पंजाब कॉन्ग्रेस की कलह एक बार फिर से दिल्ली पहुँच गई है। पिछले कुछ दिनों से वहाँ गुटबाजी के माहौल ने जोर पकड़ा है। जहाँ मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने पंजाब कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा को अपने खेमे में लाने की कोशिश की है, वहीं कुछ नेता सिद्धू के ऊपर आलाकमान का हाथ मान रहे हैं। मंगलवार (जून 22, 2021) को कैप्टेन एक बार फिर से कॉन्ग्रेस के 3 सदस्यीय पैनल के सामने पेश होने दिल्ली पहुँचे।
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के दफ्तर में डेढ़ घंटे तक ये बैठक चली। सभी की निगाहें अब कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी के साथ सीएम अमरिंदर की होने वाली बैठक पर टिकी हुई है। खड़गे, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और दिल्ली कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष जेपी अग्रवाल की समिति ने कैप्टेन से उनकी बात सुनी। सीएम अमरिंदर 1 दिन पहले ही दिल्ली पहुँच गए थे। 10 जून को पैनल अपनी रिपोर्ट सोनिया गाँधी को सौंप चुका है।
ये पैनल पंजाब में कॉन्ग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ से भी मिलेगा। जाखड़ की आज राहुल गाँधी के साथ भी बैठक तय है। हरीश रावत पंजाब में पार्टी के प्रभारी हैं। उन्होंने सिद्धू की बयानबाजी पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि पार्टी इसका संज्ञान लेगी। पंजाब के विधायक राजकुमार वेरका, सांसद औजला और कुलजीत नागरा ने भी राहुल गाँधी से मुलाकात की है। सिद्धू पहले ही कह चुके हैं कि वो ‘शो पीस’ बन कर नहीं रह सकते।
कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, सुखबिंदर सरकारिया, सुखजिंदर सिंह रंधावा, चरणजीत चन्नी, भारत भूषण आशू, रजिया सुल्ताना, साधु सिंह धर्मसोत के अलावा परगट सिंह, कीकी ढिल्लों, संगत गिलजियां, नवतेज चीमा और कुलबीर सिंह जीरा जैसे नेताओं की भी राहुल गाँधी के साथ बैठक होगी, जहाँ उनका मन टटोला जाएगा। कॉन्ग्रेस की कोशिश है कि सिद्धू को सरकार और संगठन में बड़ी भूमिका दिलवा कर संतुलन साधा जाए।
चर्चा ऐसी भी है कि कैप्टेन अमरिंदर सिंह असंतुष्ट होने की स्थिति में अपनी अलग पार्टी बना कर कॉन्ग्रेस का नुकसान कर सकते हैं, इसीलिए आलाकमान उन्हें भी नाराज़ नहीं करना चाह रहा। जब तक मुद्दा नहीं सुलझेगा, अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए नेताओं को जिम्मेमदारी नहीं बँट सकेगी। कॉन्ग्रेस के सूत्रों का कहना है कि कैप्टेन अमरिंदर भी गाँधी परिवार के करीबी रहे हैं, ऐसे में उनके अलग होने की अटकलें सही नहीं हैं।
Punjab Congress in-charge avoids question on Captain-Sidhu feud; says 'All will be well' https://t.co/OMuIMs7j89
— Republic (@republic) June 22, 2021
बताया जा रहा है कि कैप्टेन अमरिंदर सिंह किसी भी कीमत पर सिद्धू को उप-मुख्यमंत्री के रूप में नहीं देखना चाहते हैं, वो उन्हें कोई महत्वपूर्ण विभाग देकर विवाद का निपटारा चाहते हैं। जबकि चुनाव में धुआँधार प्रचार करने वाले सिद्धू को सरकार और संगठन में बड़ी भूमिका चाहिए। उधर कमजोर भाजपा-अकाली में टूट के बाद पहली बार हो रहे विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की पार्टी भी कूद गई है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि AAP की जीत होती है तो पंजाब का मुख्यमंत्री कोई सिख बनेगा। पूर्व आईजी विजय प्रताप को उन्होंने अमृतसर में पार्टी में शामिल कराया। कोटकपुर गोलीकांड की जाँच के लिए बनी SIT के मुखिया विजय प्रताप ही थे, इसीलिए अब ये मामला भी गर्म है। केजरीवाल ने सिद्धू की भी तारीफ की है। जब सिद्धू ने भाजपा छोड़ी थी, तब भी उनके AAP में जानें की अटकलें थीं।
उधर मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि सोनिया और राहुल गाँधी के नेतृत्व में कॉन्ग्रेस पंजाब का चुनाव लड़ेगी। सिद्धू पहले ही सोनिया-राहुल को अपना बॉस बता चुके हैं। अमरिंदर सिंह ने 18 साल से ऊपर की उम्र के सभी लोगों को मुफ्त कोरोना वैक्सीन लगाने के फैसले पर पीएम मोदी को धन्यवाद कहा था। इस बयान के कई मायने निकाले गए। गुरु ग्रन्थ साहिब का अपमान करने वालों के प्रति नरम रुख का आरोप लगा भी सिद्धू गुट कैप्टेन पर हमलावर है।