Saturday, April 27, 2024
Homeरिपोर्टमीडियाटीम इंडिया की नई जर्सी से 2019 के 'भगवाकरण' और 2001 में गांगुली के...

टीम इंडिया की नई जर्सी से 2019 के ‘भगवाकरण’ और 2001 में गांगुली के गंडे-ताबीज़ का कनेक्शन जोड़ रहे हैं लिबरल

कुछ दिमाग इतने ज्यादा ध्वस्त हो गए हैं कि अब जीतती हुई टीम इंडिया पर भी आपत्ति होने लगी है। फहद मसूद को कोहली एंड कम्पनी 'पत्थरदिल विजेता' लगने लगी!

टीम इंडिया की नई जर्सी लिबरलों को कितना दुःख दे रही है, राष्ट्रवादियों को इसका ज़रा भी इल्म नहीं है। मोदी के हाथों मुँह की खाने के बाद उनकी ‘भगवा’ से ही एलर्जी बढ़ गई है। जैसे सावन के अंधे को हर जगह हरा ही हरा दिखता है, उसी तरह हमारे लिबरल राजनेताओं और पत्रकारों को हर भगवे में ‘मोदी के एजेंट’ दिखने लगे हैं। और उन्हें पूरी तरह दोष भी नहीं दिया जा सकता- पाँच साल खटने के बाद 303-52 की हार किसी को भी मानसिक तौर पर ‘हिला देगी’।

कुछ के दिमाग तो इतने ज्यादा ध्वस्त हो गए हैं कि उन्हें अब जीतती हुई टीम इंडिया पर भी आपत्ति होने लगी है। एक फैन फहद मसूद (किस विशेष समुदाय का, यह बताने की ज़रूरत नहीं है) को कोहली एंड कम्पनी की जीत भी ‘पत्थरदिल विजेता’ लगने लगी!

Untitled.png

यह महज़ एक आदमी का फितूर नहीं है- हर दूसरे-तीसरे छद्म-लिबरल से बात करिए तो वह ‘उन पुराने दिनों’ की ही याद में विषादी हुए जा रहे हैं। टॉलरेंस, ‘सरल समय’, ‘ओल्ड-फैशन्ड’ के पीछे नेहरूवियन भारत की जो याद है, वह असल में उसी निकम्मेपन की सताती हुई याद है, जिसमें एक मुट्ठी-भर लोगों के पास हर तरह की सुविधा थी, और बाकी लोगों के पास केवल संघर्ष था। उसी का प्रतिबिम्ब वह क्रिकेट टीम में देख कर खुश होते थे कि एक बार में खाली एक-आध खिलाड़ी चल रहे हैं और बाकियों को ढो रहे हैं।

आज भारत और भारत की क्रिकेट टीम दोनों में कुशलता बढ़ गई है। कई सारे स्टार आ गए हैं। कई लोग अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और प्रतिस्पर्धा बढ़ी है। यह उन्हें अजीर्ण का मरीज बना रहा है, जो न केवल अकुशल, अक्षम टीम और देश के आदी थे, बल्कि कारक भी।

कोहली EVM पर जाकर किस पार्टी का बटन दबाते हैं, यह तो शायद ही कोई पक्का कह सकता है, लेकिन मीडिया गिरोह को तो पक्का कोहली और मोदी में समानता दिखती होगी- एकमनस्क भाव से लक्ष्य का पीछा, और उसकी प्राप्ति। ‘निष्ठुर’ और निर्बाध बढ़ रहे दोनों के विजय-रथ से खुद असफलता-पर-असफलता झेल रहे लिबरलों के दिलों में डाह की आग तो सुलगनी ही थी, और उस पर ‘भगवा पेट्रोल’!

कोहली से मन नहीं भरा, ‘दादा’ को भी घसीट लिया

लेकिन केवल कोहली और भगवा जर्सी पर नाराज़गी जताने से मन नहीं भरा तो लिबरल गिरोह ने ‘समय-यात्रा’ कर के मोदी के भगवाकरण प्लान में गांगुली का 2001 में टी-शर्ट लहराना शामिल कर लिया। उनके हिसाब से गांगुली के लॉर्ड्स में टी-शर्ट लहराते समय उनके शरीर पर मौजूद गंडे-ताबीज़ आदि धार्मिक और आस्था के प्रतीक-चिह्न ‘शर्मनाक’ और ‘अंधविश्वासी’ थे!

Untitled.png

प्रिय लिबरलों, आपकी ही सलाह आपके लिए: खेल को खेल रहने दें। राजनीति का अड्डा न बनाएँ।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘केजरीवाल के लिए राष्ट्रहित से ऊपर व्यक्तिगत हित’: भड़का हाई कोर्ट, जेल से सरकार चलाने के कारण दिल्ली के 2 लाख+ स्टूडेंट को न...

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा ना देकर राष्ट्रहित से ऊपर अपना व्यक्तिगत हित रख रहे हैं।

लोकसभा चुनाव 2024: बंगाल में हिंसा के बीच देश भर में दूसरे चरण का मतदान संपन्न, 61%+ वोटिंग, नॉर्थ ईस्ट में सर्वाधिक डाले गए...

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग के 102 गाँवों में पहली बार लोकसभा के लिए मतदान हुआ।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe