वेश्यावृत्ति, पोर्नोग्राफी और बलात्कार- इन तीनों को अगर कोई एक चीज एक पंक्ति में खड़ा करती है तो वो है सेक्स। अगर सेक्स इन तीनों का अहम हिस्सा है तो इसका ये अर्थ नहीं कि ये तीनों एक-दूसरे पर निर्भर हैं। हैदराबाद में 26 वर्षीय डॉक्टर प्रीति रेड्डी (बदला हुआ नाम) की गैंगरेप और हत्या के बाद कई लोगों का मानना है कि वेश्यावृत्ति को वैध कर देने से ऐसी घटनाएँ रुक जाएँगी। ये सही नहीं है। बता दें कि डॉक्टर रेड्डी का मोहम्मद आरिफ सहित 4 लोगों ने मिल कर बलात्कार किया और फिर नाक-मुँह दबा कर मार डाला। दरिंदगी का आलम ये था कि पेट्रोल छिड़क कर जलाने से पहले लाश के साथ भी बलात्कार किया गया।
कुछ लोग कह रहे हैं कि न सिर्फ़ वेश्यावृत्ति को लीगल कर देना चाहिए बल्कि पोर्नोग्राफी पर लगे बैन को भी हटा देना चाहिए। उन लोगों का मानना है कि इससे महिलाएँ सुरक्षित रहेंगी। वो ये भी कह रहे हैं कि ये दोनों क़दम उठाने से बलात्कार की घटनाएँ भी कम होंगे। भारत की समस्या यह है कि यहाँ किसी भी समस्या को ठीक से समझे बिना राय देने वाला संक्रमण फ़ैल रहा है। इसी तरह लोगों के ये विचार भी त्रुटिपूर्ण हैं। इससे पता चलता है कि बलात्कार की समस्या को भी लोगों ने ठीक से समझे बिना राय देना शुरू कर दिया है।
कई यूरोपियन देशों ने वेश्यावृत्ति और पोर्नोग्राफी को लीगल किया हुआ है। लेकिन, क्या इससे वहाँ बलात्कार की घटनाएँ नहीं होतीं या फिर पहले से कम हुई हैं? अगर आँकड़ों की बात करें तो प्रति 1000 की जनसंख्या पर उन देशों में बलात्कार की औसत घटनाएँ भारत से ज्यादा ही होती हैं। हाँ, ये भी एक सत्य है कि भारत में ऐसी कई घटनाएँ पुलिस में दर्ज ही नहीं कराई जातीं। यहाँ हम इस पर विचार कर रहे हैं कि क्या वेश्यावृत्ति और पोर्नोग्राफी को लीगल करने से रेप में कमी आएगी?
इसका जवाब है- नहीं। पोर्नोग्राफी और वेश्यावृत्ति को लीगल कर देना बलात्कार की घटनाओं को थामने का समाधान नहीं है। ऐसा इसीलिए क्योंकि इससे उन कई देशों में कोई लाभ नहीं हुआ है, जहाँ सेक्स वर्कर और पोर्न इंडस्ट्री मौजूद है, ये सब लीगल भी है। यूरोप में तो बलात्कार की समस्याएँ और बढ़ती ही जा रही हैं। स्थिति विकट होती जा रही है। यहाँ हम एक-एक कर दोनों चीजों को उठाते हैं। सबसे पहले बात वेश्यावृत्ति की।
सबसे पहले हमें समझना होगा कि लोग ऐसा क्यों कह रहे हैं कि प्रोस्टीटूशन को लीगल कर देने से बलात्कार की घटनाओं में कमी आएगी? इसके पीछे लोगों की वो सोच है, जिसमें वह समझते हैं कि बलात्कार की घटनाएँ इसीलिए होती हैं क्योंकि लोगों को आसानी से सेक्स नहीं मिल पाता। लोगों के मन में थोड़ा और गहरा पैठें तो उनकी ये सोच सामने निकलती है- रेप होते हैं क्योंकि लोगों को सहमति के साथ सेक्स करने के लिए महिलाएँ नहीं मिलतीं।
अगर लोगों की यह धारणा सही होती तो कोई भी शादीशुदा व्यक्ति कभी बलात्कार करता ही नहीं। आजकल अदालतों में वकील अजीब-अजीब दलीलें देते हैं। कल को किसी बलात्कारी का वकील अपने ‘बेचारे’ क्लाइंट के बचाव में जिरह करते हुए ये भी कह सकता है कि उसकी पत्नी उसके साथ नियमित रूप से सेक्स नहीं कर रही थी, इसीलिए उसने ‘मजबूरी में’ किसी का बलात्कार कर दिया। एक और सवाल यह है कि क्या वेश्यालय जाने वाले लोग रेप नहीं करते?
“It makes hierarchy sexy and calls that “the truth about sex” or just a mirror of reality. Through this process pornography constructs what a woman is as what men want from sex”. (MacKinnon, ‘Frances Biddle’s Sister’, p.171)
— Kathleen Stock (@Docstockk) November 28, 2019
ऐसे लोग भी तो बलात्कार के मामले में दोषी पाए गए हैं, जिनकी कई गर्लफ्रेंड्स हों या फिर वो दिखने में आकर्षक हो। ये उस तर्क को ही काटने वाला है जिसमें कहा जा रहा है कि सेक्स के लिए कोई न मिलने के कारण लोग रेप करते हैं। क्या वेश्यावृत्ति को लीगल कर देने से इस इंडस्ट्री में लाखों महिलाएँ आ जाएँगी और फिर सेक्स लोगों के लिए सस्ता और आसान पहुँच वाला हो जाएगा? नहीं। वेश्यालय जाने के लिए रुपए लगेंगे और हैदराबाद गैंगरेप व हत्याकांड के आरोपितों की आर्थिक पृष्ठभूमि देख कर आपको लगता है कि वो लोग रुपए देकर सेक्स करने जाएँगे?
दूसरी बात कही जा रही है पोर्नोग्राफी की। तुलनात्मक रूप से देखें तो भारत में दुनिया का सबसे सस्ता इंटरनेट है। घर-घर में लोगों के हाथ में स्मार्टफोन हैं। क्या ये मानने लायक बात है कि ये सारी सुविधाओं के बावजूद लोग पोर्न देखने में अक्षम होते होंगे? कोर्ट ने कुछ पोर्न वेबसाइटों पर प्रतिबन्ध ज़रूर लगाया हुआ है लेकिन आजकल व्हाट्सप्प वगैरह के माध्यम से ऐसे वीडियोज कहाँ नहीं पहुँच जाते? लोग वीपीएन का प्रयोग कर के प्रतिबंधित साइटों को एक्सेस करते हैं। हैदराबाद के आरोपितों के फोन में भी पोर्न वीडियोज हो सकते हैं।
2013 का शक्ति मिल गैंग रेप कांड तो आपको याद ही होगा? 22 वर्षीय फोटो-जर्नलिस्ट का 5 लोगों ने मिल कर बलात्कार किया था। जाँच में पता चला था कि सारे आरोपित न सिर्फ़ पोर्न एडिक्टेड थे बल्कि उन्होंने पीड़िता से वही सब करवाया, जैसे पोर्न वीडियोज में दिखाया जाता है। पोर्न वीडियोज में एक्टर जो भी करते हैं, आरोपितों ने वैसा ही करने की कोशिश की। पोर्न के एडिक्शन का आलम ये होता है कि एक-दो वीडियो के बाद लोग और नए भी खोजने लगते हैं। कई मामलों में पता चला है कि पोर्नोग्राफी रेप जैसे अपराधों को कम करना तो दूर, उल्टा बढ़ा देता है।
पोर्नोग्राफी और वेश्यावृत्ति को रेप से जोड़ने वाले लोग समझते हैं कि रेप का कारण सिर्फ़ सेक्स ही है। लेकिन नहीं, ये हमेशा सेक्स को लेकर ही नहीं होता। इसीलिए, पोर्नोग्राफी और प्रोस्टीटूशन को रेप से जोड़ कर देखना ही सबसे बड़ी गलती है।
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