Sunday, June 15, 2025
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EVM को लेकर विपक्ष की नौटंकी जारी, चुनाव आयोग से मिलकर रखेंगे अपनी बात

विपक्षी दलों की बैठक के बाद सभी चुनाव आयोग के पास जाएँगे और वे VVPAT की पर्चियों का मिलान सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार करने और कई जगहों पर स्ट्रांगरूम से EVM के कथित स्थानांतरण से जुड़ी शिकायतों पर कार्रवाई की माँग करेंगे।

लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे आने में अभी वक़्त है और विपक्षी दलों में हलचल का दौर तेज़ हो चला है। ख़बर के अनुसार, मंगलवार (21 मई) को EVM और VVPAT के मुद्दे पर कॉन्ग्रेस, सपा, बसपा, तृणमूल कॉन्ग्रेस समेत सभी दलों के नेताओं ने मिलकर बैठक की। इस बैठक के बाद सभी चुनाव आयोग के पास जाएँगे और वे VVPAT की पर्चियों का मिलान सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार करने और कई जगहों पर स्ट्रांगरूम से EVM के कथित स्थानांतरण से जुड़ी शिकायतों पर कार्रवाई की माँग करेंगे।

बता दें कि विपक्षी दलों ने मतगणना के समय किसी भी मतदान केंद्र पर गड़बड़ी पाए जाने की स्थिति में देशभर में सभी विधानसभा क्षेत्रों में EVM के आँकड़ों के साथ VVPAT मशीन की पर्चियों से मिलान की माँग की थी। इस पर कोर्ट ने मतगणना के समय पूरे देश में हर विधानसभा क्षेत्र के पाँच मतदान केंद्रों के EVM आंकड़ों का मिलान VVPAT की पर्ची से करने के लिए निर्वाचन आयोग को कहा था, जिससे चुनाव के नतीजे आने में देरी हो सकती है।

दिल्ली में हुई इस बैठक में कॉन्ग्रेस से अहमद पटेल, अशोक गहलोत, गुलाम नबी आज़ाद और अभिषेक मनु सिंघवी, माकपा (मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी) से सीताराम येचुरी, तृणमूल कॉन्ग्रेस से डेरेक ओ ब्रायन, तेलुगू देशम पार्टी (TDP) से चंद्रबाबू नायडू, आम आदमी पार्टी (आप) से अरविंद केजरीवाल, सपा (समाजवादी पार्टी) से रामगोपाल यादव, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से सतीश चंद्र मिश्रा और दानिश अली, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) से कनिमोझी, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) से मनोज झा, राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी (राकांपा) से प्रफुल्ल पटेल और माजिद मेमन समेत कई अन्य पार्टियों के नेता भी इस बैठक का हिस्सा थे।

केंद्र में बीजेपी की नेतृत्व वाली सरकार गठित ना हो सके, इस बात को लेकर पूरा विपक्ष एकजुट होता दिख रहा है। फिर भले ही इनके बीच पीएम और डिप्टी पीएम के पद को लेकर शर्तों का दौर लगातार जारी हो। EVM और VVPAT के नाम पर इकट्ठे हुए यह सभी विपक्षी दल केवल बीजेपी को हाशिये पर जाते देखने के इच्छुक है, जो शायद अभी संभव नहीं है। इसकी वजह एग्जिट पोल के वो आँकड़े हैं जो इस बात की ओर इशारा करते हैं कि केंद्र में दोबारा मोदी सरकार बन सकती है। अब यह देखना बाक़ी है कि जब 23 मई को चुनाव के परिणाम घोषित होने के बाद विपक्षी दल कौन-सा मुद्दा उठाएँगे जिस पर वो अपनी सियासत गरमा सकें।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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