Monday, March 17, 2025
Homeबड़ी ख़बर'मुस्लिमों पर भरोसा जताना शुरू करें वरना अंजाम बुरा होगा'- फारूक अब्दुल्ला

‘मुस्लिमों पर भरोसा जताना शुरू करें वरना अंजाम बुरा होगा’- फारूक अब्दुल्ला

कश्मीर में गवर्नर शासन लगने पर फारूक ने कहा कि इससे पत्थरबाजी रुकी है लेकिन जैश-ए-मोहम्मद आगे बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि घाटी में गवर्नर शासन पूर्णत: फेल रहा है।

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने आजतक के कार्यक्रम सीधी बात में पाकिस्तान और आतंकवाद पर बात की। यहाँ उन्होंने कश्मीर की समस्या को राजनीति की समस्या बताया। साथ ही कहा कि इस समस्या को सुलझाने के लिए सरकार को कश्मीरियों का पहले दिल जीतना होगा।

फारूक अब्दुल्ला की मानें तो केंद्र में जब से मोदी सरकार आई है, तब से कट्टरता में वृद्धि देखने को मिली है। उनका कहना है कि मुस्लिम युवकों को लगातार प्रताड़ित किया जाता रहा है, जिसके कारण मुश्किलें पैदा हो रही हैं। लगभग धमकी भरे शब्दों का प्रयोग करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री यहाँ तक बोल गए कि मुस्लिमों पर भरोसा जताना शुरू करें वरना अंजाम बुरा होगा। मुस्लिम कार्ड खेलते हुए फारूक ने केंद्र के ख़िलाफ़ जमकर हमला बोला।

पूरे साक्षात्कार में मोदी सरकार पर ऊँगली उठाने से फारूक कहीं भी नहीं चूके। फारूक ने कहा कि मोदी सरकार ने कश्मीरी पंडितों के लिए जो वादे किए थे, वो सिर्फ़ चुनाव जीतने के लिहाज़ से किए थे। वो उनके लिए कुछ नहीं करने वाले हैं।

पुलवामा हमले को केंद्र में रखते हुए फारूक ने कहा कि बदले के नाम पर कश्मीरी मुस्लिमों को प्रताड़ित करना बंद किया जाए। पाकिस्तान को सबक सिखाने से पहले अपने देश की परिस्थितियों को सही करने की सलाह भी फारूक ने कार्यक्रम में दी।

कश्मीर में गवर्नर शासन लगने पर फारूक ने कहा कि इससे पत्थरबाजी रुकी है लेकिन जैश-ए-मोहम्मद आगे बढ़ गया है। पुलवामा घटना के संदर्भ में सवाल पूछने के अंदाज़ में उन्होंने बहुत ही अमानवीय ढंग से एक बात कह दी – “पत्थरबाज बेहतर थे या जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी?” उनकी मानें तो घाटी में गवर्नर शासन पूर्णत: फेल रहा है, इसलिए घाटी में जनता का शासन होना चाहिए। जिसके लिए चुनावों में चोर मशीन का इस्तेमाल (ईवीएम) नहीं होना चाहिए।

अलगाववादी नेताओं से सुरक्षा छिन जाने पर जब उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि सरकार ने ख़ुद ही उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई थी, जिसे अब छीन लिया गया है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने नेश्नल कॉन्फ्रेंस के नेता और कॉन्ग्रेस के नेताओं से भी सुरक्षा छीन ली है। उनका कहना है कि अगर ऐसे ही सबसे सुरक्षा को वापस लिया जाता रहा तो कश्मीर घाटी में तिरंगे को कौन थामेगा?

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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