Tuesday, March 19, 2024
Homeविचारमीडिया हलचलबंगाल के नतीजों पर नाची, हिंसा पर होठ सिले: अब ममता ने मीडिया को...

बंगाल के नतीजों पर नाची, हिंसा पर होठ सिले: अब ममता ने मीडिया को दी पॉजिटिव रिपोर्टिंग की ‘हिदायत’

ममता ने मीडिया को बता दिया है कि दवाई, ऑक्सीजन, बेड वग़ैरह मिले या न मिले पर इसकी रिपोर्टिंग चाहे जहाँ से शुरू हो, ख़त्म सरकार की सराहना पर ही होनी चाहिए।

ममता बनर्जी की जीत से पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र की रक्षा तय हो गई है। रिजल्ट के सप्ताह भर बाद तक बधाइयाँ ली और दी जा रही हैं। सार्वजनिक क्षेत्र से लेकर निजी क्षेत्र के लोगों और संस्थाओं ने विज्ञापन देकर बधाइयों की बरसात कर दी है। बुद्धिजीवी इस बात से खुश हैं कि भारतीय जनता पार्टी के न जीतने से राज्य की बौद्धिकता पर मँडरा रहा खतरा अब दूर हो गया है।

विपक्षियों की कुटाई से लेकर हत्या और घर जलाने से लेकर बलात्कार से लोकतांत्रिक मूल्यों में गिरावट के नए-नए कीर्तिमान बन रहे हैं। इन कीर्तिमानों को आरोप बताकर खारिज कर दिया जा रहा है। राज्यपाल इसलिए क्षुब्ध हैं कि उन तक रिपोर्ट नहीं पहुँचने दी जा रही। हिंसा पर उच्च न्यायालय के प्रश्नों का राज्य सरकार की ओर से मिला उत्तर एक लाइन का है- कोई हिंसा नहीं हुई है।

क्षेत्रीय और राष्ट्रीय मीडिया राष्ट्रीय राजनीति में ममता बनर्जी के महत्व को लेकर भविष्य की योजनाओं पर चिंतन कर रहा है और भाजपा के कार्यकर्ता चिंता।

इन सबके बीच ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री पत्र लिख चीनी वायरस के विरुद्ध मिलकर लड़ने की हिमायत की और फिर केंद्र के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट पहुँच गईं। पत्र लिखने का मूल इस बात में है कि वे लगातार काम कर रही हैं और पत्र में जो जायज-नाजायज़ माँगें रखी हैं, उनके पीछे यह दिखाना उद्देश्य है कि केंद्र सरकार (नरेंद्र मोदी) को न तो काम करना आता है और न ही गंभीर है।

ममता बनर्जी इस बार पिछली बार की अपेक्षा अधिक सीटें लेकर आई हैं। स्वाभाविक है कि वे इसे बड़ी उपलब्धि मानती हैं। पर तीसरी बार लगातार जीत की उपलब्धि अच्छे राजनेता के लिए गर्व की बात होती है और औसत राजनेता के लिए घमंड की। जिस लोकतांत्रिक प्रक्रिया से नेता जीत कर आते हैं, उस लोकतांत्रिक प्रक्रिया में उनके विश्वास की मात्रा तय यह करती है कि वे अपनी जीत पर गर्व करेंगे या घमंड। यही विश्वास यह भी तय करता है कि आनेवाले समय में लोकतंत्र के अन्य स्तम्भों के साथ इन नेताओं का समीकरण कैसा रहेगा।

ममता बनर्जी ने चुनाव परिणाम के बाद हुई हिंसा पर कोलकाता उच्च न्यायालय के प्रश्नों का जिस तरह एक लाइन का जवाब दिया है, वह उनके और न्यायालय के बीच सम्बंधों को लेकर भविष्य की झाँकी प्रस्तुत करता है। जो मीडिया उनके भविष्य की संभावित योजनाओं को लेकर बढ़िया से बढ़िया सपने बुनते हुए उनमें मोदी विरोधी हीरो देख रहा है, उसी मीडिया को धमकी देकर उन्होंने संदेश दे दिया कि ठीक है कि तुम लोग मेरी जीत की ख़ुशी में मरने के लिए तैयार हो पर हमेशा याद रखना कि महामारी को लेकर मेरी सरकार की रत्ती भर आलोचना मुझे बर्दाश्त नहीं। दवाई, ऑक्सीजन, बेड वग़ैरह मिले या न मिले पर इसकी रिपोर्टिंग चाहे जहाँ से शुरू हो, ख़त्म सरकार की सराहना पर ही होनी चाहिए। ऐसा न हुआ तो Pandemic Act के तहत हमने अपनी ताक़त रिजर्व कर रखी है।

यह सोच उसी नेता की हो सकती है जिसे महामारी के समय अपनी सरकार के प्रदर्शन को लेकर किसी तरह का संदेह होगा। ईमानदारी के साथ जनता के लिए काम करने वाले को यह चिंता नहीं रहेगी कि कहीं ज़रा सी भी कमी पर मीडिया उसके विरुद्ध कैसी रिपोर्टिंग करता है। जिसे संदेह है वही मीडिया को प्रेस कॉन्फ़्रेन्स में यह हिदायत देगा कि सरकार के बारे में पॉज़िटिव रिपोर्टिंग करें।

विडंबना यह नहीं कि उन्होंने मीडिया को धमकी दी। विडंबना यह है कि उनके इस वक्तव्य को छिपाने की पहली कोशिश उसी मीडिया द्वारा होगी, जिसे उन्होंने धमकी दी है। ऐसी कोशिश को देख लोगों को विश्वास ही न होगा कि उन्होंने यह मीडिया के लिए कहा है। वैसे भी पश्चिम बंगाल में मीडिया को ऐसी धमकियों के एवज में राग दरबारी गाने का डेढ़ दशक का अनुभव है। व्यक्तिगत तौर पर यह स्वीकार करने वाले संपादक और पत्रकार सार्वजनिक मंचों पर चुप्पी साध लेते हैं। शायद उन्हें समझ नहीं आता कि जिसे वे लोकतंत्र के हीरो के रूप में प्रस्तुत करते आए हैं, उसी से मिली धमकी पर क्या बोलें?

आनेवाले समय में पश्चिम बंगाल में मजबूत हुए लोकतंत्र की सुंदर प्रस्तुति का भार मीडिया पर होगा। वैसे तो इस भार में दबे रहने का मीडिया का अनुभव उसके काम आएगा। पर देखने वाली बात यह होगी कि भविष्य में पड़ने वाले अतिरिक्त भार से वह कैसे डील करता है।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘शानदार… पत्रकार हो पूनम जैसी’: रवीश कुमार ने ठोकी जिसकी पीठ इलेक्टोरल बॉन्ड पर उसकी झूठ की पोल खुली, वायर ने डिलीट की खबर

पूनम अग्रवाल ने अपने ट्वीट में दिखाया कि इलेक्टोरल बॉन्ड पर जारी लिस्ट में गड़बड़ है। इसके बाद वामपंथी मीडिया गैंग उनकी तारीफ में जुट गया। लेकिन बाद में हकीकत सामने आई।

‘प्रथम दृष्टया मनी लॉन्डरिंग के दोषी हैं सत्येंद्र जैन, ED के पास पर्याप्त सबूत’: सुप्रीम कोर्ट ने दिया तुरंत सरेंडर करने का आदेश, नहीं...

ED (प्रवर्तन जिदेशलय) के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जाँच एजेंसी के पास पर्याप्त सामग्रियाँ हैं जिनसे पता चलता है कि सत्येंद्र जैन प्रथम दृष्टया दोषी हैं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
418,000SubscribersSubscribe