Saturday, November 16, 2024
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‘खुद ही कोर्ट बनकर सरकारी आदेश की अवहेलना को जायज न ठहराए ट्विटर’: केंद्र सरकार ने Twitter को भेजा नोटिस

कानून के हिसाब से ट्विटर सिर्फ एक माध्यम है, जहाँ लोग अपने विचार शेयर करते हैं और लिखते हैं। अगर कानून-व्यवस्था की समस्या खड़ी होने की आशंका है तो इस स्थिति में भारत सरकार आदेश दे सकती है कि किसी कंटेंट को प्लेटफॉर्म पर से हटाया जाए, क्योंकि इससे हिंसा भड़कने की आशंका हो सकती है।

भारत सरकार ने कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने वाली सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर को नोटिस भेजा है। कुछ लोगों ने ट्विटर पर किसानों के नरसंहार की बात फैलाई थी और इसके लिए पीएम मोदी को जिम्मेदार ठहराया था। कोर्ट के आदेश के बाद कारवाँ मैगजीन, अभिनेता सुशांत सिंह, हंसराज मीणा सहित कई हैंडलों पर रोक लगाई गई थी। हालाँकि, कुछ ही देर बाद ट्विटर ने उन हैंडल्स को फिर से चालू कर दिया। अब केंद्र सरकार ने कहा है कि ट्विटर कोर्ट बन कर सरकारी आदेश की अवहेलना को जायज न ठहराए।

केंद्र सरकार ने इस कदम से नाराजगी जताई है। जिन हैंडल्स को रोका गया था, उन सभी ने ‘ModiPlanningFarmerGenocide’ नामक हैशटैग के साथ अफवाह फैलाई थी। सरकार ने कहा है कि ये तथ्यात्मक रूप से गलत है और लोगों की भावनाओं को भड़काने के साथ-साथ घृणा फैलाने वाला भी है। बिना तथ्यों के समाज में तनाव फैलाने की साजिश है। ट्विटर सरकार के आदेश की अवहेलना नहीं कर सकता, क्योंकि ऐसे में उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है।

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Meity) ने अब ट्विटर को नोटिस भेजा है कि जिन 257 URLs और 1 हैशटैग को ब्लॉक करने का आदेश दिया गया था, उन्हें फिर से क्यों चालू किया गया। कहा गया है कि इससे देश में हिंसा भड़क सकती थी, जिससे कानून-व्यवस्था की समस्याएँ पैदा हो जाती। गणतंत्र दिवस के दिन हुई घटना के कारण पहले से ही पुलिस आगे की तैयारियों में लगी हुई है।

सरकार का कहना है कि आदेश को प्राप्त करने के बावजूद ट्विटर ने इसका पालन नहीं किया। सरकार ने कहा है कि ट्विटर ने कुछ मिनटों के लिए उन हैंडलों और हैशटैग को ब्लॉक कर के रखा और फिर चालू कर दिया। इस बीच कइयों ने उसे रीट्वीट और लाइक किया होगा, क्योंकि वो सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध थे। अब जब ट्विटर ने नियमों को मानने से इनकार कर दिया है, भारत सरकार ने उसे कानून सिखाया है।

कानून के हिसाब से ट्विटर सिर्फ एक माध्यम है, जहाँ लोग अपने विचार शेयर करते हैं और लिखते हैं। अगर कानून-व्यवस्था की समस्या खड़ी होने की आशंका है तो इस स्थिति में भारत सरकार आदेश दे सकती है कि किसी कंटेंट को प्लेटफॉर्म पर से हटाया जाए, क्योंकि इससे हिंसा भड़कने की आशंका हो सकती है। केंद्र सरकार ने कहा है कि ट्विटर उन कंटेंट्स का क्रिएटर भले न हो, लेकिन उन्हें फैलाने का मंच वही है।

मंत्रालय के अनुसार, जानबूझ कर आदेश को न मानने पर आगे की कार्रवाई की जा सकती है। उसे भारतीय कानून को समझने की भी सलाह दी गई है क्योंकि ट्विटर ने ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों’ की बात करके खुद को बचाना चाहा है। ट्विटर ने एक तो सरकार का आदेश नहीं माना, ऊपर से सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए दावा किया कि उक्त कंटेंट भड़काऊ बयानों में नहीं आता है।

मंत्रालय ने कहा है कि ट्विटर ने न सिर्फ आदेश की अवहेलना की, बल्कि अपनी स्थिति को बिना किसी कानूनी तर्क के सही ठहराना चाहा। ट्विटर को आईटी एक्ट की धारा 69A ( केंद्र सरकार को ऑनलाइन सामग्री को ब्लॉक करने और साइबर अपराधी को गिरफ्तार करने का अधिकार देता है) समझाते हुए पूछा है कि उसने आदेश को क्यों नहीं माना। अभी ट्विटर ने इस सम्बन्ध में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

गणतंत्र दिवस के दौरान आंदोलन की आड़ में किए गए दंगों के बाद ट्विटर इंडिया ने उन हैंडलों पर रोक लगाने की कार्रवाई की थी। ‘द कारवाँ इंडिया’ ने एक आंदोलनकारी की मौत को लेकर फ़ेक न्यूज़ फैलाई थी। असल में आंदोलनकारी की मौत दुर्घटना में हुई थी, जबकि दावा यह किया जा रहा था कि उसकी मौत पुलिस की गोली से हुई है। इसी तरह के अफवाह कई अन्य हैंडल्स ने भी फैलाए थे, जिससे हिंसा भड़क सकती थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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