कॉन्ग्रेस ने भक्त चरित्र के नाम से एक नया प्रचार वीडियो जारी किया है। उस पर बात करने से पहले कॉन्ग्रेस और नेहरुवियन चरित्र की बात कर ली जाए तो अफ़सोस होता है कि जब-जब देश उन्नति की तरफ बढ़ा, इनका पूरा तंत्र देश का अपने मतलब और राजनीतिक स्वार्थ के लिए दोहन करने में शोषण की हद तक लग गया। इतिहास के पन्ने खंगाले जाए तो पता चलेगा कि कॉन्ग्रेस का हाथ देश को पंगु करने में कितनी सक्रियता से सक्रीय रहा है।
इसी कॉन्ग्रेस ने जो आज तक ‘इस्लामी आतंक’ नहीं कह पाई है। आज भी उसके लिए ऐसे किसी आतंक का कोई मज़हब नहीं है। जिसने समय-समय पर देश की बुनियाद को खोखला करने वाले देश विरोधी ताकतों को संरक्षण दिया। इसी कॉन्ग्रेस ने अल्पसंख्यक तुष्टिकरण और हिन्दुओं को बदनाम करने के लिए कभी ‘भगवा आतंक’ का झूठा नैरेटिव खड़ा करने के लिए कैसे पूरा स्क्रिप्ट प्लान किया था। जिसका खुलासा विभिन्न जाँच एजेंसियों के साथ ही RVS मणि की पुस्तक ‘हिन्दू टेरर’ में किया जा चुका है।
आज एक बार फिर, राउल विन्सी उर्फ़ राहुल गाँधी के कॉन्ग्रेस ने शनिवार को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल के माध्यम से एक वीडियो साझा करके हिन्दुओं को एक बार फिर से बदनाम करने की साजिश की तरफ इशारा किया है। जिसे देखकर किसी भक्त का चरित्र नहीं बल्कि इसके माध्यम से कॉन्ग्रेस का अपना असली चरित्र उजागर हो रहा है।
कभी नकली राम भक्त तो कभी शिव भक्त बने जनेऊधारी राहुल की कॉन्ग्रेस ने चुनावी घमासान में रही-सही कोशिश के रूप में एक ऐसा प्रचार वीडियो जारी किया है। जिसमें एक रैप सॉन्ग के माध्यम से यह कहलवाया गया है कि, “फ़र्ज़ी है, नकली है, ये भक्त चरित्र।” खैर बात राहुल की होती तो सच मान लिया जाता लेकिन वीडिओ में जिस इमेजरी का इस्तेमाल किया गया है। वह फिर से ‘भगवा आतंक’ के फ़र्ज़ी नैरेटिव को कॉन्ग्रेसी चोला पहनाने की कोशिश है।
इसी पार्टी के आलाकमान नेताओं ने इससे पहले भी अपने शासन काल में दिग्विजय सिंह और अन्य नेताओं की अगुवाई में पूरे सिस्टम को पंगु बनाकर इस झूठ को मान्यता प्रदान करने और वैश्विक स्तर पर वसुधैव कुटुंबकम को जीवन का मंत्र बनाने वाले हिन्दुओं को बदनाम करने की साजिश रची थी।
This is the modus operandi that Modi gives his blessings for- organized propagation of hate, spreading of fake news, misleading people, rampant misogyny, abusing the Constitution & misuse of religious sentiments to incite hatred. #BhaktCharitra pic.twitter.com/mIVEWBirrE
— Congress (@INCIndia) April 20, 2019
कॉन्ग्रेस के इस वीडियो में, पारंपरिक हिंदू भगवा परिधान पहने हुए कुछ युवाओं को दुर्भावनापूर्ण, घृणित रूप में दंगाई के रूप चित्रित किया गया है। यहाँ कॉन्ग्रेस यह दिखाना चाहती है कि भगवा पोशाक पहने हुए लोग बुरे और दंगाई होते हैं। जबकि रैपर, स्वयं, पश्चिमी कैजुअल्स में है। कॉन्ग्रेस जिन इमेजरी का इस्तेमाल कर हिन्दुओं को बदनाम करने का कुत्सित प्रयास कर रही है। वह राजनीतिक विरोध के नाम पर एक पूरी संस्कृति को बदनाम करने और वामपंथ के चरमपंथ को मान्यता देने की साजिश का हिस्सा है।
ऐसा करते हुए शायद राहुल भूल गए कि उनकी यही कॉन्ग्रेस पिछले 70 सालों में तमात दंगों का सूत्रधार रही है। आज़ादी के बाद से ही कॉन्ग्रेस देश के सामान्य लोगों को दंगों की भेंट चढ़ाती रही है। लिस्ट लम्बी है आपको पता भी है। जो लोग कॉन्ग्रेस के इन कुकृत्यों में आरोपित हैं वह आज MP के मुख्यमंत्री के रूप में नवाजे गए हैं।
और, जिस पर कोई भी आरोप नहीं है, जो इनके शासन काल में इनकी पूरी सत्ता झोंक देने के बाद भी पूरा कॉन्ग्रेसी गिरोह उस व्यक्ति का बाल भी बाक़ा नहीं कर पाई। वह व्यक्ति कॉन्ग्रेस के घोटालों से देश को निकालकर आज प्रगति के पथ पर ले कर चल रहा है। कॉन्ग्रेस का यह पूरा प्रचार तंत्र आज भारत की मूल संस्कृति को निशाने पर लेकर खुद भस्मासुर की भूमिका में आ गया है।
कॉन्ग्रेस का प्रचार गीत “ये कैसा भक्त चरित्र है?” शब्दों के साथ शुरू होता है। राष्ट्रीय राजनीति में नरेंद्र मोदी के आगमन के बाद से, कॉन्ग्रेस के पूरे पारिस्थितिकी तंत्र द्वारा, सभी मीडिया गिरोहों और देश विरोधी ताकतों का इस्तेमाल करते हुए ‘भक्त’ शब्द को गाली बना देने का प्रयास यूँ ही नहीं किया गया है। विदेशी चंदे और विदेशी गोद में झूला झूलने वालों को भारत की सनातन परम्परा का रत्ती भर भी ज्ञान होता तो आज देश को अपने ही घर में शर्मशार नहीं होना पड़ता।
सनातन या सम्पूर्ण हिंदू धर्म में, भक्त शब्द का एक बहुत ही गहरा और पवित्र अर्थ है। यह एक ऐसे बोध को दर्शाता है जो ईश्वर या देवताओं के प्रति भक्ति भाव में रमा हो। पर जिनके लिए धर्म अफ़ीम हो और अफीम और व्यभिचार जीवन का अभिन्न हिस्सा, ऐसे उदारवादियों ने देश के सांस्कृतिक लोकाचार को नष्ट करने के लिए और केवल अपनी घृणा को प्रकट करने के लिए सर्वे-सन्तु-निरामया की संस्कृति को नष्ट करने की साजिश न रचे तो और क्या करें?
वैसे ‘भक्त’ का कोई राजनीतिक अर्थ नहीं है। लेकिन कॉन्ग्रेस पार्टी और उसके मंत्रियों और वामपंथी गिरोह ने इसे राजनीतिक पक्षपात और द्वेष के साथ चित्रित कर इस शब्द को कट्टरता, बुराई, घृणा और कई अन्य नकारात्मक पहलुओं का पर्याय बनाने की भरसक कोशिश की है।
वीडियो में दिखाया गया है कि कैसे हिन्दू और उसके प्रतीक धार्मिक कट्टरवाद के पीछे की ताकत हैं। 2 मिनट 16 सेकंड के वीडियो में पिछले 70 सालों में इस्लामी कट्टरवाद के हिंदू पीड़ितों का एक भी उल्लेख नहीं किया गया है। पूरे वीडियो में, धार्मिक कट्टरता का रंग भगवा दिखाया गया है।
भाजपा के कई नेता वीडियो में दिखते हैं। योगी आदित्यनाथ, विनय कटियार, मेनका गाँधी को विवादित टिप्पणी करते हुए दिखाया गया है। सांप्रदायिक दंगों के चित्र भी दिखाए गए हैं और हर उदाहरण में, हिंदुओं को आक्रामक और समुदाय विशेष को पीड़ित के रूप में दर्शाया गया है। इसकी ख़ासियत के लिए एक विशेष पंक्ति का इस्तेमाल रैपर द्वारा हुआ है, “ढोंगी है, दिखावा है ये अस्तित्व।”
क्या कॉन्ग्रेस यहाँ यह कहना चाहती है कि किसी ऐसे व्यक्ति का अस्तित्व क्यों है जो देवताओं की पूजा करता है और उनके प्रति पूरी तरह से समर्पित है? क्या ईश्वर के प्रति समर्पित होना, हिन्दुओं की आस्था कॉन्ग्रेस के लिए एक दिखावा है? कॉन्ग्रेस की घृणित मानसिकता का चित्रण करता यह वीडिओ, लाखों-करोड़ों हिंदुओं के विश्वास का घोर अपमान है। लेकिन कॉन्ग्रेस पार्टी के इतिहास को देखते हुए, यह शायद ही उसे अपनी गलती का एहसास हो।
इतना ही नहीं वीडियो में हिन्दुओं के धार्मिक प्रतीकों का भी अपमान किया गया है। वीडियो के अंत में, त्रिपुंड और भागवत को स्क्रीन पर ‘भक्त चरित्र’ के रूप में दिखाया गया है। धर्माभिमानी हिंदुओं के लिए, ये पवित्र प्रतीक हैं जो हमारी महान सभ्यता के बहुत ही सामान्य लोकाचार का प्रतिनिधित्व करते हैं।
भगवाध्वज हमारी सभ्यता का रंग है। यह वह बैनर है जिसके तहत हमारे महान पूर्वजों ने हमारी महान सभ्यता का संरक्षण किया, जो भी लुटेरे यहाँ आये वो भी यहाँ की संस्कृति का मूल नष्ट नहीं कर पाए। भगवाध्वज ही था, जिसकी छत्रछाया में छत्रपति शिवाजी महाराज ने इस धरा को गौरवान्वित किया था। इसी ध्वज के तले हमारे पूर्वजों ने न्याय, धर्म, स्वराज का पाठ मानवता को पढ़ाया।
भागवत को कट्टरता और धार्मिक कट्टरवाद के साथ जोड़ना युद्ध के मैदान पर हमारे पूर्वजों द्वारा दिए गए बलिदानों और उनके द्वारा झेली गई कठिनाइयों का अपमान है। आज उनके बलिदानों की वजह से ही इतने आक्रांत लुटेरों के हमलों के बाद भी हमारी संस्कृति का मूल तत्व जन-जन के जीवन में है।
त्रिपुंड, जिसे कॉन्ग्रेस पार्टी ने कट्टरता से जोड़ा है, शिव तत्व का प्रतीक है। एक बार, कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने खुद को शिव-भक्त कहा था और यहाँ आज वे त्रिपुंड को कट्टरता के साथ जोड़ रहे हैं। यही होता है जब कोई राउल विन्सी बिना धर्म और संस्कृति के मूल को समझे जब प्रतीकों की भौंड़ी नकल करने की कोशिश करता है तो उसके लिए उनके प्रति सम्मान नहीं बल्कि वह सत्ता हासिल करने के लिए एक नाटक का हिस्सा होता है।
हालाँकि, कॉन्ग्रेस पार्टी यह कहने से नहीं चूकती कि वीडियो का उद्देश्य भारतीय जनता पार्टी और उसके कार्यकर्ताओं को निशाना बनाना है। लेकिन यह भूल जाती है कि त्रिपुंड और भगवाध्वज भाजपा से जुड़े नहीं हैं। त्रिपुंड अपने बोध को जागृत करने का प्रतीक है। और भागवत हमारी हिंदू सभ्यता की शांति का प्रतीक है। कर्म की प्रधानता का प्रतीक है। यह आक्रमणकारियों के प्रति हमारे प्रतिरोध का प्रतीक है। यह हर एक हिंदू की धरोहर हैं, उन्हें बदनाम करना हमारे हिंदू विश्वास पर हमला है, न कि भाजपा पर। लेकिन जमीन से कट चुकी कॉन्ग्रेस के लिए, ऐसा लगता है कि यह सब एक ही चीज हैं।
नफ़रत और घृणा के नशे में चूर कॉन्ग्रेस ने भगवान श्री राम को भी नहीं बख्शा। वीडियो में राम का अपमान किया गया है। उन्हें इस ढंग से दिखाया गया है कि जैसे वह स्वयं किसी दंगे का नेतृत्व कर रहे हों। यह दृश्य किसी भी दंगे या सांप्रदायिक हिंसा का नहीं है। चित्र से ऐसा प्रतीत होता है कि यह दृश्य या तो राम नवमी या दशहरे का है। हालाँकि, यह निश्चित रूप से कहना असंभव है कि यह वास्तव में कहाँ का है। लेकिन नकली राम भक्त राहुल ने भगवान राम को भी असहिष्णुता का प्रतीक बता दिया है।
यह वीडियो एक राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ राजनीतिक प्रचार के रूप में कम और हिंदू आतंकवाद सिद्धांत को फिर से हवा देने की रूपरेखा के रूप में ज़्यादा है। कॉन्ग्रेस पार्टी सत्ता में वापस आने के लिए अब देश ही क्या, यहाँ की संस्कृति और सहिष्णुता का भी घोर अपमान करने पर तुली हुई है।
सत्ता और तुष्टिकरण के लिए अब ये कोई भी सीमा लाँघ सकते हैं। इन्हे हर हाल में सत्ता वापस चाहिए। चाहे इसके लिए सम्पूर्ण भारतीय अस्मिता को ही दाँव पर क्यों न लगाना पद जाए। फिर त्रिपुंड, भगवाध्वज और श्री राम का अपमान इनके लिए कौन सी बड़ी बात है। लेकिन कॉन्ग्रेस ऐसा करके खुद की बची-खुची साख को भी मटियामेट कर रही है। ऐसी हरकतों से शायद ही कभी कॉन्ग्रेस की सत्ता में वापसी हो। बाकी भगवान राम की इच्छा।