केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने मोदी सरकार के पिछले पाँच वर्षों में कई अहम मंत्रालय संभाले। हालाँकि, वो अमेठी से पिछले लोकसभा चुनाव हार गई थीं लेकिन उन्होंने तीन लाख से भी अधिक वोट पाकर गाँधी परिवार के गढ़ में दस्तक दे दी थी। हारने के बावजूद स्मृति ईरानी ने अमेठी के साथ ऐसा ही व्यवहार किया, जैसे वहाँ की सांसद वही हों। उन्होंने हर एक विकास कार्य पर पैनी नज़र बनाए रखकर न सिर्फ़ वहाँ के लोगों के जीवन स्तर को सुधारा बल्कि समय-समय पर क्षेत्र का दौरा कर विकास कार्यों का व्यक्तिगत रूप से निरीक्षण भी किया। वहीं अगर राहुल गाँधी की बात करें तो अमेठी में वो बस पोस्टरों की वजह से ही ख़बरों में रहे और किसी ग़रीब के घर खाना खाने से अधिक उनके बारे में कोई ख़ास ख़बर नहीं आई। आज स्मृति ईरानी ने लोकसभा 2019 के लिए अमेठी से नामांकन किया है। आइए देखते हैं उन्होंने पिछले 5 वर्षों में अमेठी के लिए क्या-क्या किया।
स्मृति ईरानी न सिर्फ़ स्थानीय अधिकारियों के साथ बैठकें कर परिजोयनाओं की निगरानी करती हैं बल्कि अमेठी के गाँवों के प्रधानों से भी मिलती रहती हैं।
कैशलेस भुगतान: डिजिटल हुई अमेठी
स्मृति ईरानी ने अमेठी में डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए व्यक्तिगत पहल की। उन्होंने दिसंबर 2016 मंडल अमेठी और मंडल गौरीगंज में प्रशिक्षण शिविर आयोजित कर कैशलेस भुगतान के प्रति लोगों को सिर्फ़ जागरूक ही नहीं बल्कि उन्हें प्रशिक्षित करने का भी बीड़ा उठाया। इसका सबसे बड़ा फ़ायदा 9 महीने बाद दिखा। सितंबर 2018 में अमेठी के पिंडारा ठाकुर गाँव को डिजिटल गाँव घोषित किया गया। यह शायद देश का पहला ऐसा गाँव था, जो आत्मनिर्भर हुआ। स्मृति ईरानी के प्रयासों के परिणामस्वरूप इसे सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा सामान्य सेवा केंद्र के रूप में चयनित किया गया।
Citizens of Pindara Thakur, Amethi’s first digital village – all set to listen to PM @narendramodi ji at the recently inaugurated Common Service Centre. pic.twitter.com/51z5nJHp0p
— Chowkidar Smriti Z Irani (@smritiirani) September 11, 2018
डिजिटल इंडिया के अंतर्गत डिजिटल गाँव घोषित किए गए इस गाँव में केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा चालित 206 कार्यक्रमों की ऑनलाइन उपलब्धता सुनिश्चित की गई। इसमें वाई-फाई चौपाल, एलईडी बल्बों के विनिर्माण, सैनिटरी पैड बनाने की एक इकाई और पीएम डिजिटल लिटरेसी पहल सहित कई योजनाएँ शामिल हैं। इतना ही नहीं, इन प्रयासों के बाद ग्रामीणों व यहाँ ये युवाओं को गाँव में ही रोज़गार मिलने शुरू हो गए।
चिकित्सा के क्षेत्र में भी अमेठी का रखा ध्यान
इसके अलावा अमेठी के लोगों के स्वास्थ्य को लेकर भी स्मृति ईरानी ने प्रयास किया। उनके प्रयासों के मद्देनज़र राघव राम सेवा संस्थान, भाऊराव देवरस सेवा संस्थान और किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी द्वारा समय-समय पर आँखों की जाँच के लिए कैम्प लगाए गए। इन शिविरों के कारण कई नागरिकों को न सिर्फ़ धन की बचत हुई बल्कि आँखों को समय पर उपचार उपलब्ध हो सका। पहले ऐसी छोटी-छोटी बातों पर ध्यान नहीं दिया जाता था। सितम्बर 2016 में ईरानी ने ख़ुद अमेठी के हलियापुर में भाऊराव सेवा न्यास और केजीएम यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित स्वास्थ्य शिविरों का दौरा किया।
स्मृति ईरानी ने उस दौरान बताया कि 26 मई के बाद से तबतक वहाँ 10,000 लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध कराइ जा चुकी हैं। इसमें सर्जरी, दवाएँ और मोतियाबिंद ऑपरेशन सहित कई सुविधाएँ शामिल हैं। स्मृति ईरानी ने आगे कहा कि भाऊराव देवरस सेवा संस्थान एवं भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड द्वारा अनवरत अमेठी मे 20 वर्षों तक नि:शुल्क चिकित्सा शिविर चलता रहेगा। उन्होंने अप्रैल 2018 में गौरीगंज में अंत्योदय स्वास्थ्य शिविर का उदघाटन किया। इतना ही नहीं, अमेठी में ज़िला अस्पताल के निर्माण के लिए केंद्र सरकार द्वारा 36 लाख रुपए दिए गए।
दिसंबर 2016 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी के जन्मदिन (सुशासन दिवस) के मौके पर अमेठी में एक शिविर लगा जिसमें 474 ऐसे लोगों को ग्लासेज वितरित किए गए, जिनका मोतियाबिंद का ऑपरेशन हुआ था। तिलोई में स्पेशल वीमेन हॉस्पिटल का निर्माण किया गया। 200 बीएड वाले इस अस्पताल का उद्घाटन अप्रैल 2017 में किया गया।
अमेठी में बढे रोज़गार के अवसर, स्किल डेवलपमेंट पर ध्यान
कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने शायद ही अमेठी में किसी उद्योग की स्थापना के लिए प्रयास किया हो या आमजनों को स्किल डेवलपमेंट के लिए साधन मुहैया कराए हों लेकिन स्मृति ईरानी ने इस क्षेत्र में वो कर दिखाया जो राहुल देश भर में बोलते हुए घुमते रहते हैं। उन्होंने ‘मेड इन अमेठी’ का सपना साकार किया। अप्रैल 2017 में उन्होंने स्किल इंडिया के तहत अमेठी में पहला प्रधानमंत्री कौशल केंद्र का उद्घाटन किया। ये कौशल केंद्र अमेठी स्थित गौरीगंज के जामो में खुला। उनके निवेदन पर ‘मेड इन अमेठी’ पैकेजिंग प्रॉस्पेक्ट्स की सुविधा हासिल हुई।
आपको बता दें कि अमेठी में नीम के पेड़ों की संख्या बहुत है। केंद्रीय मंत्री ईरानी ने इसे भी लोगों द्वारा धन कमाने के अवसर के रूप में परिवर्तित कर दिया। उनके प्रयासों के परिणाम स्वरूप गुजरात की नर्मदा वैली फर्टीलिज़ेर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड (GNFC) ने यहाँ सोशियो-इकोनॉमिक नीम प्रोजेक्ट की शुरुआत की। इसका उद्घाटन अप्रैल 2018 में अमेठी स्थित जगदीशपुर के कठौरा में ख़ुद ईरानी ने किया। इससे न सिर्फ़ अमेठी बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश को फ़ायदा हुआ। राज्य के 2500 गाँवों में एक लाख से भी अधिक ग्रामीण औरतों को इसका फ़ायदा मिला। स्मृति ईरानी के पीआरओ विजय गुप्ता ने ख़ुद इस कार्य की प्रगति पर नज़र रखी थी और स्थानीय प्रशासन के साथ बैठकों में सम्मिलित होकर कार्य की निगरानी की।
अमेठी के महिलाओं द्वारा तैयार किए गए अचार की ब्रांडिंग भी स्मृति ने सुनिश्चित कराई। उन्होंने ऐसी छोटी-मोटी चीजों को पकड़ा, जिस पर आम तौर पर किसी का ध्यान नहीं जाता। उन्होंने ‘अमेठी पिकल्स’ को अमेठी की महिलाओं के प्रदर्शन की क्षमता और उद्यमशीलता कौशल का प्रदर्शन बताया।
शिक्षा के क्षेत्र में भी स्मृति के प्रयासों का दिखा फल
स्मृति ईरानी ने अमेठी के सभी प्रखंडों में इंदिरा गाँधी ओपन यूनिवर्सिटी (IGNOU) को अपने केंद्र स्थापित करने का निवेदन किया और यूनिवर्सिटी इसके लिए मान भी गई। उन्होंने इग्नू के रूरल स्टडी सेंटर का उद्घाटन करते वक़्त कहा कि इससे अलग-अलग विभागों में 30 स्नातक, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट के कोर्स उपलब्ध कराए जाएँगे। अक्टूबर 2016 में स्मृति ईरानी और केन्द्रीयता मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने अमेठी में राजीव गाँधी पेट्रोलियम प्रौद्योगिकी संस्थान का उदघाटन किया। हालाँकि, इस समारोह में राहुल गाँधी को भी आना था, लेकिन उन्होंने इसमें आने से इनकार कर दिया।
राहुल गाँधी अमेठी के सांसद होते हुए भी अपने पिता के नाम पर ही स्थापित यूनिवर्सिटी के उद्घाटन में नहीं आए। इस युनिवर्सिटी को अमेठी स्थित जायस के बहादुरपुर में 519 करोड़ रुपए की लागत से तैयार किया गया। गौरीगंज में सेंट्रल स्कुल के निर्माण को मंज़ूरी दी गई। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (NIOS) की शाखा को मंज़ूरी दी गई।
रेलवे के क्षेत्र में अमेठी का विकास, बढ़ी कनेक्टिविटी
केंद्रीय रेल मंत्री से समय-समय पर निवेदन करके स्मृति ईरानी ने अमेठी में कई प्रोजेक्ट्स को हरी झंडी दिखाई और साथ ही मंज़ूरी भी दिलाई। रेलवे क्रॉसिंग को दुरुस्त किया गया। रायबरेली-अमेठी के बीच रेल लाइन को डबल करने का कार्य शुरू किया गया। बानी, गौरीगंज और जायस के रेलवे स्टेशनों को आदर्श स्टेशन के रूप में विकसित करने का निर्णय भी 2016 में ही लिया गया।
अमेठी के रेलवे लाइन्स के विद्युतीकरण का कार्य शुरू हुआ। स्मृति ईरानी के प्रयासों के बाद अमेठी के रेलवे स्टेशनों पर शौचायल बनने शुरू हुए। लोगों का मानना है कि 2015 तक अमेठी के रेलवे स्टेशन पर एक शौचालय तक नहीं था। अमेठी में रेल नीर प्लांट की स्थापना की गई। इससे कई लोगों को रोज़गार मिला। ख़ुद केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने स्मृति ईरानी की प्रशंसा की। स्मृति ईरानी ने पीयूष गोयल के साथ मिलकर बैठक की और उन्हें रेलवे परियोजनाओं की माँगों से समय-समय पर अवगत कराया।
अमेठी में स्मृति ईरानी के प्रयासों द्वारा फलीभूत हुए अन्य कार्य
- 2018 में 19 से 21 नवम्बर तक अमेठी में रोज़गार मेला का आयोजन हुआ। इसमें 10 विभिन्न सेक्टर से 40 कंपनियों ने भाग लिया।
- 2016-17 में उज्ज्वला योजना के अंतर्गत अमेठी गैस वितरण का जो टारगेट सेट किया गया था, उस टारगेट से 20,000 से भी ज्यादा सिलिंडर वितरित किए गए। इसकी निगरानी स्मृति ईरानी ख़ुद कर रही थीं।
- अमेठी के 181 गाँवों को ‘Open Defecation Free’ घोषित किया गया। अमेठी को स्वच्छ भारत मिशन के तहत 55 करोड़ रुपए प्राप्त हुए। अतः, वहाँ 55,000 से भी अधिक शौचालयों का निर्माण हुआ।
- संग्रामपुर में फ्री वाई-फाई सर्विस लॉन्च की गई।
- जगदीशपुर स्टील प्लांट जो कि 30 वर्षों से बंद पड़ा था, उसका जीर्णोद्धार किया गया।
- अमेठी में लघु उद्योग को बढ़ावा देने हेतु 50 मधुमक्खी पालकों को ‘बी बॉक्स’ वितरित किए गए। इसके साथ ही ‘लिज़्ज़त पापड़’ जैसे व्यवसाय के माध्यम से अमेठी की महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए किए जा रहे हैं प्रयास।
- ज़िला संयुक्त चिकित्सालय, अमेठी में स्थापित पहले CT Scan मशीन का लोकार्पण किया। बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए अमेठी के लोगों को लखनऊ-दिल्ली जैसे शहरों की तरफ जाने से राहत मिली।
इन सबके अलावा समय-समय पर स्मृति ईरानी अमेठी का दौरा करती रहीं और उन्होंने आम जनों से मिलना-जुलना जारी रखा। इससे फ़ायदा यह हुआ कि उन्हें क्षेत्र की समस्याओं की अच्छी समझ हुई और राजनीतिक रूप से भी उनका प्रभाव यहाँ बढ़ा। सबसे बड़ी बात कि स्मृति ईरानी ने हवा-हवाई वादे न कर के छोटी-मोटी समस्याओं पर ध्यान दिया, जिसके दूरगामी परिणाम हुए।