Friday, November 15, 2024
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राहुल-थरूर को ठेंगा दिखा इस कॉन्ग्रेसी नेता ने कर दिया PM मोदी का समर्थन, MP कॉन्ग्रेस में एक और फूट!

"लोकतांत्रिक देश के नागरिक होने के नाते देश के मुखिया की अपील के सम्मान में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर रविवार की रात 9 बजे 9 मिनट के लिए एक दीप जरूर जलाएँ क्योंकि राष्ट्र प्रथम होना चाहिए बाकी सब उसके बाद।"

मध्य प्रदेश में कॉन्ग्रेस की सरकार का तख्तापलट होने के कुछ दिन भीतर ही उसमें फिर से फूट पड़ने की आशंका आज बलवती हो गई। यह सुगबुगाहट तब शुरू हुई, जब मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ग्वालियर जिले से कॉन्ग्रेस विधायक प्रवीण पाठक ने प्रधानमंत्री मोदी के रात नौ बजे नौ मिनट पर ‘दिया जलाने’ की मुहिम का समर्थन करने का एलान कर दिया। ट्विटर पर पूर्व प्रधानंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविता “आओ फिर से दिया जलाएँ” के जरिए उन्होंने कहा कि यही एकता प्रदर्शित करने का समय है और उनके इस कदम को राजनीति के चश्मे से न देखा जाए।

याद रहे कि 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में प्रवीण पाठक भाजपा के तीन बार के विधायक और मंत्री रहे नारायण सिंह कुशवाह को हराकर पहली बार विधायक बने थे। उन्होंने ट्विटर पर विडियो संदेश अपलोड किया, जिसमें कहा गया कि लोकतांत्रिक देश के नागरिक होने के नाते देश के मुखिया की अपील के सम्मान में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर रविवार की रात 9 बजे 9 मिनट के लिए एक दीप जरूर जलाएँ क्योंकि राष्ट्र प्रथम होना चाहिए बाकी सब उसके बाद।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस बारे में विधायक प्रवीण पाठक ने सवालों का जवाब देते हुए कहा कि यह देश की एकता की बात है और मैंने देश के मुखिया यानी प्रधानमंत्री का समर्थन किया है, किसी व्यक्ति विशेष का नहीं और इसका गलत अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए।

ध्यातव्य है कि कॉन्ग्रेस के राहुल गाँधी ने पीएम मोदी की इस अपील का मजाक उड़ाते हुए कहा था कि ताली बजाने या दिया-बत्ती-टॉर्च जलाने से कोरोना के खिलाफ लड़ाई नहीं जीती जा सकती, जिसका समर्थन शशि थरूर आदि कॉन्ग्रेसी नेताओं ने किया था।

वहीं कोरोना के खिलाफ एकता दर्शाने की पीएम मोदी की इस मुहिम को शशि थरूर ने देश को “राम भरोसे” छोड़ना करार दिया था।

इस परिप्रेक्ष्य में ग्वालियर से कॉन्ग्रेस विधायक का पीएम मोदी की अपील के समर्थन में उतरना थोड़ा आश्चर्यजनक प्रतीत होता है क्योंकि राजनीति में कुछ भी बिना कारण न किया जाता है, न बोला जाता है। और जो कहा जाता है, कहानी अक्सर उससे अलग ही रहती है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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