Wednesday, May 1, 2024
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₹266 करोड़/km से सड़क बनाने वाली AAP सरकार ₹251 करोड़/km के द्वारका एक्सप्रेसवे पर कर रही राजनीति: केजरीवाल के घड़ियालू आँसू कब तक?

जिस आम आदमी पार्टी की सरकार ने 266 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर की लागत से साल 2018 में सड़क बनाई, वो 2023 में 251 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर की लागत से बने द्वारका एक्सप्रेसवे को लेकर सवाल खड़े कर रही, यह हास्यास्पद है।

द्वारका एक्सप्रेसवे (Dwarka Expressway) और उसकी लागत को लेकर आम आदमी पार्टी ने केंद्र की भाजपा सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। आम आदमी पार्टी की मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि यह इतना बड़ा घोटाला है, जिसे खुद केंद्रीय एजेंसी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG: Comptroller and Auditor General) भी नहीं दबा पाई। इस बारे में बात करते हुए उन्होंने 18 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर और 251 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर जैसे आँकड़े गिनाए।

AAP की प्रियंका कक्कड़ ने 16 अगस्त 2023 को समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि द्वारका एक्सप्रेसवे की लागत को बिना अप्रूवल के ही बढ़ा दिया गया। आम आदमी पार्टी के सर्वेसर्वा अरविंद केजरीवाल का उदाहरण देते हुए उन्होंने यहाँ तक कह दिया कि दिल्ली में कई सड़कें, कई फ्लाईओवर तय लागत से कम कीमत पर बना डाले।

द्वारका एक्सप्रेसवे को लेकर 251 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर की लागत पर आम आदमी पार्टी जो राजनीति कर रही है, दिल्ली में उसके खुद के आँकड़े कितने कम हैं – यह एक सवाल है। इस सवाल का जवाब दिल्ली में AAP सरकार द्वारा बनाई गई सड़क/ब्रिज/फ्लाइओवर में छिपा है।

प्रियंका कक्कड़ ने शायद सिग्नेचर ब्रिज (signature bridge) का नाम नहीं सुना होगा। 2004 में इस प्रोजेक्ट के बारे में घोषणा की गई, बजट था – 887 करोड़ रुपए। 2007 में दिल्ली की शीला दीक्षित सरकार की कैबिनेट ने इसका बजट किया – 1131 करोड़ रुपए। 2015 में अरविंद केजरीवाल की सरकार थी। प्रियंका कक्कड़ को इसी सिग्नेचर ब्रिज के 2015 के बजट को याद करना चाहिए – 1594 करोड़ रुपए

675 मीटर लंबी है सिग्नेचर ब्रिज। ब्रिज को कनेक्ट करने वाली सड़क सहित इस पूरे प्रोजेक्ट की लंबाई है लगभग 6 किलोमीटर। 1594 करोड़ रुपए को 6 से भाग देने पर प्रति किलोमीटर लागत बैठती है – 266 करोड़ रुपए। जिस आम आदमी पार्टी की सरकार ने 266 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर की लागत से साल 2018 में सड़क बनाई, उसकी राष्ट्रीय प्रवक्ता साल 2023 में 251 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर की लागत से बने द्वारका एक्सप्रेसवे को लेकर सवाल खड़े कर रही हैं, यह हास्यास्पद है।

द्वारका एक्सप्रेसवे की लागत, राजनीति, सड़क मंत्रालय का जवाब

द्वारका एक्सप्रेसवे की लागत से संबंधित नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट आने के बाद केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 14 अगस्त 2023 को ही आँकड़ों सहित विस्तृत जवाब दे दिया था। मंत्रालय ने बताया था कि भारतमाला परियोजना के तहत 18.2 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर की लागत का आँकड़ा पूरी परियोजना के लिए था न कि सिर्फ द्वारका एक्सप्रेसवे के लिए।

मंत्रालय ने यहाँ तक बताया था कि 18.2 से बढ़ कर 251 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर का जो आँकड़ा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने दिया, वो तथ्यात्मक तौर पर सही नहीं है।

मंत्रालय ने हालाँकि स्वीकार किया है कि CAG के सुझाव पर ग्रेड आधारित निर्माण अगर किया जाता तो द्वारका एक्सप्रेसवे बनाने की औसत लागत 1200 करोड़ रुपए तक कम हो सकती थी। लेकिन इसमें एक बाधा थी। निर्माण की गति में कमी होती। इसके लिए मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजमार्ग-48 का उदाहरण भी दिया।

आपको बता दें कि द्वारका एक्सप्रेसवे दिल्ली के द्वारका और हरियाणा के गुरुग्राम के बीच देश का पहला 8-लेन एलिवेटेड शहरी एक्सप्रेसवे होगा। 29 किलोमीटर लंबे द्वारका एक्सप्रेसवे का 18.9 किलोमीटर हिस्सा गुरुग्राम में और 10.1 किलोमीटर दिल्ली में पड़ता है। इस एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई में से 23 किलोमीटर एलिवेटेड (जमीन से ऊपर) है जबकि लगभग 4 किलोमीटर सुरंग है।

क्या है भारतमाला परियोजना

मोटा-मोटी इसे आप देश भर में राष्ट्रीय राजमार्गों का वृहद स्तर पर निर्माण समझ सकते हैं। 74942 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास के लिए 2017 में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने भारतमाला परियोजना को मंजूरी दी थी। उस समय 34800 किलोमीटर लंबी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के लिए 535000 करोड़ रुपए का बजट रखा गया था।

भारतमाला परियोजना और इसके लिए शुरुआत में जो बजट कैबिनेट समिति ने आवंटित की थी, उसके साथ द्वारका एक्सप्रेसवे को जोड़ कर देखने से समस्या होगी। अभी हो रही राजनीति भी इसी कारण से है। जमीन पर सड़क बनाने के औसत बजट को पूरी तरीके से एलिवेटेड और सुरंगों वाली प्रोजेक्ट (द्वारका एक्सप्रेसवे) के साथ कॉम्पेयर करना आम और संतरे की तुलना के बराबर है। तुलना अगर करनी ही है तो दिल्ली के सिग्नेचर ब्रिज और उसमें लगे बजट के साथ कीजिए (2018 और 2023 के बीच 5 साल में लागत के बढ़ते आँकड़ों को अगर दरकिनार कर भी दिया जाए तो)।

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चंदन कुमार
चंदन कुमारhttps://hindi.opindia.com/
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