दिल्ली में चल रहा ‘किसान आंदोलन’ दिन पर दिन जोर पकड़ता जा रहा है। शनिवार (दिसंबर 5, 2020) को केंद्र सरकार और किसानों के बीच 5वें राउंड की वार्ता होनी है। किसान सिंघु सीमा पर अभी भी राशन-पानी लेकर जमे हुए हैं। आज 10वें दिन किसानों ने ऐलान किया है कि अगर अब वार्ता से कोई नतीजा नहीं निकला तो फिर आगे बातचीत नहीं होगी। साथ ही दिसंबर 8 को भारत बंद का ऐलान भी किया गया है। ‘किसान आंदोलन’ के बीच कंगना रनौत ने भी बड़ा सवाल पूछा है।
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की अध्यक्ष बीबी जागीर कौर ने किसान आंदोलन के दौरान अलग-अलग कारणों से अपनी जान गँवाने वाले किसानों के परिजनों को एक-एक लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। वहीं भारतीय किसान यूनियन ने अनुमति माँगी है कि उन्हें अपने ट्रैक्टरों से लाल किला और संसद भवन जैसे लोकप्रिय स्थलों का दौरा करने दिया जाए। अध्यक्ष राकेश टिकैत ने ये माँग की है।
उनका कहना है कि इनमें से अधिकतर किसान पहली बार दिल्ली आए हैं और वो इन ऐतिहासिक स्थलों को देखने के बाद वापस गाजीपुर सीमा पर लौट जाएँगे। किसानों ने राष्ट्रीय राजधानी की तरफ आने वाली सड़कों को जाम करने की धमकी देते हुए कहा है कि ‘भारत बंद’ के दौरान मोदी सरकार और बड़े कॉर्पोरेट घरानों के पुतले जलाए जाएँगे। उधर आम आदमी पार्टी (AAP) और कॉन्ग्रेस में ठन गई है।
जहाँ आप नेताओं ने कैप्टन अमरिंदर सिंह पर भाजपा का प्रतिनिधि होने का आरोप लगाते हुए पूछा है कि वो दिल्ली आकर कॉन्ग्रेस आलाकमान की जगह अमित शाह से क्यों मिले, वहीं हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने राज्य में विशेष सत्र बुलाए जाने की वकालत की है। दिल्ली सरकार ने आंदोलनकारियों के लिए 300 टॉयलेट, 100 टैंकर और एम्बुलेंस की व्यवस्था की है। दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कॉन्ग्रेस पर राजनीति करने का आरोप लगाया है।
इस बीच किसानों के अड़े रहने और कृषि कानूनों को वापस लेने की माँग पर प्रतिक्रिया देते हुए अभिनेत्री कंगना रनौत ने पूछा है कि जब अभी वाला सिस्टम इतना मजबूत है तो किसान हर साल आत्महत्या करने को क्यों मजबूर होते हैं? उन्होंने कहा कि हर साल कई किसान आत्महत्या करते हैं, हम दुनिया को खिलाते हैं, लेकिन हमारे ही किसान सबसे गरीब है, फिर कृषि सुधारों का विरोध क्यों हो रहा है?
कंगना ने ‘किसान आंदोलन’ के प्रदर्शनकारियों से कहा कि क्या ‘शाहीन बाग़ बिरयानी गैंग और खालिस्तानी आतंकी’ ये बता सकते हैं कि कृषि कानूनों के साथ उनकी समस्या क्या है? उन्होंने याद दिलाया कि कैसे CAA कानून आने के बाद भी प्रदर्शन किए गए थे और उसमें कई लोगों की जान चली गई, जबकि ये स्पष्ट था कि इससे किसी की भी नागरिकता छीनी नहीं जानी है। उन्होंने पूछा कि कौन हैं ये ख़ून के प्यासे दरिंदे, जिन्होंने मासूमों को काट के गटर में फेंका?
Every year thousands of farmers commit suicide,we are the bread basket of the world but our farmers are the poorest,every year I read and see hundreds of strikes by farmers for reforms,agar sab itne satisfied hain existing structure se toh phir suicides n strikes kaun karta hai? https://t.co/IwNTIIGQlB
— Kangana Ranaut (@KanganaTeam) December 4, 2020
वहीं पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल द्वारा अपना ‘पद्म विभूषण’ सम्मान लौटाने के ऐलान के साथ ही अवॉर्ड वापसी का दौर फिर से लौटता हुआ दिख रहा है। अकाली दल के राज्यसभा सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा ने भी अपना पद्म पुरस्कार लौटाने का ऐलान कर दिया है। राष्ट्रीय बॉक्सिंग टीम के पूर्व कोच गुरबक्श सिंह संधू ने अपना द्रोणाचार्य अवॉर्ड लौटाने की बात कही है। अर्जुन अवॉर्डी करतार सिंह ने भी अपना अवॉर्ड लौटाने की पेशकश की।
‘किसान आंदोलन’ के समर्थन में लगभग 30 पूर्व खिलाड़ियों ने अपने मेडल्स वापस करने की बात कही है। पूर्व भारतीय बास्केटबॉल खिलाड़ी और अर्जुन पुरस्कार विजेता सज्जन सिंह चीमा अपने साथी अर्जुन व अन्य खिलाड़ियों से संपर्क में हैं, जिनसे मेडल्स और पुरस्कार लौटाने को कहा जा रहा है। भारतीय हॉकी टीम के सदस्य रहे गुरमेल सिंह और सुरिंदर सिंह सोढ़ी ने भी उन्हें अपना समर्थन किया है। ऐसे में आने वाले दिनों में ये फेरहिस्त लम्बी होने वाली है।
प्रदर्शन पर बैठे किसान समूह ने शुक्रवार को ऐलान भी किया था कि वे 5 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला फूँकेंगे, 7 दिसंबर को अवॉर्ड वापसी करेंगे और 8 दिसंबर को भारत बंद करेंगे।
Delhi: Fifth round of talks between the central government and farmers to be held today; visuals of protesting farmers stationed at Singhu border (Delhi-Haryana border). pic.twitter.com/2RZQbYn01L
— ANI (@ANI) December 5, 2020
किसान अभी तक इस बात पर अड़े थे कि जो सरकार लगातार किसानों को उनकी फसल पर एमएसपी देने की बात कर रही हैं, वह शनिवार को बैठक तभी करेंगे जब किसानों को एमएसपी की गारंटी मिलेगी। लेकिन जब केंद्र सरकार ने उन्हें हर तरह से आश्वस्त करने का प्रयास किया और उनके हर मुद्दे को सुनने को कहा तो वह प्रोटेस्ट को दूसरे स्तर पर ले जा रहे हैं। अब उनके इस प्रदर्शन में कई किसान नेताओं के अलावा, बुद्धिजीवी, कवि, वकील, लेखक, मानवाधिकार कार्यकर्ता आदि भी अपना सहयोग दे रहे हैं।