतने बदतर थे कि अधिकतर हिंदुओं ने कपड़ों के पुतले बनाकर बृजघाट पर अपनों का अंतिम संस्कार किया था।

हिंदू शिक्षक की बेटी से बलात्कार, पत्नी को किया किडनैप


इसी दंगे के दौरान एक हिंदू शिक्षक की बेटी और पत्नी को मंजर शफी ने उठा लिया था। इस दंगे को भड़काने के पीछे भी शफी की बड़ी भूमिका थी। हिंदू शिक्षक की बेटी को बलात्कार के बाद छोड़ा गया। उनकी पत्नी को हिंदुओं ने बचा लिया था। आज इस शिक्षक परिवार संभल में नहीं रहता है।

बनवारी लाल बोले गोली मार दो, पर दंगाइयों ने काट-काटकर मारा

ऑपइंडिया के पास मौजूद इंटरनल रिपोर्ट बताती है कि दंगे भड़कने की सूचना मिलने पर बनवारी लाल गोयल प्रभावित इलाके में जाने लगे। उनकी पत्नी और बेटे ने उन्हें रोका। लेकिन वे यह कहते हुए दंगा प्रभावित इलाके में चले गए, सारे मुस्लिम मेरे मित्र और भाई जैसे हैं। सब मेरे साथ काम करते हैं। मुझे कुछ नहीं होगा। लेकिन बनवारी लाल गोयल को मुस्लिम दंगाइयों ने पकड़ लिया।

उनसे कहा कि तुम इन पैरों से पैसे लेने आए हो और उनके पैर काट दिए। फिर कहा कि तुम इन हाथों से पैसे लेने आए हो और हाथ भी काट दिए। इसके बाद गर्दन काट कर उनकी हत्या कर दी गई। इस दौरान मुस्लिम दंगाइयों के सामने बनवारी लाल गिड़गिड़ाते रहे कि मुझे काटो मत, गोली मार दो। पर किसी ने नहीं सुनी। इस घटना को हरद्वारी लाल शर्मा और सुभाष चंद्र रस्तोगी ने अपनी आँखों से देखा था। इस कत्लेआम के दौरान दोनों ने एक ड्रम में छिपकर अपनी जान बचाई थी। हाई स्कूल में पढ़ने वाले हरद्वारी लाल के सगे भाई को भी मुस्लिम दंगाइयों ने चाकू से गोदकर इसी दौरान मार डाला था।

शर्मा और रस्तोगी भी इस कत्लेआम के गवाह थे। इरफान, वाजिद, जाहिद, मंजर, शाहिद, कामिल, अच्छन जैसे नाम आरोपित थे। लेकिन 2010 में यह केस बंद करना पड़ा, क्योंकि गवाह ही हाजिर नहीं हुए। जज ने यह टिप्पणी करते हुए केस बंद किया कि मैं सोच भी नहीं सकता कि इनलोगों (आरोपितों) को फाँसी नहीं हो रही है।

गवाहों पर किस तरह का दबाव रहा होगा इसे इस बात से समझा जा सकता है कि बनवारी लाल के बेटे विनीत गोयल के कारोबारी साझेदार रहे प्रदीप अग्रवाल के भाई की वसीम ने गोली मारकर हत्या कर दी। साथ ही धमकी दी कि यदि उसके खिलाफ किसी ने एफआईआर करवाई तो उसकी भी हत्या कर दी जाएगी। उसके खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं हुआ।

इंटरनल रिपोर्ट के अनुसार बनवारी लाल के परिवार पर डॉक्टर शफीकुर रहमान बर्क की ओर से भी दबाव डाला गया था। बर्क संभल से समाजवादी पार्टी से सांसद रहे हैं। फिलहाल उनके पोते जियाउर्रहमान बर्क इस सीट से सपा के सांसद हैं। जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान हुई हिंसा में जियाउर्रहमान बर्क के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया है। 1995 के आसपास बनवारी लाल गोयल के परिवार ने संभल ही छोड़ दिया।

हाल में इन दंगों की चर्चा शुरू होने के बाद बनवारी लाल गोयल के बेटे विनीत गोयल वापस संभल लौटे थे। उन्होंने बताया था कि उनके पिता समेत अन्य हिंदुओं को हत्या के बाद इस तरह फूँक दिया गया था कि उनकी अस्थियाँ तक नहीं मिल सकी। दंगे के एक माह के बाद उन्होंने फूल-पत्तों पर आटा लपेटकर उनका सांकेतिक दाह संस्कार किया था।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

ग्रूमिंग गैंग के खिलाफ जाँच नहीं चाहते ब्रिटिश सांसद, सदन में 364 ने विरोध में दिया वोट: एलन मस्क बोले- PM स्टार्मर को करो...

विधेयक में संशोधन और ग्रूमिंग गैंग के खिलाफ जाँच का विरोध 364 सांसदों ने किया जबकि पक्ष में सिर्फ 111 सांसद रहे।

भारत में भी ‘तालिबान’ बन रहा अफगानी परिवार, लड़की के हिन्दू परिवार से शादी करने पर दी धमकी: दिल्ली में दर्ज करवाया झूठा मुकदमा,...

अफगानी लड़की के परिजनों को यह शादी पसंद नहीं आई और उसे वह धमकियाँ देने लगे। उसके खिलाफ परिजनों ने एक झूठा मुकदमा भी दिल्ली में दर्ज करवा दिया।
- विज्ञापन -