Friday, April 26, 2024
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कश्मीर से तेलंगाना तक ‘आजाद’ हो रहे पुराने कॉन्ग्रेसी: 19 अक्टूबर को मिलेगा नया अध्यक्ष, लेकिन चुनाव से पहले पार्टी के वोटर लिस्ट पर आनंद शर्मा ने उठाए सवाल

कॉन्ग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव 17 अक्टूबर को जाना है। इसके दो दिन बाद नतीजे आएँगे। लेकिन जिस तरह इस्तीफों का सिलसिला शुरू हुआ है उससे कयास लग रहे हैं कि चुनाव से पहले कई और वरिष्ठ नेता कॉन्ग्रेस से नाता तोड़ सकते हैं।

गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे के बाद शुरू हुआ कॉन्ग्रेस छोड़ने का सिलसिला थमता नहीं दिख रहा है। जम्मू-कश्मीर के नेताओं के बाद अब तेलंगाना कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता एमए खान ने भी इस्तीफा दे दिया है। राज्यसभा सांसद रहे खान भी ‘G-23’ से आते हैं। इसी समूह के एक और नेता आनंद शर्मा ने कॉन्ग्रेस की उस मतदाता सूची पर सवाल उठाए हैं जो नए अध्यक्ष का चुनाव करेगी।

‘G-23’ ऐसे कॉन्ग्रेसियों का समूह है जिन्होंने करीब 2 साल पहले पार्टी की स्थिति पर सवाल उठाते हुए कॉन्ग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गॉंधी को पत्र लिखा था। इस समूह में शामिल रहे आजाद ने इस्तीफा देते हुए नई पार्टी का गठन करने की बात कही है। उन्होंने इस्तीफे देते हुए सोनिया गाँधी को 5 पन्नों की चिट्ठी लिखते हुए राहुल गाँधी पर गंभीर आरोप लगाए थे। अब एमए खान ने भी कहा है, “उनका (राहुल गाँधी) पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ व्यवहार सही नहीं है। उनके काम करने का तरीका अलग है। पार्टी ऐसी स्थिति में पहुँच गई है, जहाँ दशकों से पार्टी के लिए जी जान लगाने वाले वरिष्ठ नेता कॉन्ग्रेस छोड़ने को मजबूर हैं।”

एमए खान ने सोनिया गाँधी को पत्र में आगे लिखा, “कॉन्ग्रेस देश की जनता को यह समझाने में नाकाम रही कि पार्टी बदलाव कर रही है और देश को आगे ले जाना चाहती है। जब तक आप सक्रिय थीं, तब तक पार्टी में सीनियर नेताओं से सुझाव लिया जाता था। लेकिन अब यह प्रक्रिया खत्म हो चुकी है। कॉन्ग्रेस पार्टी में 40 साल की इस यात्रा को अब मैं अब समाप्त कर रहा हूँ। मेरे पास इसके अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।”

फोटो साभार: @Spirit Of Congress

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने 25 अगस्त 2022 को कॉन्ग्रेस छोड़ दी थी। उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता सहित सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था। सोनिया गाँधी को भेजे पत्र में उन्होंने जवाहर लाल नेहरू से लेकर संजय गॉंधी तक का जिक्र किया था। वायनाड के सांसद राहुल गॉंधी को पार्टी की हालत के लिए कोसते हुए सोनिया को ‘रबर स्टांप’ बताया था।

आजाद ने लिखा था, “बड़े अफसोस और बेहद भावुक दिल के साथ मैंने भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस से अपना आधा सदी पुराना नाता तोड़ने का फैसला किया है। राहुल गाँधी अनुभवहीन लोगों से घिरे हुए हैं। उन्होंने 2013 में पार्टी उपाध्यक्ष बनने के बाद पुरानी कॉन्ग्रेस को खत्म कर दिया, जिसके कारण धीरे-धीरे पार्टी के जमीनी नेता दूर हो गए।” गौरतलब है कि कॉन्ग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव 17 अक्टूबर को जाना है। इसके दो दिन बाद नतीजे आएँगे। लेकिन जिस तरह इस्तीफों का सिलसिला शुरू हुआ है उससे कयास लग रहे हैं कि चुनाव से पहले कई और वरिष्ठ नेता कॉन्ग्रेस से नाता तोड़ सकते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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