Saturday, July 12, 2025
Homeराजनीतिआज़मगढ़ और आज़म का गढ़ - दोनों सीटों पर लहराया भगवा: निरहुआ ने अखिलेश...

आज़मगढ़ और आज़म का गढ़ – दोनों सीटों पर लहराया भगवा: निरहुआ ने अखिलेश यादव के भाई को हराया, और मजबूत हुआ ‘ब्रांड योगी’

जहाँ तक धर्मेंद्र यादव का सवाल है, वो इससे पहले लगातार तीन बार सांसद रह चुके हैं। 2004 में जहाँ उन्होंने मैनपुरी से जीत दर्ज की थी, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनावों में सपा ने उन्हें बदायूँ से उतारा था और उन्हें जीत भी मिली थी।

आज़म खान के गढ़ कहे जाने वाले रामपुर की जनता ने वहाँ भगवा लहरा दिया है। वहीं सपा के संस्थापक परिवार के गढ़ से दिनेश लाल यादव निरहुआ ने बाजी मार ली है। दिनेश लाल यादव निरहुआ 2019 लोकसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से हार गए थे, लेकिन इस बार उन्होंने अखिलेश के भाई धर्मेंद्र को हरा कर अपना बदला पूरा किया है। वहीं रामपुर से भाजपा के घनश्याम सिंह ने जीत दर्ज की है। इससे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि और मजबूत हुई है।

सीए योगी ने उप-चुनाव के दौरान दोनों ही सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों के लिए प्रचार किया था। जहाँ तक धर्मेंद्र यादव का सवाल है, वो इससे पहले लगातार तीन बार सांसद रह चुके हैं। 2004 में जहाँ उन्होंने मैनपुरी से जीत दर्ज की थी, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनावों में सपा ने उन्हें बदायूँ से उतारा था और उन्हें जीत भी मिली थी। इन दोनों चुनाव परिणामों से न सिर्फ समाजवादी पार्टी, बल्कि मुलायम सिंह यादव के परिवार को बड़ा झटका लगा है।

इस उपचुनाव के नतीजे इसीलिए भी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि अखिलेश यादव और आज़म खान, दोनों ने अपनी-अपनी सीटें खाली कर दी थीं। अखिलेश यादव ने करहल से और आज़म खान ने रामपुर से ही विधानसभा चुनाव जीतने के बाद विधायक रह कर राज्य की राजनीति को समय देने का फैसला लिया था। सपा दोनों सीटों पर जीत को लेकर आश्वस्त थी। आज़मगढ़ मुलायम परिवार का पुराना गढ़ रहा है और रामपुर में आज़म खान के परिवार की गुंडई चलती रही है।

वहीं मायावती ने बसपा की तरफ से गुड्डू जमाली को आजमगढ़ से उतारा था, जो तीसरे नंबर पर रहे। अब बात तो ये भी चल रही है कि मुलायम सिंह यादव गुट के धर्मेंद्र यादव को प्रत्याशी बनाने का फैसला अखिलेश यादव ने दबाव में लिया था और इसीलिए उन्होंने उपचुनावों में रुचि नहीं दिखाई। आज़म खान से भी उनका टकराव चलता रहा। वोटिंग प्रतिशत भले ही कम रहा हो, लेकिन उपचुनावों में ये भी मायने रखता है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

'द वायर' जैसे राष्ट्रवादी विचारधारा के विरोधी वेबसाइट्स को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

संघ प्रमुख के 75 साल की उम्र में ‘रिटायर’ वाले बयान को गलत तरीके से फैला रही कॉन्ग्रेस: विपक्ष के लिए PM मोदी ऐसे...

मोहन भागवत ने स्पीच में जीवनभर सक्रिय रहने का संदेश दिया, न कि रिटायर होने का। उन्होंने कहा कि अगर स्वास्थ्य और दिमाग ठीक है, तो काम जारी रखो।

पीएम मोदी के दौरों पर जुबान खोलने से पहले ‘विचार’ कर लेते भगवंत मान ‘साहब’, विदेश नीति कॉमेडी का मंच नहीं ये बेहद गंभीर...

भगवंत मान ने पीएम मोदी के उन देशों के दौरे पर जाने का मजाक उड़ाया है, जिनकी आबादी कम है। दरअसल मान को ये पता ही नहीं है कि छोटे देशों का विश्वस्तर पर कितना महत्व है?
- विज्ञापन -