Sunday, October 6, 2024
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‘चक्रवर्ती सम्राट हैं PM नरेंद्र मोदी, उनमें एक राजर्षि के सारे गुण’: संत सम्मेलन में बोले जितेंद्रानंद – वो पिछले 1000 वर्षों में एकमात्र हिन्दू शासक

इस दौरान जितेंद्रानंद भाजपा पर निशाना साधने से भी पीछे नहीं हटे। उन्होंने कहा कि भाजपा में कई ऐसे नेता हैं जो नास्तिक हैं, उनका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है।

दण्डी स्वामी जितेंद्रानंद महाराज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘चक्रवर्ती सम्राट’ बताया है। गुजरात के अहमदाबाद में रविवार (4 फरवरी, 2024) को संतों का एक सम्मेलन आयोजित हुआ था, जिसमें जितेंद्रानंद भी शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि पिछले 1000 वर्षों में नरेंद्र मोदी एकमात्र हिन्दू शासक हैं। जितेंद्रानंद ‘अखिल भारतीय संत समिति’ के जनरल सेक्रेटरी भी हैं। उन्होंने कहा कि वो नरेंद्र मोदी और अमित शाह से प्रेम करते हैं, भारतीय जनता पार्टी से नहीं।

इस दौरान जितेंद्रानंद भाजपा पर निशाना साधने से भी पीछे नहीं हटे। उन्होंने कहा कि भाजपा में कई ऐसे नेता हैं जो नास्तिक हैं, उनका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि संत समाज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर गर्व करता है, वो एक चक्रवर्ती सम्राट हैं जिनमें राजर्षि होने से सारे गुण हैं। कॉन्ग्रेस पार्टी लगातार भाजपा पर जाँच एजेंसियों के दुरूपयोग का आरोप लगा रही है। इस पर संत ने कहा कि ‘राम जन्मभूमि न्यास’ के खिलाफ आयकर विभाग (IT) की 22 नोटिस और छापेमारी हुई थी।

उन्होंने कहा कि इसके बावजूद चंपत राय ने न तो कभी बदले की भावना वाला आरोप लगाया और न ही इस पर हंगामा मचाया, कॉन्ग्रेस पार्टी अभी जो कर रही है उसके एकदम विपरीत। जितेंद्रानंद ने कहा कि जाँच एजेंसियों ने जो भी दस्तावेज माँगे चंपत राय ने सब कुछ दिया, क्योंकि कुछ गलत हुआ ही नहीं था। उन्होंने अयोध्या, काशी और मथुरा को मुक्त कराने की शपथ भी दोहराई। बता दें कि ज्ञानवापी में सोमनाथ व्यास के तहखाने में कोर्ट के आदेश के बाद फिर से पूजा शुरू हो गई है।

जितेंद्रानंद ने बताया कि सोमनाथ गुजराती संत थे। वहीं उत्तराखंड के जोशीमठ स्थित ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद द्वारा राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के खिलाफ बयान पर जितेंद्रानंद महाराज ने कहा कि कॉन्ग्रेस पार्टी का एजेंडा चलाने वालों को इस कार्यक्रम में नहीं बुलाया गया था। उन्होंने कहा कि शंकराचार्य इस कार्यक्रम में अपने सिंहासन के साथ स्थान चाहते थे, जबकि संत समिति की सोच है कि श्रीराम के दरबार में सभी बराबर हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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