भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने अंतिम फैसले में बुलडोजर की कार्रवाई की निंदा की है। एक मामले में फैसला सुनाते हुए उन्होंने कहा है कि कानून के शासन के तहत बुलडोजर न्याय बिल्कुल अस्वीकार्य है। अगर इसकी अनुमति दी जाती है तो अनुच्छेद 300A के तहत संपत्ति के अधिकार की संवैधानिक मान्यता समाप्त हो जाएगी।
कोर्ट मनोज टिबरेवाल आकाश द्वारा 2020 में भेजी गई एक शिकायती पत्र के आधार पर स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रहा था। महाराजगंज में स्थित टिबरेवाल के घर को साल 2019 में ध्वस्त कर दिया गया था। कोर्ट ने कहा कि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई मुनादी कराने के बाद की जानी चाहिए, क्योंकि एक इंसान के पास जो अंतिम सुरक्षा होती है, वह उसका घर है।
CJI के रूप में अब रिटायर हो चुके चंद्रचूड़ ने कहा कि बुलडोजर से न्याय का उदाहरण किसी भी सभ्य न्याय व्यवस्था में नहीं है। यदि राज्य के किसी भी विंग या अधिकारी द्वारा गैरकानूनी व्यवहार की अनुमति दी जाती है तो प्रतिशोध के रूप में नागरिकों की संपत्तियों को ध्वस्त कर दिया जाएगा। नागरिकों की आवाज़ को उनकी संपत्तियों और घरों को नष्ट करने की धमकी देकर नहीं दबाया जा सकता है।