कॉन्ग्रेस ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अपना घोषणा पत्र शुक्रवार (5 अप्रैल 2024) को जारी किया। इसे पार्टी ने ‘न्याय पत्र’ नाम दिया है। घोषणा पत्र में मुख्य तौर पर 5 न्याय और 25 तरह की गारंटियों का जिक्र है। लोकसभा चुनाव का बिगुल बजते ही जहाँ कॉन्ग्रेस नेता महिलाओं पर अभद्र टिप्पणियों को लेकर चर्चा में हैं, वहीं पार्टी घोषणा पत्र में महिलाओं को भी ‘न्याय’ देने की बात कर रही है।
इस मोर्चे पर कॉन्ग्रेस के चरित्र में खोट केवल विरोधी महिला नेताओं के लिए ही नहीं दिखता। खुद कॉन्ग्रेस की भी जिन महिला नेत्रियों ने पार्टी से ‘न्याय’ माँगा, उनके ही ऊपर या तो कार्रवाई हुई या फिर उन्हें अपमानजक तरीके से पार्टी छोड़ना पड़ा। इसमें ऐसे कई प्रमुख नाम हैं, जिनका जिक्र हम आगे करेंगे।
कॉन्ग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में कहा कि ‘ऐतिहासिक रूप से महिलाओं के साथ भेदभाव किया गया है और उन्हें बहुत नुकसान पहुँचाया गया है। कॉन्ग्रेस महिलाओं के प्रति भेदभाव को दूर करने, उनके अधिकारों को बनाए रखने और उन्हें आगे बढ़ाने का संकल्प लेती है’। इसमें कॉन्ग्रेस ने लैंगिक भेदभाव और कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न जैसे कानूनों को सख्त करने की बात कही है।
एक आम आदमी अगर पार्टी के इन वादों को सुने तो उसे लगेगा कि कॉन्ग्रेस महिला सुरक्षा को लेकर कितनी गंभीर है। उसके नेता महिलाओं का कितना सम्मान करते हैं। लेकिन, अगर कॉन्ग्रेस नेताओं की जुबान से निकले शब्दों को याद किया जाए तो लगेगा पार्टी के ये दावे खोखले हैं। अभी बहुत ज्यादा दिन नहीं हुए, जब कंगना रनौत मंडी से टिकट मिलने पर रं** कहा गया और मथुरा से सांसद हेमा मालिनी को ‘चा*ने’ जैसे शब्द का इस्तेमाल किया गया।
कॉन्ग्रेस के महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने हरियाणा के कैथल में 1 अप्रैल 2024 को इंडी गठबंधन के प्रत्याशी सुशील गुप्ता के समर्थन में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था, “आप लोग (जनता) हमें विधायक और सांसद इसलिए बनाते हैं, ताकि हम आपकी आवाज संसद में उठा सकें। आपकी बात मनवा सकें। कोई हेमा मालिनी तो है नहीं, जो चा@ने के लिए बनाते हों। कोई फ़िल्म स्टार तो हैं नहीं।”
इसको लेकर भारी भारी बवाल हुआ। राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) तक ने संज्ञान लिया और भारतीय चुनाव आयोग आयोग चिट्ठी लिखकर रिपोर्ट माँग ली। इतना सब कुछ होने के बावजूद कॉन्ग्रेस के हाईकमान ने इस पर कोई बयान नहीं जारी किया और ना ही कोई माफी माँगी। ये कॉन्ग्रेस नेतृत्व की महिलाओं की प्रति संजीदगी को दर्शाता है।
इससे पहले कॉन्ग्रेस के नेताओं ने हिमाचल प्रदेश के मंडी से बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत को भाजपा का टिकट मिलने पर उन पर अभद्र टिप्पणियों की बौछार शुरू हो गई। कॉन्ग्रेस समर्थित सोशल मीडिया और अखबार के संपादक ही नहीं, उसके राष्ट्रीय स्तर के नेता तक ने कंगना रनौत को रं@ बताते हुए उनका ‘बाजार भाव’ तक पूछ डाला।
जब कंगना रनौत को टिकट मिला तो कॉन्ग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत और गुजरात कॉन्ग्रेस के नेता एसपी अहीर ने उनके लिए अश्लील शब्दों का इस्तेमाल किया। सुप्रिया श्रीनेत खुद महिला हैं, लेकिन महिला के प्रति उन्होंने किसी तरह का सम्मान दिखाने की कोशिश नहीं की। हालाँकि, जब बवाल हुआ तो उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट को डिलीट करते हुए माफी माँग ली और इसे अपनी सोशल मीडिया टीम की करस्तानी बता दिया।
सुप्रिया श्रीनेत के सोशल मीडिया अकाउंट पर कंगना रनौत की बिकनी में एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा गया था, “क्या भाव चल रहा है मंडी में कोई बताएगा?” हालाँकि, बाद में सुप्रिया ने एक वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा, “मैं उस व्यक्ति की पहचान करने की कोशिश कर रही हूँ, जिसने ऐसा किया है। इसके अलावा, मेरे नाम का दुरुपयोग करके बनाए गए पैरोडी अकाउंट की रिपोर्ट एक्स में की गई है।”
इतना ही नहीं, गुजरात कॉन्ग्रेस के नेता एचएस अहीर ने तो कंगना रनौत को लेकर जो घटिया बात कही थी, वह किसी महिला के लिए असहनीय है।। उन्होंने कहा था, “मंडी से र*डी।” हालाँकि, सोशल मीडिया पर छीछालेदर के बाद अहीर ने भी अपने पोस्ट को डिलीट कर दिया और कहा, बाद कहा, “मेरे एक्स खाते तक पहुँच रखने वाले किसी व्यक्ति ने बिल्कुल घृणित और आपत्तिजनक पोस्ट की थी, जिसे हटा दिया गया है।”
इन सबसे अलग हैं कॉन्ग्रेस के मुखपत्र नेशनल हेराल्ड की महिला संपादक मृणाल पांडे भी पीछे नहीं रहीं। कंगना रनौत को मंडी से टिकट मिलने की खबर दैनिक जागरण द्वारा दी गई खबर को शेयर करते हुए मृणाल पांडे ने लिखा, “शायद यूँ कि मंडी में सही रेट मिलता है?” हालाँकि, पांडे ने अपना ट्वीट बाद में डिलीट कर दिया, लेकिन इस पर ना कोई स्पष्टीकरण दिया और ना ही माफी माँगी।
इससे पहले कॉन्ग्रेस नेता महिपाल मदेरणा का मामला राष्ट्रीय राजनीति में भूचाल ला दिया था। महिपाल मदेरणा ने भँवरी देवी मामले में ना सिर्फ महिला अस्मिता को तार-तार कर दिया था, बल्कि इस कांड ने ये भी बता दिया था कि कॉन्ग्रेस की नजर में महिलाओं की हैसियत है। इस कांड को हुए दशक भर से ऊपर गुजर गए हैं, लेकिन रणदीप सुरजेवाला, सुप्रिया श्रीनेत, मृणाल पांडे, एचएस अहीर जैसे नेताओं के बयान ये साबित करते हैं, पार्टी और उसके नेताओं की महिलाओं के प्रति नजरिये में किसी तरह का बदलाव नहीं आया है।
कॉन्ग्रेस पार्टी अपने घोषणा पत्र में कहा है कि कॉन्ग्रेस यह सुनिश्चित करेगी कि कार्यस्थल पर महिलाओं का उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध एवं निवारण) अधिनियम 2013 को सख्ती से लागू करेगी। इसके साथ ही लैंगिक भेदभाव और पूर्वाग्रह वाले कथित कानूनों की जाँच करने और उन्हें हटाने का वादा भी कॉन्ग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में किया है।
कार्यस्थलों पर महिलाओं के उत्पीड़न को लेकर वर्तमान कानूनों को सख्ती से लागू करने की बात कॉन्ग्रेस भले करे, लेकिन पार्टी में ही महिलाओं का उत्पीड़न जारी है। कॉन्ग्रेस की महिलाओं ने पार्टी के पुरुषों पर उत्पीड़न का आरोप लगाया और आखिरकार पार्टी छोड़ दी। कॉन्ग्रेस के प्रवक्ता रहीं प्रियंका चतुर्वेदी का मामला सबको याद होगा। यहाँ तक की एक महिला कार्यकर्ता ने तो यूथ कॉन्ग्रेस बीवी श्रीनिवासन पर उत्पीड़न का आरोप मढ़ दिया था।
प्रियंका चतुर्वेदी को लेकर कहा जाता है कि साल 2019 में मथुरा में कॉन्ग्रेस के नेताओं की उपस्थिति में पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया था। लगभग 8 नेताओं ने उनके साथ दुर्व्यवहार करते हुए उनके कमरे तक पहुँच गए थे। सभी नेता जिसके कारण वह भयभीत होकर पार्टी छोड़ दी थी। हालाँकि, पार्टी ने उन्हें निलंबित कर दिया, लेकिन कुछ ही दिन बाद उनका निलंबन वापस ले लिया था।
इसी तरह असम यूथ कॉन्ग्रेस की अध्यक्ष रहीं अंगकिता दत्ता ने यूथ कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी पर महीनों तक मानसिक उत्पीड़न और लैंगिक आधार पर भेदभाव करने का आरोप लगाया था। जब अंगकिता दत्ता ने इसकी शिकायत हाईकमान से की तो उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में ही पार्टी से 6 साल के निलंबित कर दिया गया। आखिरकार तंग आकर उन्होंने पार्टी छोड़ दी।
साल 2021 में पार्टी ने तो एक उदाहरण ही पेश कर दिया। महिला सशक्तिकरण और ‘लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ‘ का नारा देने वाली पार्टी कॉन्ग्रेस ने महिलाओं के यौन उत्पीड़न के आरोपित रंजीत मुखर्जी को तीन प्रमुख राज्यों- त्रिपुरा, नागालैंड और सिक्किम का सचिव बनाया बनाया दिया था। इसको लेकर पार्टी में ही बड़े पैमाने पर विरोध हुआ, लेकिन कॉन्ग्रेस को इससे फर्क नहीं पड़ा।
इस तरह कॉन्ग्रेस में महिला उत्पीड़न, शिकायत करने पर उन्हीं पर कार्रवाई जैसी पुरानी परंपरा रही है। इसमें आज भी किसी तरह का बदलाव नहीं दिख रहा है। हाल में कॉन्ग्रेस के नेताओं द्वारा दिए गए महिला विरोधी बयान और अश्लील टिप्पणियाँ उनकी सोच को दर्शाती हैं। पार्टी में घोषणा पत्र में महिला सशक्तिकरण और न्याय की बात बस दिखावा मात्र है।