दिल्ली से सटे नोएडा में पुलिस और एक एनजीओ ने मिलकर एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो पार्टियों में साँप और साँप का जहर सप्लाई करते थे। उनके पास से लाखों रुपए की कीमत का 20 मिलीलीटर जहर भी बरामद हुआ है। इस जहर का इस्तेमाल रेव पार्टियों में होता है। ऐसी ही एक रेव पार्टी का जाल बुनकर 5 लोगों को साँपों के साथ पकड़ा गया है। इनका लिंक बिग बॉस ओटीटी के विजेता एल्विश यादव से जुड़ता पाया गया है। अब एल्विश यादव को भी इस मामले में आरोपित के तौर पर शामिल किया गया है।
सवाल ये उठ रहा है कि एल्विश यादव और 5 लोगों को साँप के जहर से संबंधित जिस मामले में आरोपित बनाया गया है उसका काम क्या है? क्यों उन लोगों ने अपने पास साँप रखे हुए थे? अगर ये पार्टी में इस्तेमाल होने थे तो पार्टी में इनका क्या काम होता है? ऐसे कई सवालों के जवाब लोग तलाश रहे हैं। हमारी कोशिश है कि इस बारे में लोगों को जागरुक किया जाए और ये बताया जाए कि लोग नशे के नाम पर अपनी जिंदगी से खिलवाड़ करते हैं और कई मामलों में इस ‘मजे’ का अंत मौत होता है।
रेव पार्टियों का चलन भारत में तेजी से बढ़ा है। पिछले एक दशक में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें खतरनाक ड्रग्स के सेवन से लोगों की जान भी गई हैं। उन्हीं खतरनाक ड्रग्स में से एक है साँप का जहर, जिसका सेवन करने वाले इसे ‘स्नेक वेनम’ कहकर प्रचारित करते हैं और इसे मर्दानगी से जोड़कर देखते हैं। इन रेव पार्टियों में पैसा, नशा, सेक्स और ताकत का ऐसा कॉकटेल होता है, जो इसका सेवन करने वालों को कथित तौर पर ‘थ्रिल’ देता है। ये थ्रिल ही उनमें जोखिम लेने का जोश पैदा होता है।
जाहिर सी बात है कि साँप का जहर सीमित मात्रा में हो तो आपको कथित तौर पर ‘मजा’ दे सकता है, लेकिन मात्रा थोड़ी-सी भी ज्यादा हुई तो सीधे यमराज के पास भी भेज सकता है। इन सब बातों का प्रचार तो बॉलीवुडिया फिल्में लंबे समय से कर ही रही हैं।
रेव पार्टियों में साँप के जहर का इस्तेमाल कब से शुरू हुआ?
रेव पार्टियों में साँप के जहर का इस्तेमाल कब से शुरू हुआ, इसका कोई एक निश्चित जवाब नहीं है। कुछ रिपोर्ट के अनुसार, भारत में यह प्रवृत्ति 2010 के दशक की शुरुआत में शुरू हुई थी। हालाँकि, अन्य रिपोर्टों के अनुसार, यह प्रवृत्ति 2020 के दशक की शुरुआत में अधिक स्पष्ट रूप से दिखाई दी। 2010 के दशक की शुरुआत में, भारत में रेव पार्टियों की लोकप्रियता बढ़ने लगी थी।
इन पार्टियों में लोग अक्सर नशीले पदार्थों का उपयोग करते थे, जिनमें कोकीन, एमडीएमए और एक्स्टसी शामिल हैं। कुछ लोगों ने साँप के जहर का उपयोग करना शुरू किया, क्योंकि वे इसे एक नया और अधिक शक्तिशाली नशा मानते थे। इस दौरान भारत में साँप के जहर के उपयोग के बारे में अधिक जानकारी सामने आने लगी। इसने इस पदार्थ के उपयोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद की।
हालाँकि, इसने साँप के जहर के उपयोग को भी बढ़ावा दिया, क्योंकि कुछ लोगों ने इसे एक खतरनाक और चुनौतीपूर्ण नशा माना। 2022 में भारत में रेव पार्टियों में साँप के जहर के उपयोग की रिपोर्ट लगातार आ रही हैं। यह चिंता का विषय है, क्योंकि साँप का जहर अत्यधिक विषाक्त पदार्थ है और इसके गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जिसमें मृत्यु भी शामिल है।
रेव पार्टी क्यों प्रतिबंधित है?
रेव पार्टी को कई कारणों से प्रतिबंधित किया गया है। इसका एक कारण यह है कि उन्हें अक्सर अवैध नशीले पदार्थों के उपयोग के लिए एक स्थान माना जाता है। दूसरा कारण यह है कि उन्हें अक्सर अनियमित और खतरनाक माना जाता है। कई देशों में रेव पार्टी को कानूनी रूप से प्रतिबंधित किया गया है।
भारत में रेव पार्टी को एक ‘सार्वजनिक उपद्रव’ माना जाता है और इन्हें आयोजित करने या इसमें भाग लेने के लिए दंडित किया जा सकता है। इन पार्टियों में अक्सर सुरक्षा मानकों को नजरअंदाज किया जाता है और यह भीड़ से भरा हो सकता है। रेव पार्टी अक्सर कानून-व्यवस्था के लिए चुनौतियाँ पैदा करती हैं। इन पार्टियों में अक्सर शोर, अव्यवस्था और हिंसा होती हैं।
दिल्ली में तेजी से बढ़ रहा स्नेकबाइट का चलन
गल्फ न्यूज ने IANS की अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि स्नेकबाइट दिल्ली में युवाओं के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है, खासकर रेव पार्टियों में। उन्होंने यह भी कहा कि अन्य ड्रग्स के मुकाबले महंगा होता है, फिर भी इसकी माँग तेजी से बढ़ रही है। हालाँकि, इसके इस्तेमाल की वजह से कई बार मौत तक हो जाती है। इसका नशा सीमित स्तर पर हो, इसके लिए पार्टियों के आयोजक अपनी तरफ से नशेड़ियों का ध्यान रखते हैं कि कहीं वो ज्यादा जहर का इस्तेमाल न कर बैठे।
कहा जाता है कि यह स्नेक बाइट इसका इस्तेमाल करने वालों को एक मजबूत नशा देता है, जिसकी वजह से वो लंबे समय तक पार्टी में डांस करते हैं, मजे करते हैं। नशीली दवाओं के नियंत्रण से जुड़े एक अधिकारी ने बताया है कि स्नेकबाइट दिल्ली में युवाओं के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। अधिकारी ने यह भी कहा कि दवा का पता लगाना और इलाज करना मुश्किल है, क्योंकि इसकी जाँच के लिए कोई विशेष व्यवस्था ही नहीं है।
भारत में रेव पार्टियों में साँप के जहर के उपयोग के कुछ कारण
भारतीय जर्नल ऑफ साइकेट्री एंड फार्माकोलॉजी में ‘भारत में मनोरंजन के लिए साँप के जहर का उपयोग: केस रिपोर्ट और कुछ रिपोर्ट्स की समीक्षा’ नाम से एक लेख प्रकाशित हुआ है। ये पूरा शोध आधारित लेख मनोरंजन के लिए साँप के जहर के उपयोग से संबंधित है। इस लेख में बताया गया है कि एक 25 साल का लड़का पिछले 6 माह से साँप के जहर का इस्तेमाल नशे के रूप में कर रहा था। उसने दोस्तों से इस बारे में जानकारी ली थी और फिर वो इसका आदी बन गया, लेकिन एक घटना में उसे अस्पताल में दाखिल होने पर मजबूर होना पड़ा।
इसी लेख में बताया गया है कि आखिर क्यों मनोरंजन या मजे के लिए साँप के जहर का इस्तेमाल बढ़ा है। कुछ लोगों ने दावा किया है कि साँप के जहर से होने वाले तीखे नशे के गुलाम हैं तो कुछ ने कहा कि वे साँप के जहर का उपयोग ऊर्जावान महसूस करने या अपने यौन प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए करते हैं।
साँप का जहर एक बहुत ही शक्तिशाली उत्तेजक है और यह हृदय गति, रक्तचाप और श्वसन दर में वृद्धि का कारण बन सकता है। यह गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं या मृत्यु का कारण बन सकता है। साँप का जहर एक अपेक्षाकृत दुर्लभ नशीला पदार्थ है और इसकी गुणवत्ता को नियंत्रित करना मुश्किल हो सकता है। साँप का जहर एक बहुत ही नशे की लत वाला पदार्थ है।
स्नेकबाइट का इस्तेमाल!
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन पर मई-जून 2018 को प्रकाशित एक केस स्टडी में साँप के जहर का नशे के लिए इस्तेमाल करने के मामले में बड़ा खुलासा किया गया था। इस लेख में ऐसे 33 वर्षीय व्यक्ति के बारे में बताया गया है, जिसने छोटे-मोटे नशों से शुरुआत कर खुद को साँप के जहर का आदी बना लिया।
एक समय बाद जब अस्पताल में भर्ती हुआ, तब जाकर ये खुलासा हो पाया कि वो साँप के जहर का इस्तेमाल आखिर कर क्यों रहा था। इस रिपोर्ट में विस्तार से जानकारी दी गई है कि किस तरह से एक व्यक्ति जो नशे की गिरफ्त में होता है, उसने विकल्प के तौर पर स्नेकबाइट को चुना। रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान में एक खास जगह पर लोग बंजारों और सपेरों की मदद से इस तरह का नशा करते है। चूँकि सपेरे साँपों को पालते हैं, इसलिए उन्हें उसके जहर के बारे में पता होता है।
साँप के जहर में कई अहम पदार्थ
वैज्ञानिकों ने साँप के जहर में विभिन्न प्रकार के विषाक्त पदार्थों की पहचान की है। इन विषाक्त पदार्थों में प्रोटीन, न्यूक्लिक एसिड और कार्बोहाइड्रेट का मिश्रण शामिल हैं। वैज्ञानिकों ने पाया है कि साँप के जहर में एंटी-वायरल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। इन गुणों का उपयोग दवा बनाने के काम में किया जाता है। वैज्ञानिकों ने साँप के जहर के जीन की खोज की है। इस खोज से साँप के जहर के उत्पादन और अनुवांशिक रूपांतरण में मदद मिलेगी।
इन दवाओं का उपयोग कैंसर, एड्स और अन्य बीमारियों के इलाज में किया जा सकता है। साँप के जहर का उपयोग चिकित्सा उपकरणों में सुधार के लिए किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, साँप के जहर का उपयोग एंटीबायोटिक युक्त नैनो-कैप्सूल बनाने के लिए किया जा सकता है। साँप के जहर पर शोध एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है जो चिकित्सा, रक्षा और अन्य क्षेत्रों में कई संभावित अनुप्रयोगों की पेशकश करता है।
नशे के लिए स्नेकबाइट के खिलाफ उठाएँ कदम, खतरे को कहें ‘न’।
स्नेकबाइट एक नया पार्टी ड्रग है, जो भारत में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। स्नेकबाइट का उपयोग करने से गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जिनमें मतिभ्रम, दौरे और मृत्यु शामिल हैं। अधिकारियों ने लोगों से स्नेकबाइट का उपयोग करने से बचने का आग्रह किया है। ऐसे में नशीले पदार्थों का उपयोग न करें, विशेष रूप से उन नशीले पदार्थों का उपयोग न करें जो अज्ञात या अनियमित हैं।
यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति को स्नेकबाइट का उपयोग करते हुए देखते हैं तो उन्हें इसके बारे में बात करने की कोशिश करें और यदि आवश्यक हो तो चिकित्सा सहायता लें। यदि आपको संदेह है कि आपने या आपके किसी परिचित ने स्नेकबाइट का उपयोग किया है तो तुरंत चिकित्सा सहायता लें।