हाल में खाने में थूकने के कई मामले सामने आए हैं। इसे मजहबी रिवाज बताने वाले भी कम नहीं हैं। समुदाय विशेष के लोगों का थूकना तब भी चर्चा में आया था, जब देश में चीनी कोरोना वायरस के संक्रमण ने दस्तक दी थी। उस समय सड़क, अस्पताल, यहाँ तक कि डॉक्टर-नर्सों पर थूकने की भी कई रिपोर्टें सामने आई थी।
अब खबर है कि महाराष्ट्र के मुस्लिम बहुल इलाकों में लोग कोरोना वैक्सीन लेने से झिझक रहे हैं। यह बात महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने खुद बताई है। राज्य सरकार ने मुस्लिम समाज में कोरोना वैक्सीन के प्रति व्याप्त संदेह को दूर करने के लिए अभिनेता सलमान खान के साथ मौलानाओं की मदद लेने का फैसला लिया है। देखा जाए तो यह सही कदम है। कोरोना से देश की लड़ाई में यदि कोई भी समाज किन्हीं कारणों से योगदान न दे तो लड़ाई अधूरी रहेगी और खतरा हमेशा बना रहेगा। कहने को भले ही आप ‘अल्पसंख्यक’ कहें पर हकीकत में मुस्लिम समाज देश का दूसरा बहुसंख्यक समाज है। कोरोना महामारी से लड़ने में यदि इतना बड़ा समाज अपनी भूमिका से बचता रहेगा तो यह लड़ाई कभी सफल नहीं हो सकेगी।
देर से ही सही महाराष्ट्र सरकार ने यह स्वीकार किया कि मुस्लिम समाज में कोरोना की वैक्सीन को लेकर संदेह है। इससे पहले खबर आई थी कि केरल में मजहबी कारणों से बड़ी संख्या में शिक्षक भी वैक्सीन नहीं ले रहे। वैक्सीन को लेकर मुस्लिमों की झिझक की वजह को लेकर विस्तार से न तो महाराष्ट्र सरकार ने बताया है और न केरल की सरकार ने बताया था। लेकिन अतीत के अनुभवों से लगता है कि शायद ‘वैक्सीन से नपुंसक’ होने जैसी अफवाहों की वजह से इस समाज ने खुद को दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान से दूर रखा है। इन अफवाहों को फैलाने में विपक्षी दलों और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव जैसे नेताओं का भी योगदान रहा है जो खुद को मुस्लिम समाज का ठेकेदार मानते हैं।
ऐसा नहीं कि वैक्सीन को लेकर मुस्लिम समाज में झिझक पहली बार दिखाई दे रही है। इसके पहले पोलियो वैक्सीन को लेकर भी मुस्लिम समाज ने तरह-तरह की शंकाएँ व्यक्त की थी, जिसकी वजह से पोलियो के खिलाफ अभियान को शुरूआती दिनों में मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।
ऐसे में देर से ही सही इस समस्या से निपटने के लिए पहले समस्या को स्वीकार करना और फिर उसके समाधान की दिशा में कदम उठाने के लिए महाराष्ट्र सरकार की प्रशंसा की जानी चाहिए। राज्य सरकार द्वारा सलमान खान की मदद लेकर मुस्लिम समाज में जागरूकता फैलाने का निर्णय सही है। सरकार द्वारा मौलानाओं की मदद की अपील कितनी कारगर साबित होगी इसे लेकर एक अलग संदेह बना रहेगा। इसके पीछे कारण यह है कि मुस्लिम समाज के लोगों में व्याप्त वैक्सीन के प्रति संदेह और शंकाओं के पीछे मजहबी मान्यताओं का भी हाथ है और समाज में इन मान्यताओं के प्रसार में मौलानाओं का बहुत बड़ा हाथ है। दूसरी बात यह है कि मौलाना हमेशा समाज के लोगों से सीधे संपर्क में हैं। यदि वे चाहते तो वैक्सीन के प्रति समाज के लोगों के मन में व्याप्त संदेह के निवारण का काम पहले कर चुके होते।
Whenever vaccination happened there were religious apprehensions in Muslims, which delayed it slightly. Hoping that they (Muslims) will take jabs & actors like Salman Khan should encourage them: Mumbai Mayor Kishori Pednekar on Covid vaccines not being taken in Muslim areas pic.twitter.com/4ASKqhRjrU
— ANI (@ANI) November 17, 2021
इन सब प्रश्नों के बावजूद महाराष्ट्र सरकार के इस कदम का स्वागत होना चाहिए। सलमान खान वही कहेंगे जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्र सरकार के स्वास्थ्य विभाग के लोग और राज्य सरकार की ओर से लगातार कहा और बताया जा रहा है। हाँ, यदि सलमान खान की अपील और उनका स्टाइल अधिक कारगर साबित होते हैं या उनके द्वारा अपने समाज के लोगों को ‘भाई जान’ कहकर संबोधित करने से वैक्सीन के प्रति इतने बड़े समाज के लोगों के मन से संदेह दूर हो जाता है तो यह महाराष्ट्र सरकार के प्रयासों का सही प्रतिफल होगा। अभी तक भारतीय वैक्सीन पूरी दुनिया में कारगर साबित हुई हैं। सलमान खान की अपील अपने समाज के लोगों के लिए कितनी कारगर साबित होगी, यह देखना दिलचस्प होगा।
वैसे बेहतर होता कि मुस्लिम समाज सलमान खान की अपील का इंतजार किए बिना खुद वैक्सीनेशन को लेकर उत्साह दिखाता। आखिर यह उनकी जिंदगी से जुड़ा हुआ जो मसला है।