कॉन्ग्रेस पार्टी विरोधाभासों की जननी है। पार्टी जहाँ एक तरफ केंद्र सरकार से कुछ और माँग करती है, वहीं दूसरी तरफ राज्यों में उसकी सरकारें अपनी ही पार्टी की माँगों के विपरीत काम करती है। कोरोना वायरस के बीच भी पार्टी राजनीति करने से बाज नहीं आ रही है। अब इ-कॉमर्स कंपनियों द्वारा सामानों की डिलीवरी को लेकर पार्टी ने राजनीति की है। पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन ने कहा था कि केंद्र सरकार को इ-कॉमर्स वेबसाइटों को केवल ज़रूरी सामग्रियों के वितरण की ही अनुमति देनी चाहिए। शनिवार (अप्रैल 18, 2020) को अजय माकन ने ये कहा था।
माकन ने गृह मंत्रालय से ये स्पष्ट करने को कहा था कि क्या 20 अप्रैल के बाद से लॉकडाउन में ढील के दौरान इ-कॉमर्स वेबसाइट सिर्फ़ ज़रूरी सामग्रियों का वितरण करेंगे, या फिर अन्य चीजें भी डिलीवर हो सकेंगी। उन्होंने रिटेल ट्रेडरों का दुःख सरकार के समक्ष रखने का दावा किया था। उन्होंने दावा किया था कि छोटे व्यापारियों के लिए मोदी सरकार के दिशा-निर्देशों ने चिंता खड़ी कर दी है। उन्होंने कहा कि दुकानदारों को सिर्फ़ ज़रूरी सामग्रियाँ बेचने की इजाजत दी गई है तो फिर ऑनलाइन ट्रेडर्स अन्य आइटम्स कैसे बेच सकते हैं?
अब आते हैं केंद्र सरकार के ऑर्डर पर, जिसके बाद हम बात करेंगे कि ऑफलाइन ट्रेडर्स मोदी सरकार के बारे में क्या सोचते हैं। केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि ऑनलाइन ट्रेडर्स केवल ज़रूरी वस्तुओं की डिलीवरी ही कर सकते हैं। दुकानदारों और इ-कॉमर्स कंपनियों, दोनों के लिए यही नियम हैं। यानी, जो वस्तुएँ ज़रूरी सामग्रियों के अंतर्गत नहीं आती, वो न तो बेची जा सकेगी और न ही उसकी ऑनलाइन डिलीवरी हो सकेगी। ऐसे में छोटे व खुदरा व्यापारियों के साथ अन्याय होने का सवाल ही नहीं है।
CAIT Secretary General @praveendel applauding Home Ministry Notification for withdrawing permission to E Commerce for deal in non essential goods @BCBHARTIA @sumitagarwal_82 @narendramodi @PiyushGoyal @AmitShah @rajnathsingh @HardeepSPuri @AimraIndia @AICPDF @aitwaho pic.twitter.com/PmSrKnPZSi
— CAIT (@TEAMCAIT) April 19, 2020
इसलिए, ऑनलाइन ट्रेडर्स एसोसिएशन ने मोदी सरकार के निर्णय के लिए उसकी भूरि-भूरि प्रशंसा की है। एसोसिएशन ने 7 करोड़ व्यापारियों की ओर से मोदी सरकार को धन्यवाद दिया है। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भी लिखा है कि मंत्रालय ने छोटे व्यापारियों के हितों की रक्षा करने का काम किया है, जिसके लिए वो उनके आभारी हैं। एसोसिएशन ने कहा कि भारत सरकार का ये निर्णय दिखाता है कि किसी भी मल्टीनेशनल कम्पनी के आगे सरकार छोटे व्यापारियों के हितों को ज्यादा प्राथमिकता देती है। उनका ठेकेदार बन कर घूम रहे अजय माकन को इससे ज़रूर निराशा होगी।
अब आते हैं कॉन्ग्रेस शासित राज्यों पर। राजस्थान सरकार के आदेश में साफ़ लिखा है कि इ-कॉमर्स कंपनियाँ सभी वस्तुओं की डिलीवरी कर सकती है। इसमें ज़रूरी या अन्य चीजों का कोई जिक्र नहीं है। सीधा स्पष्ट लिखा है कि सभी सामग्रियों की होम डिलीवरी की अनुमति रहेगी। ऐसी कंपनियों को उनकी सेवाएँ देने की स्वतंत्रता रहेगी और उन्हें प्रोत्साहन देने की बात भी कही गई है। राजस्थान में कॉन्ग्रेस छोटे व्यापरियों की अनदेखी क्यों कर रही है?
महाराष्ट्र सरकार ने तो स्पष्ट कर दिया कि इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल वस्तुओं की डिलीवरी भी ऑनलाइन कंपनियों द्वारा की जा सकेगी। महाराष्ट्र में शिवसेना के नेतृत्व वाली अपनी गठबंधन सरकार के ख़िलाफ़ कॉन्ग्रेस क्यों नहीं आवाज़ उठा रही है? वहाँ छोटे व्यापारी नहीं हैं क्या? मोदी सरकार ने उनके हितों की रक्षा की तो कॉन्ग्रेस ने तरह-तरह के आरोप लगाए। अपने शासन वाले राज्यों में जब छोटे व्यापारियों के हितों की अनदेखी हो रही तो पार्टी चुप क्यों है?
सार ये कि कॉन्ग्रेस पार्टी का मानना है कि इ-कॉमर्स वेबसाइटों को केवल ज़रूरी सामग्रियों की ऑनलाइन डिलीवरी की अनुमति देनी चाहिए, बाकी वस्तुओं की नहीं। केंद्र सरकार ने भी यही किया।लेकिन, कॉन्ग्रेस का निशाना फिर भी मोदी सरकार ही है। राजस्थान की कॉन्ग्रेस सरकार और महाराष्ट्र की शिवसेना-एनसीपी-कॉन्ग्रेस सरकार ने ऐसा नहीं किया, लेकिन फिर भी पार्टी उनके ख़िलाफ़ नहीं बोल रही तभी तो, कॉन्ग्रेस विरोधाभासों की जननी है।