Saturday, July 27, 2024
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अयोध्या का अपमान, शेख जैनुद्दीन मखदूम का गुणगान: केरल की वामपंथी सरकार खोल रही ‘अरेबियन लैंग्वेज और कल्चरल सेंटर’

केरल की वामपंथी सरकार ने फैसला किया है कि वो भगवान राम वाली भारतीय संस्कृति के साथ नहीं, बल्कि अरबी संस्कृति के साथ है। 22 जनवरी 2024 को होने जा रहे अयोध्या के राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का न्यौता ठुकराने वाली केरल सरकार ने मलप्पुरम जिले में स्थित 'केरल का मक्का' पोन्नानी में अरबी भाषा एवं सांस्कृतिक अध्ययन केंद्र खोलने का निर्णय लिया है।

केरल की वामपंथी सरकार ने फैसला किया है कि वो भगवान राम वाली भारतीय संस्कृति के साथ नहीं, बल्कि अरबी संस्कृति के साथ है। 22 जनवरी 2024 को होने जा रहे अयोध्या के राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का न्यौता ठुकराने वाली केरल सरकार ने मलप्पुरम जिले में स्थित ‘केरल का मक्का’ पोन्नानी में अरबी भाषा एवं सांस्कृतिक अध्ययन केंद्र खोलने का निर्णय लिया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केरल सरकार की उच्च शिक्षा मंत्री आर बिंदू ने केरल विश्वविद्यालय के सीवी रमन हाल में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि संघ परिवार और उससे जुड़े संगठनों के साथ ही केंद्र सरकार अरबी भाषा के प्रति नकारात्मक भाव रखते हैं। उन्होंने कहा कि अरबी भाषा ने ज्ञान और विज्ञान के विकास की दिशा में मध्यकालीन युग में बेहतरीन योगदान दिया।

अपने फेसबुक पोस्ट में भी बिंदु ने कहा है कि राज्य सरकार ने शेख जैनुद्दीन मखदूम द्वितीय के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए यह फैसला किया गया है। बिंदु ने कहा कि मखदूम ने केरल का प्रामाणिक इतिहास लिखा है। इसके अलावा उन्होंने विदेशी आक्रमणकारी शक्तियों के विरुद्ध भी काफी कुछ लिखा है। बता दें कि ‘तुफतुल मुजाहिदीन’ नाम से शेख ने मालाबार का इतिहास लिखा है, जिसमें पुर्तगालियों के मुस्लिम विरोधी रूख के बारे में बताया है।

बिंदु ने अपने फेसबुक पेज पर मलयालम में लिखा, जिसका हिंदू अनुवाद कुछ इस तरह से है, “उच्च शिक्षा विभाग पोन्नानी स्थित शेख जैनुद्दीन मखदूम के नाम से अरबी भाषा एवं सांस्कृतिक अध्ययन केंद्र शुरू करने की तैयारी कर रहा है। केरल सरकार का यह निर्णय शेख जैनुद्दीन मखदूम को सम्मान देने के लिए है, जिन्होंने केरल के बारे में आधिकारिक इतिहास लेखक की शुरुआत की और कई आक्रमणकारी-विरोधी कार्यों को लिखा था।”

केरल विश्वविद्यालय के अरबी विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में दिए गए अपने बयान को उद्धृत करते हुए आगे लिखा, “संघ परिवार और उसके संगठनों और केंद्र सरकार द्वारा मध्यकाल में ज्ञान और विज्ञान के विकास में योगदान देने वाले अरबी भाषा को नकारा जाता है। ऐसे में उनके नकारात्मक दृष्टिकोण वाले अन्याय का भी पर्दाफाश हुआ। सऊदी अरब, ओमान, लीबिया, ट्यूनीशिया, अल्जीरिया, केन्या, मिस्र और इराक के देशों में विश्वविद्यालयों का प्रतिनिधित्व करने वाले शिक्षकों, लेखकों और भाषाविदों ने विभिन्न सत्रों में आयोजित संगोष्ठी में भाग लिया।”

बता दें कि जिस शेख जैनुद्दीन मखदूम की बात हो रही है, वो 16वीं शताब्दी में पोन्नानी में रहा करते थे। वो मुगल आक्रांता अकबर के समकालीन थे। ज़ैनुद्दीन मखदूम द्वितीय शेख ज़ैनुद्दीन मखदूम प्रथम के पोते भी थे। मखदूम प्रथम का परिवार यमन से आया था। उनके दादा ने पोन्नानी जुमा मस्जिद का निर्माण लगभग 600 साल पहले कराया था।

जैनुद्दीन ने मालाबार मुस्लिम जमींदारों के खिलाफ पुर्तगालियों के हमले काफी कुछ लिखा है और उन्हें मुस्लिम विरोधी बताया था। पुर्तगालियों के खिलाफ उन्होंने स्थानीय मुस्लिमों को एकजुट करने का काम किया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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