Sunday, June 22, 2025
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कहीं 3 बार बदले कैंडिडेट, कहीं 2 को दे दिया सिंबल: क्यों बार-बार ‘साइकिल’ की हवा निकाल रहे अखिलेश यादव, क्या नतीजों से पहले ही मान ली है हार

इंडी गठबंधन में एक तरफ तो कॉन्ग्रेस को ढंग के प्रत्याशी ही नहीं मिल रहे, तो दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी इतने प्रत्याशी बदल चुकी है कि उसके कार्यकर्ता परेशान हो गए हैं। ये परेशानी यूपी ही नहीं, मध्य प्रदेश की खजुराहो सीट पर दिखी, जब इंडी गठबंधन के बैनर तले मिली इकलौती सीट पर भी उसे दो बार प्रत्याशी घोषित करने पड़े।

लोकसभा चुनाव 2024 में टिकटों का बँटवारा अखिलेश यादव के लिए सिरदर्द बन चुका है। एक नहीं, दो नहीं बल्कि कई सीटों पर सपा ने प्रत्याशी बदले हैं। कुछ सीटों पर तो 3-3 बार। ये अखिलेश यादव का कन्फ्यूजन है या बात कुछ और है, किसी को समझ नहीं आ रहा है। समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता तक परेशान हैं कि वो आखिर किस प्रत्याशी के लिए प्रचार करें? ये परेशानी सिर्फ एक जगह नहीं दिखी, बल्कि कई लोकसभा सीटों पर अखिलेश यादव ऐसी परेशानी में फंसते दिखे।

इंडी गठबंधन का हिस्सा समाजवादी पार्टी यूपी में 63 सीटों पर चुनाव लड़ रही थी, लेकिन उसने एक सीट पहले ही सरेंडर कर दी। सपा ने भदोही लोकसभा सीट टीएमसी को दे दिया और बाकी की 62 सीटों को अपने पास रखा। वैसे, इंडी गठबंधन में एक तरफ तो कॉन्ग्रेस को ढंग के प्रत्याशी ही नहीं मिल रहे, तो दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी इतने प्रत्याशी बदल चुकी है कि उसके कार्यकर्ता परेशान हो गए हैं। ये परेशानी यूपी ही नहीं, मध्य प्रदेश की खजुराहो सीट पर दिखी, जब इंडी गठबंधन के बैनर तले मिली इकलौती सीट पर भी उसे दो बार प्रत्याशी घोषित करने पड़े। आइए, उन सीटों पर नजर डालते हैं, जिनपर सपा ने प्रत्याशी बदल दिए।

मेरठ लोकसभा सीट

अखिलेश यादव ने यूपी की जिन सीटों पर कई बार उम्मीदवारों को बदला, उसमें सबसे ताजा और चर्चित मामला मेरठ का है, जहाँ समाजवादी पार्टी ने तीन-तीन बार प्रत्याशी बदल दिए। मेरठ में पहले सपा ने भानु प्रताप को टिकट दिया। उनका टिकट काट कर सरधना के विधायक अतुल प्रधान को टिकट दे दिया और फिर नामांकन के आखिरी दिन एक बार फिर से सपा ने मेरठ का उम्मीदवार बदला और नामांकन करा चुके अतुल प्रधान की जगह सुनीता वर्मा को टिकट दे दिया।

गौतम बुद्ध नगर

समाजवादी पार्टी के लिए गौतम बुद्ध नगर (नोएडा) लोकसभा सीट पर काफी मुश्किल वाली दिख रही है। यहाँ भी पार्टी तीन-तीन बार प्रत्याशी बदल चुकी है। समाजवादी पार्टी ने पहले यहाँ से महेंद्र नागर को अपना उम्मीदवार बनाया। लेकिन स्थानीय विरोध को देखते सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यहाँ से युवा राहुल अवाना को टिकट दे दिया। इसके बाद फिर दबाव बढ़ा, तो वापस महेंद्र नागर को ही अपना उम्मीदवार बना लिया।

मिश्रिख लोकसभा सीट

सपा और अखिलेश यादव किस तरह से प्रत्याशियों के नामों का फैसला कर रहे हैं, इसे इस तरह से समझा जा सकता है कि कोई भी, किसी के भी नाम पर टिकट ले आता है। दरअसल, मिश्रिख लोकसभा सीट पर अखिलेश यादव ने पहले तो रामपाल राजवंशी को टिकट दिया था। लेकिन उन्होंने खुद को अस्वस्थ बताया तो अखिलेश यादव ने उनके बेटे मनोज राजवंशी को टिकट दे दिया। मनोज राजवंशी 2022 का विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। ऐसे में अखिलेश यादव ने फिर से प्रत्याशी बदल दिया, लेकिन इस बार मनोज राजवंशी की पत्नी संगीता राजवंशी को टिकट दे दिया। भले ही यहाँ अखिलेश यादव ने तीन बार प्रत्याशी के नाम की घोषणा की हो, लेकिन टिकट एक ही परिवार में गया। ऐसे में सपा कार्यकर्ता भी इस बात को लेकर परेशान हैं कि आखिर राजवंशी परिवार के साथ उनका ऐसा क्या लगाव है कि उस परिवार को छोड़कर पूरे लोकसभा में कोई प्रत्याशी ही नहीं मिल रहा।

बागपत

पश्चिमी यूपी की बागपत लोकसभा सीट पर भी समाजवादी पार्टी अपने प्रत्याशी को बदल चुकी है। समाजवादी पार्टी ने पहले यहाँ से मनोज चौधरी को टिकट दिया था, लेकिन उनका टिकट काटकर गाजियाबाद के रहने वाले और साहिबाबाद लोकसभा सीट से डेढ़ दशक पहले बीएसपी के टिकट पर विधायक रहे अमरपाल शर्मा को टिकट दे दिया है। अमरपाल शर्मा पिछला कई चुनाव हार चुके हैं।

मुरादाबाद

मुरादाबाद लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी की काफी फजीहत हो चुकी है। आजम खान के दबाव का असर कहें या कुछ और, आखिरकार रुचिवीरा को ही पार्टी ने अपना उम्मीदवार मान लिया है। यहाँ से मौजूदा सांसद एसटी हसन को टिकट दिया, फिर रुचिवीरा को सिंबल दिया, फिर एसटी हसन को टिकट दिया गया, फिर दोनों ने ही नामांकन कर दिया और अब रुचि वीरा के पक्ष में पार्टी ने एक पत्र लिखकर बताया है कि उम्मीदवार रुचि वीरा ही हैं। इस उठापटक के खेल में सपा कार्यकर्ताओं में भी मायूसी छाई रही।

बिजनौर

बिजनौर लोकसभा सीट पर भी समाजवादी पार्टी अपना उम्मीदवार बदल चुकी है। बिजनौर सीट पर पहले सपा ने यशवीर सिंह को टिकट दिया था, लेकिन 24 मार्च को उनका टिकट काट दिया गया और दीपक सैनी को उम्मीदवार बना दिया गया।

रामपुर

रामपुर लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी में गजब का खींचतान चला। यहाँ मानों अखिलेश यादव और आजम खान में मुख्य मुकाबला हो रहा है। अखिलेश यादव ने रामपुर से मुहिउबुल्लाह मदनी को उम्मीदवार बनाया है। इसके बदले में सपा की जिला इकाई ने चुनाव के ही बहिष्कार की घोषणा कर दी थी। आसिम रजा ने तो बाकायदा नामांकन भी दाखिल कर दिया था। हालाँकि उनका पर्चा खारिज हो गया है और बताया जा रहा है कि अखिलेश यादव द्वारा तय प्रत्याशी मदनी ही पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार हैं।

बदायूँ

बदायूँ लोकसभी सीट को लेकर खबर है कि यहाँ से शिवपाल सिंह यादव चुनाव नहीं लड़ना चाहते, बल्कि वो अपने बेटे आदित्य यादव के लिए टिकट माँग रहे हैं। मीडिया से बातचीत में भी उन्होंने कहा था कि बदायूँ लोकसभा सीट युवा नेतृत्व माँग रही है। हालाँकि अभी तक बदायूँ से उम्मीदवार तो नहीं बदला गया है, लेकिन शिवपाल यादव के कद को देखते हुए उन्हें मना कर पाना अखिलेश यादव के लिए संभव नहीं दिखता। ऐसे में देर-सवेर यहाँ भी उम्मीदवार बदल सकता है।

खजुराहो

मध्य प्रदेश की 29 सीटों में से एक सीट पर समाजवादी पार्टी ने गठबंधन के तहत खजुराहो सीट से बीते दिनों मनोज यादव को चुनावी मैदान में उतारा था। दो दिन बाद मनोज यादव का टिकट काटकर समाजवादी पार्टी ने खजुराहो सीट से मीरा दीप नारायण यादव को चुनावी मैदान में उतार दिया। मीरा यादव उत्तर प्रदेश की झांसी जिले की गरौठा विधानसभा सीट से दो बार विधायक रह चुके दीप नारायण यादव की पत्नी है। अब मनोज यादव को एडजस्ट करने के लिए उन्हें मध्य प्रदेश में पार्टी का अध्यक्ष बना दिया गया है।

ये सारी सीटें तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश की हैं और एक लोकसभा सीट मध्य प्रदेश की है। अभी दो ही चरण के लिए नामांकन प्रक्रिया पूरी हुई है। उत्तर प्रदेश में 7 चरणों में लोकसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में कुछ रिपोर्ट्स ऐसी भी आ रही हैं, जिसमें अब अखिलेश यादव पूर्वी उत्तर प्रदेश की सीटों पर भी प्रत्याशियों को बदल सकते हैं। बहरहाल, अखिलेश यादव के उम्मीदवारों को बदलने के पीछे चाहे जो वजह हो, लेकिन इसका गलत मैसेज तो जनता में जा रहा है। वहीं, विपक्षी भी इस बार पर चुटकी लेने से नहीं चूक रहे हैं।

कुछ समय पहले तक अखिलेश यादव के साथी रहे लेकिन अब एनडीए में शामिल हो चुके चौधरी जयंत सिंह ने भी उम्मीदवारों के बदले जाने को लेकर तंज कसा है। जयंत सिंह ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि वो लोग किस्मत वाले हैं, जिन्हें कुछ घंटे के लिए टिकट मिलता है। उन्होंने पोस्ट किया, “विपक्ष में किस्मत वालों को ही कुछ घंटों के लिए लोकसभा प्रत्याशी का टिकट मिलता है! और जिनका टिकट नहीं कटा, उनका नसीब…”

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श्रवण शुक्ल
श्रवण शुक्ल
I am Shravan Kumar Shukla, known as ePatrakaar, a multimedia journalist deeply passionate about digital media. Since 2010, I’ve been actively engaged in journalism, working across diverse platforms including agencies, news channels, and print publications. My understanding of social media strengthens my ability to thrive in the digital space. Above all, ground reporting is closest to my heart and remains my preferred way of working. explore ground reporting digital journalism trends more personal tone.

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