Tuesday, November 5, 2024
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इधर केरल का नाम बदलने की तैयारी में वामपंथी, उधर मुस्लिम संगठनों को चाहिए अलग राज्य: ‘मालाबार स्टेट’ की डिमांड को BJP ने बताया राष्ट्र की अखंडता से समझौता

मुस्तफा ने अपने बयान में कहा, "जब हम अन्याय होते दक्षिणी केरल और मालाबार में देखते हैं और फिर अगर किसी हिस्से से अलग मालाबार राज्य की माँग आती है तो हम उन्हें दोष नहीं दे सकते। मालाबार के लोग और दक्षिणी केरल के लोग समान कर दे रहे हैं। हमें भी समान सुविधाएँ मिलनी ही चाहिए।"

केरल का नाम बदलकर ‘केरलम’ किए जाने की चर्चाओं के बीच खबर है कि राज्य में सुन्नी युवाजन संगम के नेता मुस्तफा मुंडुपारा ने एक अलग मालाबार राज्य की माँग का मुद्दा उठाया है। मुस्तफा ने मालाबार के स्कूलों में सीटों की कमी पर आयोजित एक प्रदर्शन में अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि दक्षिणी केरल और मालाबार के लोग समान टैक्स देते हैं तो फिर उन्हें एक जैसी सुविधाएँ मिलनी चाहिए।

मुस्तफा ने अपने बयान में कहा, “जब हम ऐसा अन्याय दक्षिणी केरल और मालाबार में देखते हैं और फिर अगर किसी हिस्से से अलग मालाबार राज्य की माँग आती है तो हम उन्हें दोष नहीं दे सकते। मालाबार के लोग और दक्षिणी केरल के लोग समान कर दे रहे हैं। हमें भी समान सुविधाएँ मिलनी ही चाहिए। इस माँग को अलगाववाद कहने का कोई मतलब नहीं है। अगर मालाबार एक राज्य बन ही जाए तो देश में क्या होगा।”

भाजपा प्रमुख ने उठाए सवाल

मुस्तफा मुंडुपरा के भाषण के बाद अब तक इस पर कोई एक्शन नहीं लिए जाने पर केरल के भाजपा प्रमुख के सुरेंद्र मुख्यमंत्री पिनराई विजयरन और विपक्ष के नेता सतीशन पर बरसे। उन्होंने कहा कि जिन्हें लगता है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर बैन लगाने से केरल में कट्टरपंथी ताकतें खत्म हो गई हैं, वह गलत हैं। अलग राज्य की माँग एक दुस्साहस है और इस मुद्दे पर पिनराई विजयरन और सतीशन की चुप्पी ये बताती है कि राज्य में कॉन्ग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टियाँ घुटनों पर हैं। वोट के लिए वो बेशर्मी से राष्ट्रीय अखंडता से समझौता कर रही हैं।

2021 में भी उठी मालाबार अलग करने की माँग

मालूम हो कि पहली बार नहीं है जब मालाबार को केरल से अलग करने की बातें उठी हों, इससे पहले समस्त केरल सुन्नी स्टूडेंट फेडरेशन ने ऐसी माँग साल 2021 में उठाई थी। एसकेएसएसएफ के मुखपत्र सत्यधारा के संपादक अनवर सादिक फैसी द्वारा केरल से मालाबार क्षेत्र के मुस्लिम बहुल इलाकों को अलग करके एक नया राज्य ‘मालाबार’ बनाने की माँग की थी। फैसी ने कहा था, कोझिकोड को नए बने मालाबार राज्य की राजधानी बनाया जाना चाहिए। यह माँग मालाबार क्षेत्र में मुस्लिम बहुलता के कारण उठाई गई थी।

मालाबार में मुस्लिमों की संख्या

बता दें कि मुस्तफा ने जिस मालाबार क्षेत्र को अलग राज्य घोषित करने की माँग की है उसमें त्रिशूर, पलक्कड़, मल्लापुरम, कोझिकोडे, वायनाड, कन्नूर और कासरगोड जैसे इलाके आते हैं। इन इलाकों में मुस्लिमों की संख्या की बात करें तो 2011 में जनगणना डाटा के अनुसार- त्रिशूर में मुस्लिमों की संख्या 17.07% है, पलक्कड़ में 27.96% है, मल्लापुरम में इनकी आबादी 70.24% है, कोझिकोडे में 37.66% है, वायनाड में 28.65% है, कन्नूर में 29.43% है और कासरगोड मे 37.24% है।

केरल नहीं ‘केरलम’

उल्लेखनीय है इन दिनों केरल का नाम बदलकर केरलम किए जाने पर भी चर्चा तेज है। सोमवार (24 जून 2024) को विधानसभा में केरल का नाम बदलकर ‘केरलम’ किए जाने का प्रस्ताव भी पारित हुआ। इस प्रस्ताव को विपक्षी कॉन्ग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ और सत्ता पक्ष ने सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया है। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने प्रस्ताव पेश करते हुए केंद्र से संविधान में राज्य का नाम बदलकर ‘केरलम’ करने की गुजारिश की है। इससे पहले यही प्रस्ताव 2023 में भी केरल विधानसभा में पारित किया गया था लेकिन कुछ कारणों से इसे दोबारा पेश किया गया। इसके पीछे तर्क यही दिया गया कि राज्य का नाम मलयालम में ‘केरलम’ है इसलिए इसे यही नाम दिया जाए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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