प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को (7 जून 2021) को देश की जनता को संबोधित किया। उन्होंने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि यह राज्य सरकारें थीं, जिन्होंने माँग की थी कि उन्हें अपने राज्य के लोगों के लिए वैक्सीन खरीदने की अनुमति दी जाए।
राज्य सरकारों ने माँग की थी कि टीकों की खरीद में उनका और अधिक योगदान होना चाहिए। हालाँकि, जल्द ही उन्हें यह एहसास हो गया कि यह कार्य उनकी क्षमता से कहीं अधिक है। इसलिए उन्होंने ये राग अलापना बंद कर दिया और वैक्सीन खरीद को केंद्रीकृत करने की माँग करने लगे।
इसके आस-पास जो पूरी राजनीति की गई थी, उसमें पूर्व कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी भी थे। 8 अप्रैल, 2021 को प्रधानमंत्री मोदी को लिखे एक पत्र में उन्होंने माँग की थी कि वैक्सीन खरीद में राज्य सरकारों की अधिक भूमिका होनी चाहिए।
राहुल गाँधी ने पत्र में लिखा था, “सार्वजनिक स्वास्थ्य राज्य का विषय है, हमारे राज्यों को टीके की खरीद से लेकर पंजीकरण तक हर मामले में दरकिनार कर दिया गया है।” उन्होंने प्रधानमंत्री से यह भी कहा था कि टीके की खरीद एवं वितरण में राज्यों की भूमिका बढ़ाई जाए और इस मुश्किल समय में गरीब तबकों को सीधी आर्थिक मदद दी जाए।
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राहुल गाँधी अकेले ऐसे विपक्षी नेता नहीं थे, जिन्होंने इसकी माँग की थी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी इस तरह की माँगों को लेकर मुखर थीं।
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ममता बनर्जी ने 24 फरवरी 2021 को लिखे गए पत्र में कहा था, “हम आपसे अनुरोध करते हैं कि कृपया इस मामले को उपयुक्त अधिकारियों के साथ उठाएँ, ताकि राज्य सरकार शीर्ष प्राथमिकता के आधार पर निर्धारित जगहों (designated point) से टीके खरीद सकें, क्योंकि पश्चिम बंगाल सरकार सभी लोगों का मुफ्त में टीकाकरण करना चाहती है।”
वहीं, पीएम मोदी ने खुलासा किया कि मई के दो सप्ताह बाद राज्यों को यह एहसास होने लगा कि पहले की नीति ज्यादा बेहतर थी। पहले की नीति एक केंद्रीकृत वैक्सीन खरीद नीति थी, जिसे राज्य बदलना चाहते थे। हालाँकि, अब केंद्र सरकार ने फिर से राज्यों के अनुरोध पर पुरानी नीति पर लौटने का फैसला किया है। अब केंद्र सरकार उपलब्ध टीकों का 75% राज्यों को मुफ्त में वितरित करेगी। वहीं, 25% वैक्सीन अभी भी प्राइवेट अस्पतालों को खरीदने के लिए उपलब्ध रहेगी।