Friday, April 26, 2024
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‘ॐ से योग की शक्ति बढ़ेगी नहीं, अल्लाह कहने से घटेगी नहीं’: पतंजलि से भी ज्यादा ‘विद्वान’ बने कॉन्ग्रेस वाले सिंघवी, भूले विज्ञान

अभिषेक मनु सिंघवी ने इस दौरान ये भी नहीं सोचा कि योग और 'ॐ' को बदनाम करने की कोशिश कर के वो न सिर्फ भारतीय पुरातन परंपरा का अपमान कर रहे हैं, बल्कि दुनिया भर में पीएम मोदी ने राष्ट्र के प्रति जो सकारात्मक माहौल बनाया है, उसमें नकारात्मकता घुसाने का प्रयास कर रहे हैं।

पूरे विश्व में सोमवार (जून 21, 2021) को 7वाँ अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। इसमें कोई शक नहीं होना चाहिए कि ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों का ही नतीजा है कि सितंबर 2014 में उन्होंने UNGA को सम्बोधित करते हुए इसका जिक्र किया और उसी साल दिसंबर में संयुक्त राष्ट्र ने 177 देशों के समर्थन से 21 जून को ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ घोषित किया गया। लेकिन, कॉन्ग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी इन सबके दौरान ‘ॐ’ को बदनाम करने में लगे हैं।

आयुष मंत्रालय ने 2015 में प्रथम योग दिवस की तैयारियाँ की थी। अब जब 7 वर्षो से इसे मनाया जा रहा है, कॉन्ग्रेस इसे पचा ही नहीं पा रही है कि मोदी सरकार के प्रयासों से भारतीय परंपरा पूरे विश्व में स्वस्थ दिनचर्या के लिए योगदान दे रही है। तभी वरिष्ठ अधिवक्ता सिंघवी ने ट्वीट कर लिखा, “ॐ के उच्चारण से ना तो योग ज्यादा शक्तिशाली हो जाएगा और ना अल्लाह कहने से योग की शक्ति कम होगी।”

अभिषेक मनु सिंघवी ने इस दौरान ये भी नहीं सोचा कि योग और ‘ॐ’ को बदनाम करने की कोशिश कर के वो न सिर्फ भारतीय पुरातन परंपरा का अपमान कर रहे हैं, बल्कि दुनिया भर में पीएम मोदी ने राष्ट्र के प्रति जो सकारात्मक माहौल बनाया है, उसमें नकारात्मकता घुसाने का प्रयास कर रहे हैं। इससे वो अपना नुकसान तो कर ही रहे हैं, साथ ही अपनी पार्टी कॉन्ग्रेस के चुनावी भविष्य को भी अधर में डाल रहे हैं।

62 वर्षीय अभिषेक मनु सिंघवी के बारे में बता दें कि 2006 से लगातार राज्यसभा सांसद हैं। मारवाड़ी परिवार से ताल्लुक रखने वाले सिंघवी के पिता जैन इतिहास और संस्कृति में पारंगत थे, ऐसे में उनसे अपेक्षा की जाती है कि वो इन चीजों के प्रति जानकारी रखते होंगे। कैम्ब्रिज और हॉवर्ड से पढ़े व्यक्ति को जिम्मेदारी से बयान देना चाहिए। हालाँकि, उनका अश्लील वीडियो भी वायरल हो चुका है। कुछ दिनों पहले एक वर्चुअल सुनवाई में वो बिना पैंट के देखे गए थे।

सबसे पहले बता दें कि योग के साथ ‘ॐ’ शब्द का इस्तेमाल सामान्य है और ये सैकड़ों वर्षों से चला आ रहा है। हिन्दू धर्म के इस सबसे पवित्र शब्द को बौद्ध, जैन और सिख भी इस्तेमाल में लाते हैं। वैदिक संस्कृत से आया ‘ॐ’ उपनिषदों, शास्त्रों, पुराणों और संहिताओं का एक अभिन्न अंग है। योग की शिक्षा लेने वालों को सबसे पहले ‘ॐ’ का महत्व समझाया जाता। पूरे विश्व, स्वर्ग, पाताल और सम्पूर्ण संसार के एकत्व का प्रतीक है ‘ॐ’।

‘नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन’ के पोर्टल पर प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार, वैज्ञानिक अध्ययन बताते हैं कि ‘ॐ’ का उच्चारण करने से एक मानसिक सजगता का भाव आता है। साथ ही इससे शरीर को शांति भी मिलती है। साथ ही ये सेंसरी ट्रांसमिशन के प्रति संवेदनशीलता को भी बढ़ाता है। योग के जनक पतंजलि ने अपने सूत्र को ‘ॐ’ को ईश्वर बताया है। ‘ॐ’ शब्द से शरीर और मन पर प्रभाव को लेकर कई वैज्ञानिक अध्ययन हो चुके हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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