अयोध्या भूमि विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट के पाँच जजों की पीठ ने शनिवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए हैदराबाद में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि यदि बाबरी मस्जिद अवैध थी, तो इसे ढहाने को लेकर लालकृष्ण आडवाणी पर मुकदमा क्यों चल रहा है और अगर यह वैध थी, तो आडवाणी को जमीन क्यों दी जा रही है? हैदराबाद के सांसद ने इस बात पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि जिस इंसान ने किसी का घर गिराया, कैसे उसे वही घर दिया जा सकता है।
जनसभा को संबोधित करते हुए ओवैसी ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में खामियाँ बताईं। उन्होंने अपनी बात दोहराई कि ‘सुप्रीम कोर्ट सर्वोच्च है लेकिन अचूक नहीं।’ ओवैसी ने कहा, “यदि एक व्यक्ति आपका घर गिरा देता है और आप पंच के पास जाते हैं और वह आपका घर उसी व्यक्ति को दे देता है, जिसने आपका घर गिराया और कहता है कि इसके बदले आपको दूसरी जगह जमीन दी जाएगी तो आपको कैसा लगेगा?” ओवैसी ने कहा कि उनका मूल सवाल यह है कि यदि बाबरी मस्जिद अवैध थी तो मस्जिद को ध्वस्त करने वाले आडवाणी और अन्य लोगों पर मुकदमा क्यों चल रहा है?
ओवैसी ने उन लोगों पर भी निशाना साधा जो मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का विरोध करने को लेकर उनकी आलोचना कर रहे हैं। ओवैसी ने कहा कि यह उनका संवैधानिक अधिकार है कि वह इसका विरोध करें। उन्होंने यह भी कहा कि अन्य स्थान पर 5 एकड़ जमीन देने की बात मुस्लिमों का अपमान है। उन्होंने कहा, “बाबरी मस्जिद हमारा कानूनी अधिकार है। हम जमीन के लिए नहीं लड़ रहे थे। हमें खैरात नहीं चाहिए। हमें भिखारी मत समझिए। हम भारत के सम्मानित नागरिक हैं।”
इसके साथ ही ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि 80 साल की उम्र में भी राजीव धवन ने अदालत में घंटों बहस की। उन्होंने कहा, “राजीव धवन साहब का शुक्रिया अदा करने के लिए हमारे पास शब्द नहीं है। तथ्य यह है कि उन्होंने इस मामले को लिया और परीक्षा की इस घड़ी में लड़ना अपने आप में एक बड़ी बात है।” सांसद ने कहा कि कपिल सिब्बल ने भी मामले में अपना योगदान दिया, लेकिन कॉन्ग्रेस ने उन्हें केस लड़ने से रोक दिया।